उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला क्षेत्र में मंगलवार को प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह कार्रवाई किसी आम अतिक्रमण पर नहीं, बल्कि उस व्यक्ति पर थी जिसे लोग ‘छांगुर बाबा’ के नाम से जानते हैं—एक ऐसा नाम, जो अब कथित अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग और संगठित आपराधिक नेटवर्क के पर्याय के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है छांगुर बाबा(Chhangur Baba) पर लगे इल्जाम?
छांगुर बाबा(Chhangur Baba) पर आरोप है कि उन्होंने धर्मांतरण का संगठित रैकेट चला रखा था और इस काम में उन्हें करीब 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग प्राप्त हुई थी। पुलिस और एटीएस की जांच के अनुसार बाबा और उनके सहयोगियों ने न केवल लोगों को धर्म बदलवाने के लिए उकसाया, बल्कि इसके लिए बाकायदा रेट लिस्ट भी तय कर रखी थी।
कैसे शुरू हुआ छांगुर बाबा(Chhangur Baba) का खेल?
छांगुर बाबा(Chhangur Baba) खुद को ‘पीर’ बताता था और लंबे समय से उतरौला क्षेत्र में सक्रिय था। लोगों को आध्यात्मिक सलाह देने के नाम पर बाबा ने एक बड़ा नेटवर्क खड़ा किया। बाबा का अड्डा न सिर्फ धार्मिक गतिविधियों के लिए प्रयोग होता था, बल्कि वहां राजनीतिक लोगों, कारोबारियों और खास वर्गों की भी आवाजाही थी।
बाबा ने धीरे-धीरे सरकारी जमीन और आसपास की निजी जमीनों पर कब्जा कर लिया। वहां उसने एक आलीशान कोठी खड़ी की, जिसमें करीब 40 सजे हुए कमरे, मॉड्यूलर किचन, शानदार बेड और छत पर बड़ा सोलर पैनल लगा हुआ था। यह बंगला किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं था।
लव जिहाद और धर्मांतरण का मॉडल
छांगुर बाबा(Chhangur Baba) का नेटवर्क सिर्फ आध्यात्मिक या धार्मिक नहीं था, बल्कि उसके पीछे मजबूत संगठित गिरोह काम कर रहा था। लखनऊ की रहने वाली युवती गुंजा गुप्ता ने मामले की शुरुआत की जब उसने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति अमित बनकर उससे दोस्ती कर धर्म परिवर्तन कराने के इरादे से उसे बाबा के पास ले गया।
छांगुर बाबा और उसके साथियों – नीतू उर्फ नसरीन, नवीन उर्फ जमालुद्दीन, और अबू अंसारी – ने कथित रूप से उसका ब्रेनवॉश किया। *गुंजा* का नाम बदलकर अलीना अंसारी रखा गया और उसे इस्लाम कबूल करने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव में रखा गया।
जांच में खुलासा हुआ कि बाबा ने धर्मांतरण के लिए जाति के हिसाब से रेट तय कर रखे थे:
1. ब्राह्मण/क्षत्रिय/सिख लड़कियाँ: ₹15–16 लाख
2. पिछड़ी जाति की लड़कियाँ: ₹10–12 लाख
3. अन्य जातियों की लड़कियाँ: ₹8–10 लाख
यह सुनियोजित और रणनीतिक तरीके से युवतियों को प्रेम जाल में फँसाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था।
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विदेशी फंडिंग और संपत्ति साम्राज्य
एटीएस और स्थानीय खुफिया एजेंसियों ने जब मामले की छानबीन शुरू की, तो पता चला कि छांगुर बाबा को विदेशी NGO और कुछ खाड़ी देशों से मोटी फंडिंग मिल रही थी। अनुमान है कि बाबा और उनके नेटवर्क ने पिछले कुछ वर्षों में लगभग ₹100 करोड़ की अवैध संपत्ति जमा की।
दो बड़े शोरूम उतरौला बाजार में – जहां ब्रांडेड रेडीमेड कपड़े और जूते बेचे जाते थे
1.आलीशान कोठियाँ, लक्ज़री गाड़ियाँ
2.बैंक अकाउंट्स में करोड़ों की रकम
3.विभिन्न राज्यों में प्रॉपर्टी निवेश
बुलडोजर एक्शन: बाबा का साम्राज्य हुआ नष्ट

मंगलवार को सुबह से ही बाबा के ठिकानों पर बुलडोजर कार्रवाई शुरू की गई। प्रशासन ने अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ऑपरेशन शुरू किया। बाबा की सहयोगी नीतू रोहरा की कोठी के अवैध हिस्से को भी चिन्हित कर तोड़ दिया गया।
प्रशासन ने साफ किया कि जिन संपत्तियों का कोई वैध रिकॉर्ड नहीं है या जो ग्रामसभा/सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाई गई हैं, उन्हें ध्वस्त किया जाएगा।
इस कार्रवाई के पहले चरण में:
– छांगुर बाबा की कोठी के 40 में से 25 कमरे तोड़े गए
– शोरूम में रखे माल को जब्त किया गया
– बाबा के सभी बैंक खातों को सीज़ किया गया
बुलडोजर फिलहाल बुधवार सुबह 10 बजे से दोबारा शुरू होगा, ताकि बाकी अवैध निर्माण को भी ढहाया जा सके।
बाबा फरार, तलाश जारी

कार्रवाई से पहले ही छांगुर बाबा मौके से फरार हो गए। हालांकि ATS ने उन्हें पिछले सप्ताह गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोग अभी भी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में छापेमारी कर रही है।
इन सदस्यों की हो रही तलाश
एटीएस के मुताबिक झांगुर बाबा गिरोह के मुख्य सदस्यों में शामिल महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, एमेन रिजवी (कथित पत्रकार), सगीर की तेजी से तलाश की जा रही है। इनकी गिरफ्तारी होने पर इस गिरोह के नेटवर्क के बारे में और जानकारी मिलेगी। इस गिरोह के कई सदस्यों के खिलाफ आजमगढ़ के देवगांव थाने में भी वर्ष 2023 में एफआईआर दर्ज हुई थी। इसका ब्योरा भी एटीएस ने आजमगढ़ पुलिस से मांगा है। एटीएस जल्दी ही झांगुर व नीतू उर्फ नसरीन को रिमाण्ड पर लेगी।
सूत्रों के अनुसार, बाबा का नेटवर्क दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है। एजेंसियाँ यह भी जांच कर रही हैं कि क्या इस नेटवर्क को राजनीतिक या अंतरराष्ट्रीय संरक्षण मिला हुआ था।
सामाजिक प्रतिक्रिया: आस्था से धोखे तक
स्थानीय लोग जो पहले छांगुर बाबा को एक ‘दरवेश’ या ‘पीर’ मानते थे, अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। बाबा की चमत्कारी कहानियाँ अब धोखा, ठगी और आपराधिक षड्यंत्र की परछाईं में ढलती जा रही हैं।
आस्था की आड़ में षड्यंत्र
छांगुर बाबा का मामला महज एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह एक प्रशासनिक और सामाजिक चेतावनी है। धर्म, आस्था और सेवा के नाम पर चल रही आपराधिक गतिविधियाँ अगर समय रहते न रोकी जाएँ तो वे पूरे समाज की नींव को हिला सकती हैं।
बलरामपुर की यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और फर्जी धार्मिक गिरोहों के खिलाफ सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति का प्रतीक बन चुकी है।