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India GDP Growth: पिछले 5 वर्ष से लगातार घट रही देश की विकास दर, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने चेताया

पिछले पांच वित्त वर्षों में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट (India GDP Growth Rate) को लेकर विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु (Kaushik Basu) ने सवाल खड़े किये हैं। बसु ने कहा कि इस दौरान देश की आर्थिक विकास दर लगातार घटी है। बसु ने हाल ही में देश में बढ़ती महंगाई (Inflation) को लेकर भी चेताया था। बसु ने कहा था कि भारत की समग्र वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन विकास शीर्ष स्तर पर ही केंद्रित है, जो एक चिंताजनक ट्रेंड है।

आइए विस्तार में जानते हैं।

बिगड़ते बाहरी वातावरण के बीच वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले साल के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में बड़ी गिरावट की उम्मीद है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में GDP विकास दर घटकर 6.9% रहने की उम्मीद है जो कि 2021-22 के 8.7% के मुकाबले बड़ी गिरावट मानी जा रही है। हालांकि, अक्तूबर के अनुमान के मुकाबले इसमें सुधार हुआ है, क्योंकि विश्व बैंक ने अक्तूबर में 2022-23 की जीडीपी के लिए 6.5 फीसदी का ही अनुमान लगाया था।

आने वाले समय में आर्थिक मोर्चे पर मिलेंगी चुनौतियां 

विश्व बैंक ने कहा है कि आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि ये परिस्थितियां ग्लोबल हैं, लेकिन इनका असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है। अमेरिका, यूरो क्षेत्र और चीन के घटनाक्रमों का असर भारत पर भी हुआ है। इसके साथ ही विश्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई 7.1% पर रहेगी।  

बढ़ती महंगाई के कारण जीडीपी पर क्या असर पड़ रहा?

बढ़ती महंगाई को नियंत्रण करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक समेत दुनिया भर के केंद्रीय बैंक लगातार अपनी ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं। इसका सीधा असर देश की सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ रहा है। इसके साथ ही चीन में कोरोना लॉकडाउन के कारण पूरी दुनिया के सप्लाई चेन पर बहुत बुरा असर पड़ा है. ऐसे में पूरी दुनिया में मंदी की आशंका बढ़ गई है।

आखिर क्यों GDP पर पड़ रहा असर?

बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के तमाम सेंट्रल बैंको के साथ ही रिजर्व बैंक भी लगातार ब्याज दरों में बढोतरी कर रहा है। इसका असर देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर पड़ रहा है। इसके अलावा चीन में कोरोना लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। यही वजह है कि दुनियाभर में मंदी की आशंका जताई जा रही है।

महंगाई पर काबू पाने के लिए RBI ने बढ़ाई ब्याज दरें 

बता दें कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था जुलाई-स‍ितंबर त‍िमाही में 6.3% की दर से बढ़ी। वहीं बढ़ती महंगाई का काबू पाने के ल‍िए आरबीआई (RBI) की तरफ से इस साल मई से लेकर अब तक ब्‍याज दर में 190 बेस‍िस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की गई है। बता दें कि जनवरी, 2022 से लेकर अब तक महंगाई अब भी सरकार के संतोषजनक लेवल से ऊपर बनी हुई है। 

ये जीडीपी (GDP) होती क्या है?

ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेज़ी या गिरावट आई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वन मंत्रालय, भारत सरकार जीडीपी का मूल्यांकन करती है।

कितने तरह की होती है GDP?

GDP दो प्रकार की होती है। पहली रियल GDP और दूसरी नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स (सामान) और सर्विस (सेवाओं) के मूल्य की गणना बेस ईयर की वैल्यू या स्थिर मूल्य पर की जाती है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो दाम थे, उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है।