Day: December 5, 2022

  • Jai Shankar and Annalena Baerbock talk: आज चीन से संबंध और रूस-यूक्रेन युद्ध पर होगी चर्चा!

    Jai Shankar and Annalena Baerbock talk: आज चीन से संबंध और रूस-यूक्रेन युद्ध पर होगी चर्चा!

    Jai Shankar and Annalena Baerbock talk: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मनी की विदेश एनालेना बेयरबॉक के बीच (सोमवार) होने वाली वार्ता में चीन के साथ भारत के संबंध और यूक्रेन पर रूस के युद्ध के नतीजों पर चर्चा होने की संभावना है. बेयरबॉक दो दिवसीय यात्रा पर आज सुबह दिल्ली पहुंचेंगी. जर्मनी के दूतावास द्वारा जारी एक बयान के अनुसार,

    बेयरबॉक ऐसे वक्त में भारत की यात्रा कर रही हैं, जब यूक्रेन पर रूस के युद्ध के वैश्विक नतीजे सामने आ रहे हैं.बर्लिन में जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि दो दिवसीय यात्रा के दौरान तेल, कोयला और गैस के अलावा ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी बातचीत की जाएगी. दूतावास ने कहा, भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ बेयरबॉक की वार्ता में चीन के साथ भारत के संबंधों के साथ ही यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध और उसके नतीजों पर चर्चा किए जाने की संभावना है, उदाहरण के लिए ऊर्जा क्षेत्र में.

    एनालेना बेयरबॉक से फोन पर कि बातचीत।

    हालांकि इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 22 अक्टूबर को अपनी जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी. इसमें यूक्रेन संघर्ष सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी. जर्मनी की विदेश मंत्री की ओर से ही यह कॉल की गई थी.

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    यूक्रेन संघर्ष पर  हुई चर्चा

    एस. जयशंकर ने ट्वीट किया था, कि जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई. हमारे द्विपक्षीय संबंधों, सतत विकास और यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की. बात जारी रखने के लिए उन्होंने सहमति जतायी.

    Dr. S. Jaishankar on Twitter: “A wide ranging conversation today with FM @ABaerbock of Germany. Took forward our frequent exchanges, this time in greater detail.Reviewed our bilateral ties and shared perspectives on a number of important regional and global issues.

    जम्मू कश्मीर पर क्या दिया था बयान?

    पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर पर बेयरबॉक की टिप्पणियों को लेकर भारत के कड़ा विरोध जताए जाने के करीब दो हफ्ते बाद यह बात हुई थी. जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए जर्मनी की विदेश मंत्री ने कहा था कि उनका मानना है कि विवादों को सुलझाने में दुनिया के हर देश की अपनी भूमिका और जिम्मेदारी है.

  • तालिबान ने भारत से लगाई मदद की गुहार,रुके हुए प्रोजेक्ट फिर से शुरू करने की मांग की, सुरक्षा की दी गारंटी

    तालिबान ने भारत से लगाई मदद की गुहार,रुके हुए प्रोजेक्ट फिर से शुरू करने की मांग की, सुरक्षा की दी गारंटी

    काबुल: अफगानिस्तान में अब तालिबान सत्ता में है। ऐसे में भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता उसके निवेश और परियोजनाओं को फिर से शुरू करना है। इसे लेकर पिछले सप्ताह तालिबान ने एक मीटिंग की और निवेश मांगा है। इस मीटिंग में तालिबान ने भारतीय निवेश और भारत के समर्थन वाले बुनियादी ढांचा परियोजना को फिर से शुरू करने की मांग की है। बैठक तालिबान के शहरी विकास और आवास मंत्री हमदुल्ला नोमानी और देश में भारत की टेक्निकल टीम के प्रमुख भरत कुमार के बीच हुई।

    WION न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के सुहैल शाहीन ने कहा, ‘यह बैठक भारत की पहले शुरू की गई अधूरी परियोजनाओं को फिर से शुरु करने के मुद्दे पर केंद्रित थी। इसके साथ ही भारतीय निवेश से नया काबुल शहर बनाने पर भी बात हुई।‘ बैठक में भारतीय निवेश की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत काबुल में संसद भवन से लेकर हेरात में भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध तक देश की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बनाता रहा है।

    अफगानिस्तान के सभी 34 राज्यों में लगभग 433 परियोजनाएं किसकी मदद से बनाई गई हैं?

    अफगानिस्तान के सभी 34 राज्यों में लगभग 433 परियोजनाएं भारत की वित्तीय मदद से बनाई गई हैं, जो लोगों के इस्तेमाल में आती हैं। पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद परियोजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित हुआ था। तालिबान के देश में आने के बाद भारत ने अपने राजदूतों को देश से निकाल लिया था। भारत अभी भी तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देता है। जून में भारत ने घोषणा की थी कि वह मानवीय सहायता के लिए अपनी टेक्निकल टीम को तैनात करेगा

    भारत की टेक्निकल टीम से जुड़े अधिकारियों ने बातचीत की।

    विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘भारत का अफगान लोगों के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं। मानवीय सहायता के प्रभावी वितरण के लिए और अफगान लोगों के साथ हमारा जुड़ाव जारी रखने के लिए और हितधारकों के प्रयासों की बारीकी से निगरानी के लिए एक टेक्निकल टीम काबुल पहुंच गई है।‘ इस टेक्निकल टीम में राजनयिक और अन्य अधिकारी शामिल हैं।