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बारिश के आधे घंटे में डूबा शालीमार बाग़, सीएम के पुराने क्षेत्र की हक़ीक़त उजागर

newsdiggy
Last updated: July 22, 2025 2:11 pm
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Published July 22, 2025
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शालीमार बाग़
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दिल्ली का शालीमार बाग़, जो कभी अपनी व्यवस्था और प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता था, आज बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। हाल ही में हुई आधे घंटे की बारिश ने इस क्षेत्र की जल निकासी व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियों की पोल खोल दी। जलभराव ने न केवल यातायात को ठप किया, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दीं। यह वही क्षेत्र है, जहां दिल्ली की वर्तमान मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता पहले विधायक रहीं और आज भी उनका आवास यहीं है। फिर भी, यह इलाका प्रशासनिक लापरवाही और नगर निगम की उदासीनता का शिकार बना हुआ है।

Contents
जल निकासी की समस्या: कागज़ों में काम, ज़मीन पर नाकामीप्रमुख समस्याएँ:सड़कें बनीं तालाब, वाहन और व्यापार ठपदुकानें बंद करनी पड़ीं। स्थानीय दुकानदारों का डरअंडरपास: पानी का गड्ढा, खतरे का ठिकानानिवासी की शिकायतप्रशासनिक लापरवाही और जनता का आक्रोशजनता के सवाल:निष्कर्ष: क्या शालीमार बाग़ को मिलेगा समाधान?आवश्यक कदम:

Table of Contents

Toggle
  • जल निकासी की समस्या: कागज़ों में काम, ज़मीन पर नाकामी
    • प्रमुख समस्याएँ:
  • सड़कें बनीं तालाब, वाहन और व्यापार ठप
    • दुकानें बंद करनी पड़ीं। स्थानीय दुकानदारों का डर
  • अंडरपास: पानी का गड्ढा, खतरे का ठिकाना
    • निवासी की शिकायत
  • प्रशासनिक लापरवाही और जनता का आक्रोश
    • जनता के सवाल:
  • निष्कर्ष: क्या शालीमार बाग़ को मिलेगा समाधान?
    • आवश्यक कदम:

जल निकासी की समस्या: कागज़ों में काम, ज़मीन पर नाकामी

शालीमार बाग़ में जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, नालों की सफाई केवल दिखावे के लिए होती है। MCD कर्मचारी ऊपरी मिट्टी हटाकर उसे पास में ही छोड़ देते हैं, जो बारिश में वापस नालों को बंद कर देती है। नालों की खुदाई और मरम्मत का काम फाइलों तक सीमित रहता है, जबकि ज़मीन पर आधा-अधूरा काम ही दिखता है।

प्रमुख समस्याएँ:

  • नालों की नियमित सफाई का अभाव
  • अधूरी खुदाई और रखरखाव
  • जलभराव से बढ़ता बीमारियों और दुर्घटनाओं का खतरा

स्थानीय निवासी की राय:

“हर साल यही हाल है। बारिश के बाद सड़कें तालाब बन जाती हैं। नेताओं के वादे केवल चुनाव तक सीमित रहते हैं।”

सड़कें बनीं तालाब, वाहन और व्यापार ठप

महज आधे घंटे की बारिश में शालीमार बाग़ की मुख्य सड़कें जलाशय में तब्दील हो गईं। दोपहिया वाहन पानी में डूब गए, और कारें रेंगने को मजबूर थीं। दुकानों के सामने पानी जमा होने से व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कई दुकानदारों को समय से पहले

दुकानें बंद करनी पड़ीं। स्थानीय दुकानदारों का डर

कई दुकानदारों ने बताया कि प्रशासनिक दबाव के डर से वे खुलकर अपनी समस्याएँ नहीं बता पाते। उनकी शिकायतों पर कार्रवाई के बजाय, दुकानें बंद करवाने की धमकी दी जाती है।

अंडरपास: पानी का गड्ढा, खतरे का ठिकाना

बारिश के बाद शालीमार बाग़ का अंडरपास पानी से लबालब हो गया, जिससे वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को भारी परेशानी हुई। स्कूल जाने वाले बच्चे, नौकरीपेशा लोग और आम नागरिक इस समस्या से त्रस्त हैं। अंडरपास में जमा पानी न केवल असुविधा का कारण है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ाता है।

निवासी की शिकायत

“चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए गए, लेकिन जल निकासी की समस्या जस की तस है। अगर मुख्यमंत्री का अपना क्षेत्र ही इस हाल में है, तो बाकी दिल्ली की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं।”

प्रशासनिक लापरवाही और जनता का आक्रोश

शालीमार बाग़ के निवासी अब इस स्थिति से तंग आ चुके हैं। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार और MCD को हर साल पर्यावरण, शहरी विकास और स्वच्छता के लिए करोड़ों रुपये का बजट मिलता है, लेकिन इसका उपयोग कहाँ होता है, यह सवाल अनुत्तरित है।

जनता के सवाल:

अगर मुख्यमंत्री का अपना क्षेत्र ही बदहाल है, तो बाकी दिल्ली का क्या हाल होगा?
बजट का पैसा कहाँ जा रहा है?
कब तक सिर्फ वादों से काम चलेगा?

निष्कर्ष: क्या शालीमार बाग़ को मिलेगा समाधान?

शालीमार बाग़ की जल निकासी समस्या कोई नई नहीं है। यह वर्षों की प्रशासनिक लापरवाही और ढीली व्यवस्था का परिणाम है। जनता अब केवल वादे नहीं, ठोस परिणाम चाहती है। अगर दिल्ली की मुख्यमंत्री का अपना क्षेत्र ही समस्याओं से घिरा है, तो यह पूरे प्रशासन पर सवाल उठाता है।

आवश्यक कदम:

  • नालों की नियमित और प्रभावी सफाई
  • जल निकासी के लिए आधुनिक और टिकाऊ व्यवस्था
  • पारदर्शी तरीके से बजट का उपयोग
  • स्थानीय लोगों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई

शालीमार बाग़ की जनता अब नेताओं से सिर्फ वादे नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण की उम्मीद करती है। जब तक जल निकासी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक हर बारिश इस क्षेत्र को डुबोती रहेगी—और जनता की उम्मीदें भी।

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