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नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

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नीतीश कुमार

बंधन बनाए जाते हैं कभी भी न तोड़ने के लिए लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शायद इस बात से कोई वास्ता नहीं हैं। एनडीए से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हैं लेकिन इतनी गहरी दोस्ती में दरार आई कैसे?

 

बीजेपी से तोड़ा गठबंधन

साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) की तरफ से नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हर बार किसी गठबंधन का सहारा लेकर नीतीश आज तक बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होते रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू का रिश्ता 20 साल पुराना हैं, लेकिन इस पुराने रिश्ते को नीतीश पहले भी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के लिए ठुकरा चुके हैं। जेडीयू और एनडीए की पुरानी दोस्ती के अलग होने के कयास तो बहुत पहले से लगाए जा रहे थे। आज एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने साफ तौर पर बीजेपी से अपना दामन छुड़ा लिया हैं।

 

गठबंधन टूटने के पीछे की वजह केंद्र सरकार?

2020 के चुनाव में जेडीयू और एनडीए के गठबंधन को 125 सीट मिली जिसमे अकेले बीजेपी को 74 सीट मिली लेकिन बीजेपी ने गठबंधन की सरकार के बाद नीतीश कुमार को बिहार के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने कैबिनेट में अपने 2 मंत्री के लिए जब जगह मांगी तो केंद्र ने साफ इंकार कर दिया जिसके बाद बीजेपी और नीतीश के रिश्तों में खटास आई। नीतीश ने तो यह तक कह दिया कि अब वो आगे भी कैबिनेट में अपनी सरकार नहीं बनाएंगे।

 

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

केंद्र और आरसीपी सिंह की नजदीकियां नीतीश को नहीं आई रास

उसके बाद ही जेडीयू के पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह को जब ग्रहमंत्री अमित शाह की तरफ से इकलौती जगह मिली कैबिनेट में तो नीतीश ने इस पर अपना असहमति बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी मर्जी से कैबिनेट में उनकी पार्टी के मंत्री को शामिल नहीं कर सकती। इसके बाद केंद्र और आरसीपी की बढ़ती नजदीकियों को देख कर जब नीतीश को अपनी सीएम कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आई तो उन्होंने आरसीपी को राज्यसभा नही भेजा और उन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा जिसके बाद आरसीपी सिंह ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।

 

नीतीश केंद्र सरकार के फैसलों से नही थे राज़ी

भले ही जेडीयू और एनडीए का नाता सालों पुराना था लेकिन जब रिश्तों गड़बड़ाते हैं तो कितने भी पुराने रिश्तें हो टूट जाते हैं। नीतीश केंद्र सरकार के कई फैसलों से काफी समय से खुश नहीं थे उनके और सरकार के विचार कई मामलों में एक जैसे नहीं थे लेकिन नीतीश गठबंधन से जकड़े हुए थे जिसकी वजह से वो कई फैसलों पर उनकी मर्जी ना होने के बाद भी सरकार का विरोध नही कर सकते थे।

 

काफी समय से नाराजगी की वजह से नीतीश प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर जब डिनर का निमंत्रण मिला तो कोरोना का हवाला देकर उसे भी नीतीश ने टाल दिया। इन बातों से साफ जाहिर हैं कि नीतीश इस गठबंधन को तोड़ना चाहते थे।

 

गठबंधन टूटने पर मंत्रियों की प्रतिक्रिया

बिहार के बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल का कहना हैं की बीजेपी और बिहार की जनता को नीतीश ने धोका दिया हैं। आरसीपी सिंह ने कहा हैं की जेडीयू डूबता हुआ जहाज हैं जिसपर जेडीयू के अध्यक्ष लल्लन सिंह ने आरजेडी तैरता हुआ जहाज हैं। कई नेता जेडीयू के पक्ष में बोल रहे हैं तो वही विपक्ष इससे काफी खुश नजर आ रहा हैं।

 

क्या होगा नीतीश का अगला कदम?

सूत्रों की माने तो नीतीश अब एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद विपक्ष यानी आरजेडी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपनी महागठबंधन की सरकार बनायेंगे। जिसके बाद वो मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनायेंगे। नीतीश कई बार गठबंधन तोड़ चुके तो देखना होगा कि ये गठबंधन कितनी दूर तक जाएगा।