भारत के युवा पहलवान सुजीत कलकल (Sujeet Kalkal) ने अंडर-23 सीनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का नाम रोशन करते हुए 65 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है। यह इस टूर्नामेंट में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। पिछले संस्करण में ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट रहने वाले सुजीत कलकल (Sujeet Kalkal) ने इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में उज्बेकिस्तान के पहलवान को 10-0 के से तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर हराया।
फाइनल में रहा Sujeet Kalkal का दबदबा
फाइनल मुकाबले में सुजीत कलकल (Sujeet Kalkal) पूरी तरह हावी रहे। उन्होंने एकतरफा प्रदर्शन करते हुए उज्बेकिस्तान के पहलवान को तकनीकी श्रेष्ठता (Technical Superiority) से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। पूरे टूर्नामेंट में सुजीत का प्रदर्शन लगातार दमदार रहा — उन्होंने किसी भी मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी को हावी नहीं होने दिया।
कैसे जीता गोल्ड?
- पहला दौर: मोल्दोवा के फियोडोर चेवदारी को 12-2 से मात दी।
- दूसरा दौर: पोलैंड के डोमीनिक जैकब को 11-0 से हराया।
- क्वार्टर फाइनल: रूस के बशीर मागोमेदोव को 4-2 से शिकस्त दी।
- सेमीफाइनल: जापान के युतो निशियुची को 3-2 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया।
- फाइनल: उज्बेकिस्तान के पहलवान पर 10-0 की शानदार जीत के साथ गोल्ड अपने नाम किया।
इस तरह सुजीत ने पूरे टूर्नामेंट में पांच मुकाबले खेले और सभी में जीत दर्ज की।
2 बार के एशियाई Under-23 चैंपियन
सुजीत कलकल (Sujeet Kalkal) पहले भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं। वे दो बार अंडर-23 एशियाई खिताब (2022 और 2025) अपने नाम कर चुके हैं। उनका यह प्रदर्शन दिखाता है कि भारत के पास आने वाले वर्षों में वर्ल्ड और ओलंपिक स्तर पर एक मजबूत दावेदार तैयार हो रहा है।
महिलाओं का शानदार प्रदर्शन – बनी ओवरऑल चैंपियन
इससे पहले भारतीय महिला टीम ने भी इस प्रतियोगिता में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। महिला खिलाड़ियों ने कुल 7 पदक (2 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज) अपने नाम किए। इसके दम पर भारत की महिला टीम ने ओवरऑल टीम चैंपियनशिप का खिताब जीता। महिला वर्ग में यह भारत की अब तक की सबसे सफल प्रतियोगिता रही।
पुरुष वर्ग में केवल सुजीत को मिला मेडल
पुरुष वर्ग में हालांकि भारत को सिर्फ एक ही पदक से संतोष करना पड़ा। सुजीत कलकल (Sujeet Kalkal) ने गोल्ड जीतकर भारत की लाज बचाई, जबकि अन्य दो पहलवान ब्रॉन्ज मेडल बाउट तक पहुंचे लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके।
भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
सुजीत का यह स्वर्ण पदक भारत के लिए कई मायनों में खास है – यह भारत का इस टूर्नामेंट में पहला गोल्ड मेडल है, और साथ ही यह दिखाता है कि भारत की नई पीढ़ी के पहलवान अब विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ने लगे हैं।
भारतीय रेसलिंग फेडरेशन ने सुजीत की इस जीत को “देश की नई ताकत का प्रतीक” बताया है। फेडरेशन ने कहा — “सुजीत ने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया कि भारतीय कुश्ती का भविष्य बेहद उज्ज्वल है।”
सुजीत की यह जीत न सिर्फ उनके व्यक्तिगत करियर के लिए मील का पत्थर है, बल्कि भारतीय कुश्ती के लिए भी एक नई उम्मीद लेकर आई है। महिलाओं का ओवरऑल खिताब और सुजीत का गोल्ड – दोनों मिलकर बताते हैं कि भारत अब विश्व कुश्ती में सुनहरा अध्याय लिखने की राह पर है।


