दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को रोकने के लिए हाल ही में भाजपा सरकार द्वारा पारित प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। यह विधेयक अभिभावकों और छात्रों के लिए राहत का वादा करता है, लेकिन विपक्ष इसे “राजनीतिक ड्रामा” करार दे रहा है। हमारी खास बातचीत BJP की पूर्व निगम पार्षद प्रियंका गौतम के साथ हुई, जिन्होंने इस विधेयक की बारीकियों और इसके पीछे की मंशा को स्पष्ट किया।
विधेयक की मुख्य बातें: तीन साल तक फीस स्थिर
प्रियंका गौतम ने बताया कि यह विधेयक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए लाया गया है। उनके अनुसार, कई स्कूल बिना ठोस कारण के हर साल फीस बढ़ाते थे और फीस न चुका पाने वाले छात्रों को स्कूल से निकाल दिया जाता था। इस विधेयक के प्रमुख प्रावधान हैं:
- तीन साल तक फीस में कोई वृद्धि नहीं: स्कूल अब तीन साल तक फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।
- छात्रों की सुरक्षा: मनमाने कारणों से किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकाला जा सकेगा।
- अभिभावकों के लिए राहत: यह विधेयक मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए आर्थिक बोझ को कम करने का प्रयास है।
प्रियंका गौतम का कहना है, “यह विधेयक शिक्षा को व्यापार नहीं, बल्कि अधिकार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
पीएम मोदी की प्रेरणा: “हर बच्चा मेरा अपना”
प्रियंका गौतम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा, “पीएम मोदी ने कहा था कि दिल्ली का हर बच्चा उनका अपना है। यह विधेयक उनकी उस सोच का हिस्सा है, जहां शिक्षा को हर बच्चे का अधिकार माना गया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा को व्यापार की बजाय कल्याणकारी नीति के रूप में देख रही है।
रेखा गुप्ता की पहल: जनता की आवाज से बनी नीति
प्रियंका गौतम ने बताया कि यह विधेयक रेखा गुप्ता की सक्रियता का परिणाम है। एक दौरे के दौरान अभिभावकों ने उनसे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली की शिकायत की थी। इसके बाद रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सरकार तक पहुंचाया।
प्रियंका गौतम ने कहा, “यह विधेयक जनता की आवाज का नतीजा है। रेखा गुप्ता जी की मेहनत और अभिभावकों की शिकायतों ने इसे संभव बनाया।”
आप सरकार का विरोध: अतिशी पर प्रियंका का पलटवार
आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता अतिशी ने इस विधेयक को “calculated sham” करार देते हुए इसे दिखावे का कदम बताया। उन्होंने मांग की कि स्कूलों द्वारा ली गई अतिरिक्त फीस अभिभावकों को वापस की जाए।
इस पर प्रियंका गौतम ने तीखा जवाब देते हुए कहा, “अतिशी जी पढ़ी-लिखी हैं, उन्हें पहले विधेयक को ध्यान से पढ़ना चाहिए। उनकी मांगें पहले से ही इस बिल में शामिल हैं। यह विधेयक अभिभावकों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।”
विपक्ष के सवाल: “11 साल में AAP ने क्या किया?”
AAP ने यह सवाल उठाया कि अगर यह विधेयक इतना जरूरी था, तो BJP ने इसे पहले क्यों नहीं लागू किया? इस पर प्रियंका गौतम ने जवाब दिया, “हर नीति को लागू करने में समय लगता है। AAP ने 11 साल तक दिल्ली में शासन किया, लेकिन उन्होंने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अब जब BJP सरकार ने यह कदम उठाया है, तो इसे सकारात्मक रूप से देखना चाहिए।”
भविष्य की योजनाएं: शिक्षा में और सुधार
प्रियंका गौतम ने बताया कि यह विधेयक केवल शुरुआत है। भाजपा सरकार भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में और भी कल्याणकारी नीतियां लाने की योजना बना रही है, जो छात्रों और अभिभावकों के हितों को और मजबूत करेंगी।
निष्कर्ष: सियासत या बदलाव की शुरुआत?
दिल्ली में प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है। जहां BJP इसे अभिभावकों के लिए राहत का कदम बता रही है, वहीं AAP इसे “राजनीतिक नाटक”