सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायधीश बी. आर. गवई(BR Gavai) पर एक वकील ने जूता फेंकने का प्रयास किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जूता, मुख्य न्यायधीश तक नहीं पहुँच सका और वकील को सुरक्षाकर्मी द्वारा पकड़ लिया गया। बाहर ले जाते समय वकील राकेश किशोर ने नारा लगाया – सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। इन सब के बाद भी मुख्य न्यायधीश ने कहा कि – इन सब का मुझ पर कोई असर नहीं।
BR Gavai: भगवान विष्णु कि मूर्ति को लेकर कि थी टिप्पणी
माना जा रहा है कि है कि यह हमला मुख्य न्यायधीश कि विष्णु मूर्ति कि टिप्पणी को लेकर किया गया है। 16 सितंबर को खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति कि पुनर्स्थापन की सुनवाई को लेकर सीजीआई बी. आर. गवई(BR Gavai) ने कहा था – ‘जाओ और अपने भगवान से खुद कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के भक्त हो तो उनसे जाकर प्रार्थना करो।’ हालांकि बाद में मुख्य न्यायधीश ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। न्यायपालिका किसी धर्म के खिलाफ़ नहीं है। मैं व्यक्तिगत रूप से सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ।
जानें कौन है वकील राकेश किशोर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्य न्यायधीश बी. आर. गवई(BR Gavai) पर जूता फेंकेने वाले व्यक्ति कि पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है उसकी उम्र 60 साल है। सुप्रीम कोर्ट बार में राकेश किशोर का रजिस्ट्रेशन साल 2011 में हुआ था। राकेश किशोर बी-602, रिवरव्यू अपार्टमेंट मयूर विहार-I एक्सटेंशन, दिल्ली के रहने वाले हैं। हालांकि घटना के बाद बार एसोसिएशन ने राकेश किशोर के अभ्यास पर प्रतिबंध लगा दिया है
SCAORA ने की निंदा
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCOARA) का कहना है, “घटना पर हमें दुख है और हम वकील से असहमति व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने अनुचित और असंयमित व्यवहार से भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद और अधिकार का अनादर करने की कोशिश की। ऐसा आचरण बार के सदस्य के लिए अनुचित है और बेंच और बार के बीच संबंधों को बनाए रखने वाले आपसी सम्मान की नींव पर प्रहार करता है।
SCOARA ने आगे कहा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय इस घटना का स्वतः संज्ञान ले और न्यायालय की अवमानना के लिए उचित कार्यवाही शुरू करे , क्योंकि यह व्यवहार सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कलंकित करने और जनता की नजरों में इसकी गरिमा को कम करने का एक सोचा-समझा कदम है।
अब इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं-
लेकिन इस घटना के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब किसी भी व्यक्ति की धार्मिक आस्था, देश की संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करने का लाइसेंस दे सकती? भारत एक ऐसा देश है जहाँ संविधान और कानून सबसे ऊपर हैं। किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना इतनी बड़ी नहीं हो सकती कि वह देश के कानून को तोड़े या संविधान पर हमला करे। किसी भी धर्म में, खास तौर पर सनातन धर्म में, विरोध जताने के लिए हिंसा का सहारा लेने की अनुमति नहीं है। अब देखना यह है कि वकील राकेश किशोर पर क्या कार्यवाही की जाती है