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सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल याचिका खारिज की: भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन को बल

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Last updated: September 2, 2025 8:33 pm
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Published September 2, 2025
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E20
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को E20 पेट्रोल (20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण) के देशव्यापी रोलआउट के खिलाफ दायर एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस फैसले में भारत की स्वच्छ ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हित में प्राथमिकता दी। यह याचिका एडवोकेट अक्षय मल्होत्रा ने दायर की थी, जिन्होंने वाहन कम्पैटिबिलिटी, उपभोक्ता अधिकारों और पारदर्शिता जैसे मुद्दे उठाए थे। आइए, E20 पेट्रोल, इसके उद्देश्यों, याचिका के तर्कों, और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विस्तार से समझें।

Contents
E20 पेट्रोल क्या है और इसका उद्देश्यE20 पेट्रोल के तीन मुख्य उद्देश्य1. पर्यावरण संरक्षण:2. ऊर्जा सुरक्षा:3. किसानों का लाभ:सुप्रीम कोर्ट में याचिका: मुख्य तर्क1. वाहन कम्पैटिबिलिटी:2. उपभोक्ता अधिकार:3. आर्थिक और सुरक्षा चिंताएं:4. पारदर्शिता की मांग:सरकार का पक्षसुप्रीम कोर्ट का फैसला: क्यों खारिज हुई याचिका?E20 नीति का महत्व और भविष्यनिष्कर्ष

E20 पेट्रोल क्या है और इसका उद्देश्य

E20 पेट्रोल एक बायोफ्यूल है, जिसमें 20% इथेनॉल (गन्ना, मक्का या अन्य बायोमास से निर्मित) और 80% सामान्य पेट्रोल होता है। भारत सरकार का इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP) 2025-26 तक E20 को देश का स्टैंडर्ड ईंधन बनाने का लक्ष्य रखता है। पहले यह लक्ष्य 2030 के लिए था, लेकिन इसे तेजी से लागू किया जा रहा है।

E20 पेट्रोल के तीन मुख्य उद्देश्य

1. पर्यावरण संरक्षण:

  • इथेनॉल से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन में 50%, कार्बन डाइऑक्साइड में 65% (गन्ना-आधारित इथेनॉल), और सल्फर डाइऑक्साइड में कमी आती है।
  • यह हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है और ग्रीनहाउस गैसों को कम करता है।

2. ऊर्जा सुरक्षा:

  • भारत अपने 80% से अधिक क्रूड ऑयल का आयात करता है, जिस पर सालाना $130 बिलियन से अधिक खर्च होता है।
  • E20 नीति क्रूड ऑयल आयात को कम करके ₹43,000 करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत का लक्ष्य रखती है।

3. किसानों का लाभ:

  • इथेनॉल की मांग बढ़ने से गन्ना और अन्य फसलों के किसानों को सालाना ₹40,000 करोड़ की आय हो सकती है।
  • यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका: मुख्य तर्क

एडवोकेट अक्षय मल्होत्रा और सीनियर एडवोकेट शादान फरासत ने E20 नीति के खिलाफ कई मुद्दे उठाए:

1. वाहन कम्पैटिबिलिटी:

  • NITI आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2023 से पहले बने वाहन, कुछ BS-VI मॉडल्स सहित, E20 के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं हैं।
  • इससे फोर-व्हीलर्स में 6-7% और टू-व्हीलर्स में 3-4% फ्यूल एफिशिएंसी कम हो सकती है।
  • इंजन में जंग, मेंटेनेंस कॉस्ट में वृद्धि, और वारंटी/इंश्योरेंस क्लेम्स के रिजेक्शन का जोखिम।

2. उपभोक्ता अधिकार:

  • इथेनॉल-फ्री (E0) या लो-ब्लेंड (E10) पेट्रोल के विकल्प न होने से कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 19 (स्वतंत्रता), और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन।
  • अमेरिका और यूरोप में फ्यूल पंप्स पर इथेनॉल कंटेंट का स्पष्ट लेबलिंग होता है, लेकिन भारत में यह कमी है।

3. आर्थिक और सुरक्षा चिंताएं:

  • इथेनॉल सस्ता होने के बावजूद पेट्रोल की कीमतें कम नहीं हुईं।
  • गैर-कम्पैटिबल वाहनों में रिपेयर कॉस्ट बढ़ने का खतरा।

4. पारदर्शिता की मांग:

E20 के प्रभावों का देशव्यापी अध्ययन और फ्यूल स्टेशनों पर इथेनॉल कंटेंट का स्पष्ट लेबलिंग।

सरकार का पक्ष

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने E20 नीति का बचाव करते हुए कहा:

  • E20 से ₹43,000 करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत और किसानों को ₹40,000 करोड़ की आय होगी।
  • जंग रोकने के उपाय और इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स मौजूद हैं।
  • मारुति सुजुकी, टाटा, और हुंडई जैसे ऑटोमेकर्स E20-कम्पैटिबल वाहन बना रहे हैं।
  • पेट्रोलियम मंत्रालय के टेस्ट में 100,000 किमी तक कोई बड़ा परफॉर्मेंस इश्यू नहीं दिखा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: क्यों खारिज हुई याचिका?

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने सरकार के तर्कों को स्वीकार करते हुए PIL को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि:

  • E20 नीति पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा, और किसानों के हित में है।
  • वाहन कम्पैटिबिलिटी और उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दों को सरकार और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के भरोसे पर नजरअंदाज किया गया।
  • यह फैसला भारत की क्लीन एनर्जी नीति को मजबूती देता है।

E20 नीति का महत्व और भविष्य

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन और ग्रीन फ्यूचर की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, याचिका में उठाए गए मुद्दे—वाहन कम्पैटिबिलिटी, उपभोक्ता अधिकार, और पारदर्शिता—महत्वपूर्ण हैं। सरकार को चाहिए कि:

  • फ्यूल स्टेशनों पर स्पष्ट लेबलिंग: इथेनॉल कंटेंट को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाए।
  • देशव्यापी अध्ययन: पुराने वाहनों पर E20 के प्रभाव का गहन अध्ययन हो।
  • वैकल्पिक ईंधन विकल्प: गैर-कम्पैटिबल वाहनों के लिए E0 या E10 जैसे विकल्प उपलब्ध हों।
  • जागरूकता अभियान: उपभोक्ताओं को E20 के फायदे और प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जाए।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का E20 पेट्रोल याचिका खारिज करना भारत के पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह फैसला भारत को 2025-26 तक E20 और भविष्य में E80 जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर ले जाता है। हालांकि, उपभोक्ता चिंताओं का समाधान और पारदर्शिता बढ़ाने से यह नीति और प्रभावी हो सकती है। भारत का स्वच्छ ऊर्जा मिशन अब और मजबूत होकर सामने आ रहा है, जो पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए फायदेमंद है।

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