दीपक पूनिया
दीपक पुनिया ने पहली बार गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया….उनका जन्म 19 मई 1999 को हरियाणा के छारा गांव में हुआ। उनके पिता का नाम सुभाष पुनिया है जो पेशे से एक किसान है और साथ ही दूध बेचने का भी काम करते हैं,और उनकी माता का नाम कृष्णा पुनिया है।
जब दीपक पूनिया छोटे थे तब उनके पिताजी उन्हेल दंगल दिखाने ले जाया करते थे। दीपक पूनिया 86 किलोग्राम में भार वर्ग में खेलते हैं और इनकी हाइट 6 फुट 1 इंच है। गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे दीपक पूनिया को कुश्ती से बेहद प्यार था।वो 5साल की उम्र से ही कुश्ती का प्रेक्टिस क्या करते थे और छोटी मोटी दंगल भी खेला करते थे।
उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में सरकारी स्कूल से ही पूरी की, दीपक पूनिया अभी 23 साल के हैं। वो हिंदू धर्म में जाट जाति से बिलॉन्ग करते हैं। पूनिया ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग वीरेंद्र सिंह छारा के अंडर में की थी। वीरेंद्र सिंह छारा भी एक रेसलर रह चुके हैं और साथ ही साथ उनको अर्जुन अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।
ट्रेनिंग कि शुरुआत
साल 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया लेकिन उसमें उसे जीत नहीं मिली लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और आगे बढ़ते रहें, फिर 2018 में उन्होंने फिर से एशियाई जूनियर चैंपियनशिप अपने हुनर का प्रदर्शन भारत देश की तरफ से किया।
भारत देश के सम्मान में गोल्ड मेडल अपने नाम किया और इसी वर्ष विश्व जूनियर चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर उन्होंने रजत पदक को अपने नाम किया। और फिर उनकी प्रतिभा को देखते हुए 2019 में उन्हें विश्व चैंपियनशिप का हिस्सा बनने के लिए न्यौता मिला पर बदकिस्मती से वह अपने टखने में लगी चोट की वजह से वहाँ नहीं जा पाए। वर्ष 2020 में एशियन चैंपियनशिप में 86 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया।
उपलब्धियों
पिछले साल यानी वर्ष 2021 में एशियाई चैंपियनशिप में दीपक पूनिया ने रजत पदक प्राप्त किया और वर्ष 2022 में एशियन चैंपियनशिप में, 86 kg वर्ग में भी रजत पदक किया,उन्होंने इसी साल यासर डोगू प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता और कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 86 किलोग्राम भारवर्ग के फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में उन्होंने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के रेसलर मोहम्मद इनाम को हराकर गोल्ड मेडल जीता।