Day: December 13, 2022

  • India China Controversy: भारत और चीन के बीच एक बार फिर सीमा विवाद बढ़ा

    India China Controversy: भारत और चीन के बीच एक बार फिर सीमा विवाद बढ़ा

    India China Controversy: हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच संबंध खराब हुए हैं। हिमालयी क्षेत्र में अपनी विवादित सीमा पर दो विश्व शक्तियाँ एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने हैं।

    तनाव का कारण क्या है (India china controversy)?

    मूल कारण एक खराब परिभाषित, 3,440 किमी (2,100 मील) लंबी विवादित सीमा है।

    सीमांत के साथ नदियाँ, झीलें और हिमाच्छादन का मतलब है कि रेखा बदल सकती है, कई बिंदुओं पर सैनिकों को आमने-सामने ला सकती है, जिससे टकराव हो सकता है।

    दोनों देश सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में भी जाना जाता है। भारत द्वारा उच्च ऊंचाई वाले हवाई ठिकाने के लिए एक नई सड़क के निर्माण को जून में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के मुख्य कारणों में से एक के रूप में देखा जाता है, जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।

    बॉर्डर पर स्थिति कितनी खराब है?

    कई बार सैन्य स्तर की बातचीत के बावजूद तनाव जारी है।

    सबसे हालिया झड़प 20 जनवरी को दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए। यह भारत के सिक्किम राज्य में सीमा पर हुआ, जो भूटान और नेपाल के बीच स्थित है।

    वर्ष 2020 विशेष रूप से हिंसक था। गलवान घाटी में जून की झड़प – लाठी और क्लबों से लड़ी गई, बंदूकों से नहीं – 1975 के बाद से दोनों पक्षों के बीच पहला घातक टकराव था।

    भारत ने अपनी मौतों को स्वीकार किया। चीन ने उन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं की जिसमें उसे भी घातक परिणाम भुगतने पड़े।

    अगस्त में, भारत ने चीन पर एक सप्ताह के भीतर दो बार सीमा पर सैन्य तनाव भड़काने का आरोप लगाया था। चीन ने दोनों आरोपों से इनकार किया और गतिरोध के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया।

    सितंबर में, चीन ने भारत पर अपने सैनिकों पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया। भारत ने चीन पर हवा में फायरिंग करने का आरोप लगाया।

    अगर यह सच है तो 45 साल में पहली बार सीमा पर गोलियां चली होंगी। 1996 के एक समझौते ने सीमा के पास बंदूकों और विस्फोटकों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।

    सबसे बड़ी समस्या क्या है?

    India china controversy – दोनों देशों ने केवल एक ही युद्ध लड़ा है, 1962 में, जब भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।

    लेकिन सुलगते तनाव में वृद्धि का जोखिम शामिल है – और यह विनाशकारी हो सकता है क्योंकि दोनों पक्ष स्थापित परमाणु शक्तियाँ हैं। इसका आर्थिक प्रभाव भी पड़ेगा क्योंकि चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है।

    सैन्य गतिरोध बढ़ते राजनीतिक तनाव से परिलक्षित होता है, जिसने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।

    पर्यवेक्षकों का कहना है कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है क्योंकि दोनों देशों के पास खोने के लिए बहुत कुछ है।

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  • हरीश रावत का बड़ा बयान – पांच लाख दूंगा, हिम्मत है तो मुझ पर मुकदमा करके देखो

    हरीश रावत का बड़ा बयान – पांच लाख दूंगा, हिम्मत है तो मुझ पर मुकदमा करके देखो

    देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड से बड़ी खबर मिली है। पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने एक बार फिर मुस्लिम यूनिवर्सिटी संबंधी बयान को झूठा बताया है और साथ ही उन्होंने भाजपा को झूठे लोगों की पार्टी बताया है।

    हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करते हुए क्या कहाँ!

    दरअसल, हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा कि हिमाचल में कांग्रेस के लिए नई आशा पैदा हो गई है। मगर उत्तराखंड में आज भी कई लोगों के मन यह सवाल है कि हम जीतते-जीतते क्यों हार गये? हार का एक प्रमुखतम कारण, प्रधानमंत्री जी, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, देश के सभी मूर्धन्य मंत्रीगणों, 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा 3 दिन तक लगातार सघन प्रचार के जरिए एक झूठ को फैलाना भी रहा है। जिसमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री भी सम्मिलित हैं कि

    “कांग्रेस सत्ता में आएगी मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएगी” और एक जाली व झूठा समाचार पत्र सोशल मीडिया में प्रचारित-प्रसारित किया गया, जिसमें मुझको लेकर यह बयान का शीर्षक बनाया गया और उसको आधार बनाकर सारे राज्य के गांव-गांव और बूथ-बूथ तक इस झूठ को पूरी शक्ति लगाकर पहुंचाया गया।

    हरदा ने कहा कि मैं आज भी भाजपा से कह रहा हूं कि एक बयान तो छोड़ दो, हरीश रावत ने किसी के कान पर भी कहा हो या हरीश रावत के कान पर भी किसी ने कहा हो कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाइए तो मैं राज्य के लोगों से माफी मागूंगा और राजनीति भी हमेशा के लिए छोड़ दूंगा। मगर भाजपा न कोई ऐसा अखबार दिखा पाई है, न ऐसा कोई ऐसा व्यक्ति प्रस्तुत कर पाई है जो कहे कि हां हरीश रावत जी आपने मुझसे कहा था कि मैं मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाऊंगा।

    मैंने पहले ऐसे व्यक्ति को, ऐसे अखबार को सामने लाने के लिए ₹50,000, फिर ₹1,00,000 और फिर ₹3,00,000 का पुरस्कार रखा था, अब मैं यह पुरस्कार राशि को बढ़ाकर ₹500000 कर रहा हूं और अब भी यदि कोई व्यक्ति, ऐसा कोई प्रकाशित अखबार ले आए।

    जिसमें मेरा यह बयान हो कि मैं मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाऊंगा, तो मैं राज्य के लोगों से माफी मांग कर राजनीति छोड़ दूंगा अन्यथा फिर मेरे पास एक ही विकल्प है कि मैं न्यायिक शरण में जाऊं। मैं पुलिस की शरण में भी गया था। मगर पुलिस जब, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का नाम हो तो फिर अंधी हो जाती है, उनको कुछ दिखाई नहीं देता है और उनसे अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए कि उनको कुछ दिखाई पड़ेगा, वो केस दर्ज करेंगे! तो मैं न्यायिक शरण में जाने के लिए बाध्य होऊंगा।

    हरदा ने कहा कि मैं अपने आरोप को फिर दोहरा रहा हूं कि भाजपा झूठे लोगों की पार्टी है। मुस्लिम यूनिवर्सिटी के झूठ के गर्भ से वर्तमान धामी सरकार पैदा हुई। हिम्मत है तो मुझ पर मुकदमा करके देखो।

    Read – https://newsdiggy.com/russia-once-again-backs-india-permanent-membership-at-unsc/

  • रूस ने जमकर की भारत की तारीफ, UNSC में स्थायी सदस्यता का फिर किया समर्थन।

    रूस ने जमकर की भारत की तारीफ, UNSC में स्थायी सदस्यता का फिर किया समर्थन।

    इंटरनेशल डेस्कः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। 15 देशों की परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने संयुक्त राष्ट्र निकाय में भारत के लिए स्थायी सीट का समर्थन किया है।

    रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने रुख के साथ परिषद में अहम भूमिका निभाई है। लावरोव ने 7 दिसंबर को मॉस्को में प्रिमाकोव रीडिंग इंटरनेशनल फोरम में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए ये कहा ‘मुझे लगता है कि भारत वर्तमान में आर्थिक विकास के मामले में अग्रणी देशों में से एक है। इसकी आबादी जल्द ही किसी भी अन्य देश की तुलना में बड़ी होगी। 

    रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने भारत के लिए क्या कहा? 

    रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत के पास विभिन्न प्रकार की समस्याओं को सुलझाने में विशाल राजनयिक अनुभव है। ‘भारत संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के भीतर दक्षिण एशिया में एकीकरण संरचनाओं की एक श्रृंखला में सक्रिय भूमिका निभाता है।

    इससे पहले लावरोव ने इस साल सितंबर में 77वें संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया जाता है तो सुरक्षा परिषद अधिक लोकतांत्रिक होगी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि भारत और ब्राजील को परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए शामिल किया जाना चाहिए। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और ब्राजील जापान और जर्मनी के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने के लिए अपने आवेदनों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो बहुध्रुवीयता का संकेत है।

    ANI on Twitter: “India is one of the leading countries in terms of economic growth, maybe even the leader. Its population will soon be bigger than any other country. India has vast diplomatic experience in settling various kinds of problems: Russian Foreign Minister Sergey Lavrov pic.

    यूके के राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने क्या कहा? 

    इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र में यूके के राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, ‘हम भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नई स्थायी सीटों के निर्माण के साथ-साथ परिषद में स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं।‘ संयुक्त राष्ट्र महासभा की पूर्ण बैठक को ‘सुरक्षा परिषद की सदस्यता और सुरक्षा परिषद की सदस्यता में वृद्धि और वृद्धि के प्रश्न’ पर संबोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के उप स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि ‘फ्रांस की स्थिति स्थिर है और सर्वविदित है। हम चाहते हैं कि परिषद आज की दुनिया का और अधिक प्रतिनिधित्व करे, एक तरह से जो इसके अधिकार और प्रभावशीलता को और मजबूत करे।‘ 

    भारत ने इससे पहले अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता संभाली थी।

    सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत का मौजूदा दो साल का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होगा। भारत वर्तमान में 15 देशों की परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब भारत ने परिषद की अध्यक्षता ग्रहण की है। भारत ने इससे पहले अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता संभाली थी।

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