31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन, चीन में आयोजित 25वां शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit) शिखर सम्मेलन अपने 24 साल के इतिहास का सबसे बड़ा आयोजन रहा। 20 से अधिक विश्व नेताओं, 10 सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपायों, आर्थिक सहयोग और वैश्विक शासन पर महत्वपूर्ण चर्चा की। यह लेख तियानजिन एससीओ शिखर सम्मेलन(SCO Summit) के प्रमुख बिंदुओं, परिणामों और भारत की भूमिका का संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
SCO Summit: उद्घाटन और द्विपक्षीय वार्ताएंउद्घाटन समारोह
एससीओ शिखर सम्मेलन(SCO Summit) का उद्घाटन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रथम महिला पेंग लियुआन ने तियानजिन के मीजियांग कन्वेंशन सेंटर में किया। शी ने अपने मुख्य भाषण में “शंघाई भावना” को रेखांकित किया और “शीत युद्ध मानसिकता” की आलोचना की। उन्होंने एससीओ इंटरबैंक कंसोर्टियम के लिए 2 बिलियन युआन के अनुदान और 10 बिलियन युआन के ऋण की घोषणा की।
प्रमुख उपस्थित लोग
सदस्य देश: शी जिनपिंग (चीन), नरेंद्र मोदी (भारत), व्लादिमीर पुतिन (रूस), शहबाज शरीफ (पाकिस्तान), आदि।
पर्यवेक्षक/संवाद भागीदार: तुर्की, नेपाल, मालदीव, आर्मेनिया, आदि।
अंतरराष्ट्रीय संगठन: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित अन्य।
मुख्य सत्र: आतंकवाद पर जोर
पहले दिन का फोकस आतंकवाद विरोधी सहयोग पर रहा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) का मुद्दा उठाया, जिसे तियानजिन घोषणापत्र में शामिल किया गया। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान उग्रवाद का जवाबी मुद्दा उठाया, जिससे तनाव बढ़ा, लेकिन एससीओ के नियमों ने इसे नियंत्रित किया।
द्विपक्षीय बैठकें

भारत-चीन: मोदी और शी की 50 मिनट की बैठक में सीमा व्यापार, कैलाश मानसरोवर यात्रा और LAC पर शांति जैसे मुद्दों पर सहमति बनी।
अन्य: शी ने बेलारूस, किर्गिजस्तान, मालदीव और तुर्की के नेताओं से मुलाकात की। मोदी ने आर्मेनिया, मिस्र और नेपाल के साथ व्यापार और स्थिरता पर चर्चा की।
स्वागत भोज
शी और पेंग ने एक भव्य भोज की मेजबानी की, जिसमें मोदी, पुतिन और अन्य नेताओं ने “पारिवारिक फोटो” खिंचवाई, जो एकता का प्रतीक थी।
पूर्ण सत्र और समापन
पूर्ण सत्र
दूसरे दिन आर्थिक सहयोग, वैश्विक शासन और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा हुई।
भारत: मोदी ने “मेक इन इंडिया” और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिया।
रूस: पुतिन ने यूक्रेन युद्ध का बचाव किया और पश्चिमी प्रतिबंधों की निंदा की।
चीन: शी ने बहुध्रुवीय विश्व और “एससीओ प्लस” की वकालत की।
बेलारूस को पूर्ण सदस्यता दी गई।
एससीओ प्लस सत्र
इस सत्र में पर्यवेक्षक देशों और संवाद भागीदारों ने हिस्सा लिया। तियानजिन घोषणापत्र में आतंकवाद की निंदा और “एससीओ(SCO Summit) विकास रणनीति 2025–2035” को अपनाया गया। भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का समर्थन नहीं किया।
द्विपक्षीय बैठकें
भारत-रूस: मोदी और पुतिन की रूसी औरस कार में सवारी ने सुर्खियां बटोरीं। व्यापार, सुरक्षा और अंतरिक्ष सहयोग पर चर्चा हुई।
रूस-तुर्की/ईरान: पुतिन ने यूक्रेन और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता की।
परिणाम
तियानजिन घोषणापत्र: आतंकवाद की निंदा, विशेष रूप से पहलगाम हमले का उल्लेख।
SCO विकास रणनीति 2025–2035: व्यापार, ऊर्जा और डिजिटल सहयोग पर रोडमैप।
सांस्कृतिक पहल: किर्गिजस्तान के चोलपोन अता को 2025–2026 के लिए सांस्कृतिक राजधानी नामित किया गया।
आंतरिक गतिशीलता और प्रमुख क्षण
भारत-पाकिस्तान तनाव: पहलगाम हमले का घोषणापत्र में उल्लेख भारत की कूटनीतिक जीत थी।
भारत-चीन संबंध: मोदी-शी की गर्मजोशी भरी बैठक ने तनाव में कमी का संकेत दिया।
रूस की भूमिका: पुतिन की सक्रियता ने रूस की एससीओ में अहमियत दिखाई।
चीन का नेतृत्व: शी ने ग्लोबल साउथ मंच के रूप में एससीओ को पेश किया।
निष्कर्ष
तियानजिन में 2025 का एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit)वैश्विक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। भारत ने आतंकवाद और आर्थिक सहयोग पर मजबूत रुख अपनाया, जबकि चीन और रूस ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा दिया। तियानजिन घोषणापत्र और विकास रणनीति ने अगले दशक के लिए एससीओ के लक्ष्य निर्धारित किए। भारत-पाकिस्तान तनाव और बीआरआई पर असहमति के बावजूद, एससीओ शिखर सम्मेलन(SCO Summit) ने एकजुटता का संदेश दिया।