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हिमाचल प्रदेश में सफल मतदान के बाद भी नहीं टूटा पिछले चुनाव का रिकॉर्ड, 70.34 फीसदी हुई वोटिंग।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों के लिए वोटिंग समाप्त हो चुकी है। नतीजा भी आठ दिसंबर को आ जाएगा। बीजेपी, कांग्रेस और आप सभी को उम्मीद है। चुनाव वहीं जीतेंगी। वैसे तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहता है, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी (AAP) भी है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 70.94 फीसदी मतदान हुआ। सबसे ज्यादा वोटिंग ऊना में 76.69 फीसदी हुई। वहीं कुल्लू में सबसे कम, जहां 67.41 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया। बता दें कि 2017 में हुए पिछले चुनाव में रिकॉर्ड 75.57 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

कितने जिलों कि स्थिति वोटों से हुई सफल और कितनों की स्थिति हुई असफल?

हिमाचल प्रदेश में  70.94 फीसदी वोटिंग हुई. सबसे ज्यादा 76.69 प्रतिशत वोट ऊना जिले में पड़े हैं. सोलन में 73.21 फीसदी, ऊना में 76..69 प्रतिशत और लाहौल स्पीति में 67.54 फीसदी मतदान हुआ है. बिलासपुर में 69.72%, चम्बा में 70.74%, हमीरपुर में 67.07%, कांगड़ा में 71.27%, किन्नौर में 62%, कुल्लू में 70.50%, शिमला 68.21% और सोलन में 75.12 फीसदी लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया. मंडी जिले 70. 76 वोटिंग हुई।

दूसरी तरफ चुनाव में कांग्रेस व सत्ताधारी दल बीजेपी के बीच मुकाबला।

वापसी कोशिश कर रही कांग्रेस को हिमाचल में हर पांच में सत्ता परिवर्तन की परंपरा पर भरोसा है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को अपनी ही पार्टी के बागियों और अग्निवीर योजना से नाराज युवाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। मौके को भुनाते हुए कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में अपनी रणनीति तैयार की और कैंपेनिंग की कमान प्रियंका गांधी ने अपने हाथ में ली।

कांग्रेस ने कहा?

 कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “हिमाचल वोट करेगा ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) के लिए, हिमाचल प्रदेश वोट करेगा रोजगार के लिए, हिमाचल प्रदेश वोट करेगा ‘हर घर लक्ष्मी’ के लिए। आइए, भारी संख्या में मतदान कीजिए और हिमाचल की प्रगति और खुशहाल भविष्य के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दीजिए।”

प्रियंका ने जमकर किया चुनाव प्रचार

हिमाचल प्रदेश में चुनाव की घोषणा के बाद प्रियंका ने मंडी, कांगड़ा, ऊना और सिरमौर के सतौन में एक-एक जनसभा करके राज्य के चारों संसदीय क्षेत्रों को कवर किया। चुनाव घोषणा से पहले प्रियंका ने सोलन में रैली भी की थी। उनके साथ राजस्थान के पूर्व डेप्युटी सीएम और हिमाचल चुनाव के पर्यवेक्षक सचिन पायलट ने 16 रैलियां कीं।

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर हिमाचल में कांग्रेस जीतती है तो इससे प्रियंका गांधी का राजनीतिक कद बढ़ेगा। वहीं राज्य में कांग्रेस की वापसी पार्टी के लिए बूस्टर डोज का काम करेंगी।

ज्यादा चर्चा में है कांग्रेस बनाएगी हिमाचल में इस बार अपनी सरकार।

हिमाचल में कांग्रेस की जीत की उम्मीदों के पीछे एक और वजह भी है, वह है- पार्टी का मजबूत संगठन। पिछले दिनों कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया था कि यूपी में कांग्रेस संगठन की कमी से जूझ रही है इसलिए वहां हम हारे लेकिन हिमाचल में कांग्रेस के पास जमीन पर कार्यकर्ता हैं और मजबूत पार्टी संगठन है।

एक्सपर्ट्स भी चाहते हैं कि इस बार बढ़े प्रियंका का राजनीतिक कद।

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं, ‘अगर हिमाचल में कांग्रेस जीतती है तो प्रियंका को श्रेय मिलेगा क्योंकि वह केंद्र बिंदु रही हैं। उन्होंने कांग्रेस के अलग-अलग धड़ों को संभाला। वहां सभी बागियों में तालमेल बिठाया। हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला के साथ मिलकर माइक्रो मैनेजमेंट लेवल पर काम किया। सचिन पायलट भी उनके साथ सक्रिय नजर आए। कांग्रेस अगर वहां जीतती है तो पार्टी के अंदर और बाहर भी प्रियंका का राजनीतिक कद बढ़ेगा। कांग्रेस ने वहां स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम, सेब की खेती पर बात की। चुनाव में यह सभी बातें उनके फेवर में जा सकती  है।