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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों छोड़ा राजीव के हत्यारों को, क्या है उसके पीछे की ऐसी कहानी ?

राजीव के हत्यारों को

आइए जानते हैं

राजीव के हत्यारों को – जैसा कि आप सभी जानते हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 1991 में की गई थी। दोषियों को सजा हुई और 31 साल बाद दोषीयो को रिहा करने का आदेश दिया गया है  इस मामले में कई मोड़ आए। राज्य सरकार के स्तर पर, राज्यपाल के लेवल और फिर केंद्र तक। अब सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव के हत्यारों को क्या दिया आदेश?

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में जेल में बंद सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था.

कौन-कौन से 6 दोषी होंगे रिहा?

राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है. पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या देखकर किया पेरारिवलन को रिहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को जेल में अच्छे बर्ताव के कारण पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया था.

किस उम्र में हुआ था गिरफ्तार  पेरारिवलन और कब तक रहा जेल में बंद?

हां तो बता दें कि पेरारिवलन को जब गिरफ्तार किया गया था तो वह 19 साल का था। वह 31 साल तक जेल में बंद रहा।

क्या वजह थी जो पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था?

उसे ऐसी बैट्री खरीदने के लिए गिरफ्तार किया गया था जिनका इस्तेमाल बेल्ट बम बनाने में होता है। बेल्ट बम से ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गई थी।

क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?

संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत स्पेशल पावर दी गई है। इसके लिए लंबे समय से लंबित न्याय के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। इस आर्टिकल के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि रहेगा। इसके तहत कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो किसी लंबित पड़े मामले को पूरा करने के लिए जरूरी है।

क्या ये सच है? 19 दोषी पहले हो चुके हैं रिहा विस्तार से जानिए।

हां सच है 19 दोषी पहले हो चुके हैं रिहा।   ये फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. टाडा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को ही पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया. सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा गया था. बाद में इसे बदलकर उम्रकैद किया गया.

जब दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली तो रिहाई कैसे हो सकती है?

दरअसल, कोई भी कैदी राज्य सरकार की निगरानी में होता है। ऐसे में राज्य सरकार देखती है कि  किस कैदी का कैसा आचरण है। उम्रकैद की सजा पाने वाले कैदियों को कम से कम 14 साल जेल में रहना ही पड़ता है। हां, इसके बाद ये सजा 16 साल, 30 साल या ताउम्र भी हो सकती है। लेकिन, 14 साल के बाद अगर राज्य सरकार सजा खत्म करने अपील करती है तो उसकी सुनी जाती है। इस मामले में भी यही हुआ। राजीव गांधी के हत्या के दोषी सातों मुजरिम 31 साल से जेल में बंद थे। ऐसे में सजा की एक लंबी अवधि पूरी हो चुकी है।

राज्य सरकार ने अनुच्छेद-161 के तहत इन दोषियों की रिहाई के लिए प्रस्ताव पास किया था। इस अनुच्छेद के अनुसार, राज्य के राज्यपाल के पास किसी ऐसे मामले से संबंधित किसी भी कानून के खिलाफ किसी भी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने या निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति होती है। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा जाता है। राज्य सरकार के प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल बाध्यकारी होता है।