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Reading: Love, Relationship & Live-in: समाज की सोच और युवाओं के अनुभव
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News Diggy > Blog > Relationship > Love, Relationship & Live-in: समाज की सोच और युवाओं के अनुभव
Relationship

Love, Relationship & Live-in: समाज की सोच और युवाओं के अनुभव

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Last updated: August 21, 2025 8:41 pm
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Published August 21, 2025
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आज के समय में प्रेम, रिलेशनशिप (Relationship) और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर समाज में कई तरह की धारणाएँ मौजूद हैं। जहाँ एक ओर नई पीढ़ी व्यक्तिगत आज़ादी और पसंद को महत्व देती है, वहीं दूसरी ओर अब भी कई लोग पुराने विचारों के साथ खड़े हैं। इसी विषय पर एक जमीनी रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें आम जनता की राय और अनुभवों को दर्ज किया गया।

Contents
Relationship :विवादित बयान और समाज की प्रतिक्रियापहला अनुभव: लड़कियों की रायनेपाल से आए युवक की रायचार साल का लिव-इन अनुभवलिव-इन के बाद का नजरियाRelationship इन चार अलग-अलग अनुभवों से साफ होता है कि:निष्कर्ष

Table of Contents

Toggle
  • Relationship :विवादित बयान और समाज की प्रतिक्रिया
    • पहला अनुभव: लड़कियों की राय
    • नेपाल से आए युवक की राय
    • चार साल का लिव-इन अनुभव
    • लिव-इन के बाद का नजरिया
  • Relationship इन चार अलग-अलग अनुभवों से साफ होता है कि:
  • निष्कर्ष

Relationship :विवादित बयान और समाज की प्रतिक्रिया

इस चर्चा की शुरुआत एक विवादित टिप्पणी से हुई, जो अनिरुद्ध आचार्य नामक व्यक्ति ने दी थी। उन्होंने कहा:

“जो लड़कियां शादी से पहले लिव-इन में रहती हैं, वे वेश्या होती हैं।”

“16 साल से पहले लड़कियों की शादी कर देनी चाहिए।”

ऐसे विचार आज भी समाज में मौजूद हैं, लेकिन इन पर सहमति और विरोध दोनों तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं।

पहला अनुभव: लड़कियों की राय

हमारी बातचीत सबसे पहले दो युवतियों से हुई। उन्होंने इस विषय पर स्पष्ट कहा कि लिव-इन या रिलेशनशिप(Relationship) जैसी स्थितियों के पीछे सबसे बड़ा कारण पालन-पोषण की कमी है। उनका कहना था:

“आज के समय में कई माता-पिता अपने बच्चों को समय और ध्यान नहीं देते। न तो वे भावनात्मक रूप से उनके साथ होते हैं और न ही उनकी ज़रूरतों को समझते हैं। ऐसे में बच्चे घर से बाहर प्यार और समझ की तलाश करते हैं।”

यह दृष्टिकोण समाज के एक ऐसे पहलू को उजागर करता है जो अक्सर अनदेखा रह जाता है—परिवार में संवाद और भावनात्मक जुड़ाव की कमी।

नेपाल से आए युवक की राय

इसके बाद हमने एक युवक से बात की जो नेपाल से आया था। उसने आज के रिश्तों पर एक आलोचनात्मक नज़र डाली। उसके अनुसार:

“अब कोई भी एक रिश्ते में नहीं रहता। एक के साथ रहते हुए भी चार और लोगों से जुड़ाव बनाए रखते हैं।”

यह राय युवाओं में रिश्तों की स्थिरता और प्रतिबद्धता की कमी की ओर इशारा करती है।

चार साल का लिव-इन अनुभव

हमने एक ऐसे युवक से बात की जो पिछले चार साल से लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in-Relationship) में है। उसका अनुभव सकारात्मक रहा। उसने कहा:

“यह बिल्कुल सही है, बढ़िया है, और इसका अंत शादी में होना चाहिए। मैं चार साल से लिव-इन में हूँ और बहुत खुश हूँ।”

इस राय में लिव-इन को शादी की ओर बढ़ने वाले रिश्ते के रूप में देखा गया।

लिव-इन के बाद का नजरिया

एक अन्य युवक ने भी लिव-इन में रहने का अनुभव साझा किया, लेकिन उसका रिश्ता टूट चुका था। उसने कहा:

“मैं अब दूसरी लड़की ढूँढूँगा, क्योंकि जो पहले थी, उसने मुझे छोड़ दिया।”

यह अनुभव दिखाता है कि लिव-इन रिलेशनशिप (Relationship) में भी टूटन और असफलता का खतरा उतना ही होता है जितना अन्य रिश्तों में।

Relationship इन चार अलग-अलग अनुभवों से साफ होता है कि:

  • समाज में विचारों का टकराव — एक ओर पुरानी सोच है, जो लिव-इन को अनैतिक मानती है; दूसरी ओर आधुनिक दृष्टिकोण है, जो इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में देखता है।
  • पालन-पोषण की भूमिका — माता-पिता का समय और देखभाल न मिलना युवाओं को घर के बाहर रिश्तों की तलाश में धकेल सकता है।
  • रिश्तों में स्थिरता की कमी — कई युवाओं में लंबे समय तक एक रिश्ते में बने रहने की प्रवृत्ति घट रही है।
  • लिव-इन के दो पहलू — कुछ के लिए यह शादी की तैयारी जैसा है, तो कुछ के लिए यह अस्थायी जुड़ाव।

निष्कर्ष

प्रेम, रिलेशनशिप (Relationship) और लिव-इन को लेकर समाज में विभिन्न राय मौजूद हैं। जहाँ कुछ लोग इसे सामाजिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं, वहीं कई इसे एक व्यावहारिक और आधुनिक जीवनशैली के रूप में अपनाते हैं। असली ज़रूरत इस बात की है कि हम खुले संवाद, आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा दें। साथ ही, परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से सहयोग और मार्ग

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