जापान की संसद ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 64 वर्षीय साने ताकाइची(Sanae Takaichi) को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुना। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की प्रमुख ताकाइची ने शिगेरु इशिबा की जगह ली है, जिन्हें लगातार दो चुनावी हार के बाद इस्तीफा देना पड़ा। यह फैसला जापान की राजनीति में महिलाओं के सशक्तिकरण की बड़ी मिसाल बन गया है और इसे ‘#ChangeLDP’ अभियान की बड़ी जीत माना जा रहा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और साने ताकाइची(Sanae Takaichi) का सफर
साने ताकाइची(Sanae Takaichi) एलडीपी की पहली महिला नेता हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऐसी कुछ ही राजनेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने बिना किसी राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के शीर्ष पद हासिल किया। उन्होंने 1993 में नारा से पहली बार सांसद के रूप में जीत हासिल की थी। इसके बाद वे आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रहीं।
युवावस्था में वे हेवी-मेटल ड्रमर और बाइकर रहीं और वे ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को अपना आदर्श मानती हैं।
भारत से बधाई और वैश्विक प्रतिक्रिया
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा, “साने ताकाइची(Sanae Takaichi) को जापान का प्रधानमंत्री चुने जाने पर हार्दिक बधाई। भारत-जापान विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए आपके साथ काम करने की आशा है।”
मोदी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के गहरे संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।
क्वाड और विदेश नीति पर रुख
साने ताकाइची(Sanae Takaichi) क्वाड गठबंधन (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) की मजबूत समर्थक हैं। उनका चीन और उत्तर कोरिया के प्रति सख्त रुख साफ नजर आता है। उन्होंने रक्षा बजट को जीडीपी के 1.8% से बढ़ाने का वादा किया है ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती मिले।
विदेश नीति में वे पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की ‘आबेनॉमिक्स’ और ‘स्वतंत्र व खुले हिंद-प्रशांत’ दृष्टिकोण की समर्थक हैं।
आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां
प्रधानमंत्री बनने के बाद साने ताकाइची(Sanae Takaichi) के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं — घटती जनसंख्या, आर्थिक सुस्ती और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना। संसद के दोनों सदनों में एलडीपी अल्पमत में है, इसलिए उन्हें जापान इनोवेशन पार्टी जैसे सहयोगी दलों का समर्थन जुटाना होगा।
वे आबे की तरह विस्तारवादी खर्च नीतियों को आगे बढ़ाना चाहती हैं, लेकिन इसके लिए विपक्ष का सहयोग जरूरी होगा।
नया दौर और नई उम्मीदें
साने ताकाइची(Sanae Takaichi) की यह नियुक्ति न केवल जापान बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके नेतृत्व में जापान एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ वैश्विक मंच पर उभरेगा। हालांकि, उनकी दक्षिणपंथी नीतियां आर्थिक सुधारों को गति देंगी या नहीं — यह आने वाले समय में तय होगा।