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दिल्ली ने ओला, उबर और रैपिडो बाइक टैक्सियों पर लगाया प्रतिबंध, पर चालकों को इसकी कोई जानकारी नहीं

ओला, उबर और रैपिडो

मेट्रो की भीड़ से खुद को बचाने के लिए ओला, उबर और रैपिडो बाइक बुक करना बेहतर होगा? ठीक है, मेट्रो ही आपके लिए एकमात्र आसरा हैं फ़िलहाल क्योंकि ऐसा लगता है कि परिवहन मंत्रालय आपसे यही माँग कर रहा है।

 

क्या हैं मामला?

सबसे पहले बेंगलुरु, फिर महाराष्ट्र और अब दिल्ली भी राइड-शेयरिंग एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम में शामिल हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने 20 फरवरी, 2023 (तुरंत प्रभावी होने के लिए) को एक सार्वजनिक नोटिस में कहा है कि वह ओला, उबर और रैपिडो जैसे ऐप की बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाएगा। यह प्रतिबंध केवल मोटरसाइकिलों पर लागू होगा क्योंकि ऑटो और कैब सेवाएं प्रतिबंधित नहीं है।

 

बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध का क्या है कारण ?

परिवहन विभाग के द्वारा जारी नोटिस पर अगर नज़र डाले तो कुछ ऐसा जान पड़ता हैं “यह संज्ञान में लाया गया है कि गैर-परिवहन (निजी) पंजीकरण चिह्न / संख्या वाले दोपहिया वाहनों का उपयोग यात्रियों को किराए या इनाम पर ले जाने के लिए किया जा रहा है जो विशुद्ध रूप से वाणिज्यिक संचालन है और मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।”

 

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इसे सरल शब्दों में कहें तो, अधिकांश ओला/उबर/रैपिडो विविध बाइक जो आपको मिलेंगी उनमें आमतौर पर निजी नंबर प्लेट होती हैं (पीली टैक्सी नंबर प्लेट के विपरीत जो आमतौर पर सरकार द्वारा पंजीकृत वाहनों को दी जाती हैं)। जैसा कि यह उपरोक्त 1988 अधिनियम के मानदंडों के खिलाफ जाता है, परिवहन मंत्रालय ने वर्तमान बाइक को अपंजीकृत माना है और इसलिए, अवैध होने का करार दे दिया है।

 

लेकिन क्या होगा अगर ओला, उबेर, रैपिडो बाइक चालक ड्राइविंग जारी रखें?

नोटिस में ऐसी कंपनियों के बाइक सवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का विवरण दिया गया है, अगर वे अपनी सेवाएं जारी रखते हैं। पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। अगर दोबारा अपराध किया जाता है तो 10 हजार रुपये जुर्माना के साथ ही कारावास भी भुगतना होगा। यदि अपराध दोहराया जाता है, तो चालक का ड्राइविंग लाइसेंस भी कम से कम तीन महीने की अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है।

 

कहां लागू है यह नया नियम?

जैसा कि नोटिस में स्पष्ट रूप से दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) का उल्लेख किया गया है, कानूनी अधिकार क्षेत्र शायद सिर्फ दिल्ली होगा, न कि नोएडा (उत्तर प्रदेश), गुरुग्राम (हरियाणा), गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) या फरीदाबाद (हरियाणा) इसलिए, आप अभी भी नोएडा में प्वाइंट ए से नोएडा में प्वाइंट बी तक रैपिडो या ओला बाइक या उबेर बाइक ले सकते हैं लेकिन आप नोएडा में प्वाइंट ए से दिल्ली में प्वाइंट बी तक रैपिडो या ओला बाइक या उबेर बाइक नहीं ले सकते।

 

बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर आशंका क्यों?

कुछ हफ़्ते पहले,सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ओला, रैपिडो बाइक पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था, जिसका कारण यह था कि राइड एग्रीगेटर के पास बाइक, टैक्सी और रिक्शा सेवाओं को संचालित करने के लिए आवश्यक लाइसेंस नहीं है। निजी पंजीकरण के मुद्दे के अलावा, इन दिनों निजी बाइक सेवाओं को लेकर अधिकांश चिंताएं उपयोगकर्ता सुरक्षा को लेकर भी हैं।

 

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पिछले दिसंबर में, केरल की एक महिला के साथ कथित तौर पर दो लोगों ने गैंगरेप किया था, जिनमें से एक रैपिडो ड्राइवर था। इस मामले ने बाइक टैक्सियों की व्यवहार्यता और सुरक्षा पर बहस शुरू कर दी। एक बड़ी चिंता यह थी कि चौपहिया वाहनों के कैब के विपरीत, इन दोपहिया वाहनों में आपातकालीन बटन का कोई प्रावधान नहीं है। कारों में, आपातकालीन बटन आमतौर पर निकटतम पुलिस स्टेशन को अलर्ट कर सकता है।

 

कंपनियां कैसी प्रतिक्रिया दे रही हैं?

जबकि ओला, उबर और रैपिडो जैसी प्रमुख बाइक राइड कंपनियों ने प्रतिक्रिया में कोई बयान जारी नहीं किया है, यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी “सफेद नंबर प्लेट” को “पीले” में बदलने के तरीकों का पता लगाना होगा। ऐसी कंपनियों के कई बाइक चालकों ने अपनी निजी स्वामित्व वाली मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल किया, वे अक्सर सार्वजनिक परिवहन के लिए वाहनों को पंजीकृत नहीं करवाते थे। यह सामान्य मानदंड रहा है।

 

लेकिन अब इस तरह की बाइक राइड मुहैया कराने में शामिल एग्रीगेटर ऐप्स के लिए भी सख्त सजा का जिक्र वाले नोटिस से कंपनियों को निश्चित तौर पर तगड़ा झटका लगेगा।