भारत में डिजिटल क्रांति का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। देश में पहली बार सैटेलाइट Starlink इंटरनेट सेवा लॉन्च होने की तैयारी तेज़ हो गई है। इस सेवा के जरिए उपग्रहों से सीधे इंटरनेट सिग्नल भेजे और प्राप्त किए जाएंगे, जिससे ग्रामीण, दूरदराज़ और पहाड़ी इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना संभव होगा।
सरकार ने इस सेवा के संचालन के लिए कंपनियों को लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल देश में डिजिटल डिवाइड (डिजिटल असमानता) को कम करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।
क्या है सैटेलाइट Starlink इंटरनेट सेवा?
सैटेलाइट Starlink इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है जिसमें इंटरनेट डेटा उपग्रहों के माध्यम से ट्रांसमिट किया जाता है। इसमें पारंपरिक मोबाइल टावरों, फाइबर केबल या ब्रॉडबैंड नेटवर्क की आवश्यकता नहीं होती। इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उन इलाकों में भी काम कर सकती है, जहाँ ज़मीन पर नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाना मुश्किल या महंगा है।
भारत में क्यों ज़रूरी है यह सेवा?
भारत में आज भी लाखों लोग तेज़ इंटरनेट सुविधा से वंचित हैं, विशेष रूप से ग्रामीण और पर्वतीय इलाकों में। सैटेलाइट Starlink इंटरनेट के माध्यम से देश के हर हिस्से तक डिजिटल सेवाओं की पहुंच संभव हो सकेगी। इसके जरिए ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन (दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाएं), कृषि संबंधित जानकारी, और डिजिटल बैंकिंग जैसी सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध हो पाएंगी।
यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ मिशन को नई गति देने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक समानता को भी प्रोत्साहित करेगी।
कौन-कौन सी कंपनियाँ जुड़ी हैं इस पहल से?
अब तक भारत सरकार ने तीन प्रमुख कंपनियों को सैटेलाइट Starlink इंटरनेट सेवा के लिए लाइसेंस जारी किए हैं यूटेलसैट वनवेब, जियो स्पेसफाइबर, स्टारलिंक इन कंपनियों की ओर से देशभर में ग्राउंड स्टेशन स्थापित करने और आवश्यक स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया जारी है।
क्या होंगी प्रमुख चुनौतियाँ?
सैटेलाइट Starlink इंटरनेट सेवा के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं।
- शुरुआती चरण में सेवा की लागत अधिक हो सकती है।
- लेटेंसी (सिग्नल में विलंब) के कारण रीयल-टाइम एप्लिकेशन जैसे ऑनलाइन गेमिंग या वीडियो कॉल पर असर पड़ सकता है।
- मौसम और भौगोलिक परिस्थितियाँ भी सिग्नल क्वालिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
इसके अलावा, डेटा सुरक्षा, लोकलाइजेशन और स्वदेशी नियंत्रण जैसे पहलुओं पर भी सरकार को विशेष ध्यान देना होगा।
कब तक शुरू होगी सेवा?
सूत्रों के अनुसार, सभी तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियाँ पूरी होने के बाद अगले वर्ष की शुरुआत तक यह सेवा देशभर में वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध हो सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल भारत को वैश्विक स्तर पर डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में अग्रणी बना सकती है और आने वाले वर्षों में इंटरनेट की पहुंच को पूरी तरह समावेशी बना देगी।