दिल्ली के लाल बाग में इन दिनों जगह-जगह बुलडोजर कार्रवाई चल रही है, जो कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और रेलवे की तरफ से की जा रही है। खासकर रेलवे की ओर से झुग्गियों को खाली कराने के लिए सबसे ज्यादा नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब दिल्ली के शाहदरा इलाके के लाल बाग में स्थित झुग्गियों को भी खाली करने का नोटिस जारी किया गया है। रेलवे द्वारा दिए गए इस नोटिस में अंतिम तिथि 31 जुलाई बताई गई है।
लाल बाग की झुग्गियों पर रेलवे का नोटिस
जब News Diggy की टीम मौके पर पहुंची और वहां रहने वाले लोगों से बात की, तो स्थानीय निवासियों ने बताया कि ये झुग्गियां 40 से 80 साल पुरानी हैं। उनका कहना है कि ये झुग्गियां रेलवे की सीमा से बहुत दूर हैं और इतने वर्षों में रेलवे की तरफ से कभी कोई आपत्ति नहीं जताई गई थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह कार्रवाई अचानक और बिना पूर्व सूचना के की जा रही है।
‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ नीति पर सवाल
निवासियों का कहना है कि यदि सरकार ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ की नीति पर काम कर रही है, तो उन्हें पक्के मकान मिलने चाहिए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। कुछ लोगों ने तो ये तक कहा कि उन्होंने कोई नोटिस नहीं देखा है और न ही उन्हें इस बारे में कोई जानकारी दी गई।
गरीब परिवारों की आर्थिक चुनौतियां
एक और बड़ी समस्या यह सामने आई कि वहां रहने वाले अधिकतर लोग गरीब और मजदूरी करने वाले हैं, जो महंगे किराए पर रहने में असमर्थ हैं। आस-पास कमरों का किराया काफी महंगा है, जो इन परिवारों की आमदनी से कहीं ज्यादा है।
बच्चों की पढ़ाई पर मंडराता खतरा
इस समय वहां के बच्चों के स्कूलों में परीक्षाएं चल रही हैं। सरकारी स्कूल भी पास ही हैं जहाँ ये बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे समय में घर खाली कराना बच्चों की पढ़ाई और भविष्य दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। लोगों का कहना है कि अगर कार्रवाई करनी भी थी, तो कम से कम कुछ महीनों की मोहलत दी जानी चाहिए थी ताकि वे वैकल्पिक व्यवस्था कर पाते।
विकास के नाम पर बेदखली?
लाल बाग की झुग्गियों पर मंडरा रहा यह खतरा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या गरीबों को विकास की आड़ में उनके हक से बेदखल किया जा रहा है? क्या सरकार की योजनाएं सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं?