Day: August 9, 2022

  • श्रीकांत त्यागी धमकियों के 4 दिन बाद पुलिस ने दबोचा

    श्रीकांत त्यागी धमकियों के 4 दिन बाद पुलिस ने दबोचा

    कॉल रिकॉर्ड्स के ज़रिए आए नोएडा पुलिस की चपेट में

    श्रीकांत त्यागी बीजेपी के नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर पिछले चार दिनों से फरार थे और इस सबके बीच अब नोएडा पुलिस ने उन्हें मेरठ से उन के कॉल रिकॉर्ड्स के जरिए ढूंढ निकाला है।

     

    आरोपी के साथ साथ किया उनके तीन साथियों को गिरफ्तार

    बता दें कि सिर्फ आरोपी को ही नहीं बल्कि इनके साथ इनकी तीन साथियों को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है। नोएडा के सेक्टर 93बी में ग्रैंड ओमैक्स सोसायटी में रहने वाली एक महिला के साथ मारपीट करने के आरोप में और गाली गलौज करने के मामले में इनके खिलाफ़  गैंगस्टर ऐक्ट लगाया गया और इसी के बाद से ये फरार थे।

     

    घंटे की कड़ी पूछ्ताछ में थी पत्नी शामिल

    वह बीते 4 दिन से फरार चल रहे थे। जब श्रीकांत त्यागी नोएडा पुलिस के हाथों में आए तो उन्हीं के साथ उनके तीन साथियों को भी गिरफ्तार किया गया। इस उदंड व्यक्ति के खिलाफ़ नोएडा पुलिस ने ₹25,000 का इनाम भी रखा था। इन पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत महिला के साथ मारपीट करने और गाली गलौच करने का कड़ा इल्ज़ाम दर्ज किया गया था। बता दे मंगलवार को पुलिस ने श्रीकांत त्यागी की पत्नी को दोबारा हिरासत में लिया और इससे पहले भी उनके 24 घंटे की कड़ी पूछ्ताछ कर ली गई थी।

     

    आखिर कहाँ फरार था श्रीकांत त्यागी

    खुले आम अपनी ही सोसाइटी में रहने वाली एक महिला को धमकाने वाले श्रीकांत की गिरफ्तारी मेरठ शहर की श्रद्धा पूरी कॉलोनी। यहाँ त्यागी अपने एक करीबी के यहाँ छुपा हुआ था। पहले  देहरादून से हरिद्वार और फिर वहां से ऋषिकेश होते हुए सहारनपुर निकले थे इसके बाद जब मेरठ पहुंचे तो पुलिस ने गिरफतार कर लिया।

     

    आखिर क्या है ये पूरा मसला

    93बी के ग्रैंड ओमैक्स में रहने वाले श्रीकांत त्यागी भारतीय जनता पार्टी के एग्जीक्यूटिव मेंबर या यूं कहें कि लोकल लीडर कहलाने वाले  उद्दंड नेता है, इनकी बदसलूकी की वीडियो चुकी थी। अपनी सोसाइटी में रहने वाली महिला के साथ बदसलूकी करते हुए देख रहे थे।  श्रीकांत इस वीडियो में महिला को भद्दी भद्दी गालियां देते धक्का-मुक्की करते दिख रहे थे वीडियो में नासिर पर महिला से बदसलूकी कर रहे थे बल्कि उनके मना करने पर उन्हें अभी देते देख रहे थे।

     

    आखिर क्या होगा कानून का फैसला

    अब देखना यह है कि ऐसी स्थिति में अब देस का कानून उन पर कड़ी कार्रवाई करेगा या यह भी कुछ दिनोंदिनों में हम सब के बीच ज़मानत पर घूमते हुए नजर आएँगे।

  • फेयरवेल स्पीच वक्त क्या कहा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने?

    फेयरवेल स्पीच वक्त क्या कहा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने?

    उपराष्ट्रपति- वेंकैया नायडू 

    राष्ट्रपति के बारे में लगभग सब ही लोग जानते है लेकिन बात करे उपराष्ट्रपति के बारे में काफ़ी कम लोग जानते है। आज मैं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के बारे में बात कर रही हूँ। वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त (2022) को खतम हो रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 8 अगस्त को कहा कि जहां तक वह निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को जानते हैं, उनकी विदाई संभव नहीं है क्योंकि लोग उन्हें किसी न किसी के लिए बुलाते रहेंगे।

     

    वेंकैया नायडू को विदाई देने के लिए संसद सदस्यों द्वारा आयोजित संसद भवन परिसर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि अच्छे शब्दों का संग्रह वेंकैया नायडू की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए है, जिन्होंने हमेशा से मातृभाषा के उपयोग का प्रचार किया है। उच्च सदन और बाहर। पीएम मोदी ने कहा कि वेंकैया नायडू को केंद्र सरकार में शहरी विकास और ग्रामीण विकास दोनों विभागों को संभालने का अनूठा गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि शायद वेंकैया नायडू एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो राज्यसभा के सदस्य थे और इसके अध्यक्ष बने।

     

    वेंकैया नायडू ने कहा कि वह असंतुष्टनहीं बनेंगे 

    निवर्तमान राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि वह कभी भी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं रखते हैं और “असंतुष्ट” नहीं बनेंगे, लेकिन लोगों के साथ जुड़े रहेंगे और उनके साथ बातचीत करना जारी रखेंगे। अपने विदाई भाषण में, वेंकैया नायडू, जिन्होंने अक्सर कार्यवाही रुकने पर नाखुशी व्यक्त की है, ने कहा कि लोग उम्मीद करते हैं कि संसद चर्चा करेगी, बहस करेगी और बाधित नहीं होगी।

     

    उपराष्ट्रपति ने सदस्यों से सदन की छवि और सम्मान बनाए रखने के लिए “शालीनता, गरिमा और मर्यादा” का पालन करने की अपील की।उन्होंने सांसदों को उच्च मानकों का पालन करने की सलाह देते हुए कहा, “राजनेताओं के बारे में सामान्य भावना… सम्मान हर जगह घट रहा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि मूल्य प्रणालियों में गिरावट आ रही है। इसे ध्यान में रखें और अपना काम करने की कोशिश करें।

     

    अटकलों के बारे में बात करते हुए कि वे राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखते हैं, वेंकैया नायडू ने स्पष्ट किया, “मैं उस प्रकार का नहीं हूं, लोग अब अक्सर बात करते हैं – या तो राष्ट्रपति, अन्यथा असंतुष्ट या निवासी। मैं इन तीनों को नहीं करने जा रहा हूं।”मैंने कभी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं की, कभी असंतुष्ट नहीं बनूंगा और कभी भी निवास तक सीमित नहीं रहूंगा। मैं घूम रहा होता, आप सभी से मिलता, आप सभी का अभिवादन करता और बड़े मुद्दों पर आपसे बात करता।

     

    क्या है वेंकैया नायडू की इच्छा ? 

    वेंकैया नायडू ने कहा, “मैं राजनीति में नहीं जाऊंगा। हम सभी अपने रास्ते पर काम कर रहे हैं, हम दुश्मन नहीं हैं, हम प्रतिद्वंद्वी हैं।”वेंकैया नायडू ने अपने लगभग 10 मिनट के भाषण में कहा कि राज्यसभा के पास उच्च सदन होने के नाते “अधिक जिम्मेदारियां” हैं। वेंकैया नायडू ने कहा, “लोग चाहते हैं कि सदन चर्चा करे, बहस करे और फैसला करे – 3डी। वे अन्य डी नहीं चाहते हैं, जो कि व्यवधान है।”

     

    मेरी इच्छा है कि संसद अच्छी तरह से चले। कई सदस्य हैं जो अच्छे वक्ता हैं और जब अवसर आता है, तो मैं नए सदस्यों को तैयार होकर आता हूं। अब छात्र, ग्रामीण लोग और अन्य क्षेत्रों के लोग संसद की कार्यवाही देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “इसीलिए कभी-कभी, मुझे हस्तक्षेप करना पड़ता है और सख्त होना पड़ता है और कुछ लोगों का नाम लेने का बहुत खुशी का फैसला नहीं करना पड़ता है। अन्यथा, मुझे इस तरह की चरम कार्रवाई करने में कोई मजा नहीं है।”

     

    जिम्मेदारी से नहीं हटने के लिए आंसू थे 

    वेंकैया नायडू ने कहा कि जिस दिन से उन्होंने कुर्सी पर कब्जा किया है, उस दिन से उनकी किसी या किसी पार्टी के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी आंखों में आंसू थे जब उन्होंने भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठकों के बाद उपाध्यक्ष पद के लिए उनके नाम की घोषणा के बाद “भारी मन” के साथ भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।उन्होंने कहा, “जिम्मेदारी से नहीं हटने के लिए आंसू थे, बल्कि इसलिए कि मुझे पार्टी छोड़नी है, जिसने मुझे ये सब दिया है।

     

    यही मौका था। “नायडू ने कहा कि उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने और सभी पक्षों को समायोजित करने की पूरी कोशिश की उन्होंने कहा, “मैंने शायद उतना समय नहीं दिया जितना वे चाहते थे, लेकिन आप में से प्रत्येक को समय दिया गया है, चाहे वह शून्यकाल हो, विशेष उल्लेख हो, प्रश्नकाल हो या विधेयकों पर चर्चा और बहस हो,” उन्होंने कहा।

     

    सदस्यों ने राज्यसभा में वेंकैया नायडू को विदाई दी

    पार्टी लाइन से हटकर सदस्यों ने राज्यसभा में नायडू को विदाई दी, इसके अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका की सराहना की और याद किया कि उन्होंने कैसे प्रेरित किया और उन्हें अपनी मूल भाषाओं में बोलने की अनुमति दी। जबकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनसे एक आत्मकथा लिखने का आग्रह किया, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सराहना की कि “दबाव में” होने के बावजूद वेंकैया नायडू ने कैसे काम किया।

     

    यह देखते हुए कि नायडू के तहत सदन की उत्पादकता में वृद्धि हुई, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि निवर्तमान अध्यक्ष ने संवाद को प्रोत्साहित किया और उनकी विरासत उनके उत्तराधिकारियों का मार्गदर्शन करती रहेगी। वेंकैया नायडू, जिनकी 10 अगस्त की समाप्ति सुनिश्चित है, जगदीप धनखड़ द्वारा सफल होंगे। वेंकैया नायडू की विदाई के दौरान बोलते हुए, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने आंध्र प्रदेश के एक गांव से देश के दूसरे सबसे ऊंचे पद तक की उनकी यात्रा की सराहना की।सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने समय के पाबंद होने के लाभों के बारे में उनसे सीखा और सलाहकार समिति की बैठकों के लिए हमेशा होमवर्क के साथ तैयार होने की आवश्यकता थी।

     

    सदन चलाने के लिए अच्छा प्रबंधकीय कौशल है 

    सिंह ने कहा, “आपके मार्गदर्शन, समर्थन, सलाह और प्रोत्साहन के बिना उपसभापति के रूप में मेरी जिम्मेदारियों को निभाना बहुत मुश्किल होता। अध्यक्ष ने सभी महत्वपूर्ण क्षणों में मेरा समर्थन किया और आपके साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी।”खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वेंकैया नायडू के कार्यकाल में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए और गरीबों के कल्याण, सामाजिक सुरक्षा, व्यापार करने में आसानी, राष्ट्रीय एकता, महिला सुरक्षा, युवा और खेल और ट्रांसजेंडर विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए।

     

    वेंकैया नायडू के पास सदन चलाने के लिए अच्छा प्रबंधकीय कौशल है और 2020 में उनके कार्यकाल के दौरान, राज्यसभा की उत्पादकता 82.27 प्रतिशत थी। गोयल ने कहा कि वेंकैया नायडू ने हमेशा सदन में नए सदस्यों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपना पहला भाषण प्रतिभूति और बीमा कानून(संशोधन और सत्यापन) विधेयक 2010 पर सदन में उनके प्रोत्साहन के बाद दिया, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पेश किया था।

  • नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार

    बंधन बनाए जाते हैं कभी भी न तोड़ने के लिए लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शायद इस बात से कोई वास्ता नहीं हैं। एनडीए से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हैं लेकिन इतनी गहरी दोस्ती में दरार आई कैसे?

     

    बीजेपी से तोड़ा गठबंधन

    साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) की तरफ से नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हर बार किसी गठबंधन का सहारा लेकर नीतीश आज तक बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होते रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू का रिश्ता 20 साल पुराना हैं, लेकिन इस पुराने रिश्ते को नीतीश पहले भी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के लिए ठुकरा चुके हैं। जेडीयू और एनडीए की पुरानी दोस्ती के अलग होने के कयास तो बहुत पहले से लगाए जा रहे थे। आज एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने साफ तौर पर बीजेपी से अपना दामन छुड़ा लिया हैं।

     

    गठबंधन टूटने के पीछे की वजह केंद्र सरकार?

    2020 के चुनाव में जेडीयू और एनडीए के गठबंधन को 125 सीट मिली जिसमे अकेले बीजेपी को 74 सीट मिली लेकिन बीजेपी ने गठबंधन की सरकार के बाद नीतीश कुमार को बिहार के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने कैबिनेट में अपने 2 मंत्री के लिए जब जगह मांगी तो केंद्र ने साफ इंकार कर दिया जिसके बाद बीजेपी और नीतीश के रिश्तों में खटास आई। नीतीश ने तो यह तक कह दिया कि अब वो आगे भी कैबिनेट में अपनी सरकार नहीं बनाएंगे।

     

    नीतीश कुमार
    नीतीश कुमार

    केंद्र और आरसीपी सिंह की नजदीकियां नीतीश को नहीं आई रास

    उसके बाद ही जेडीयू के पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह को जब ग्रहमंत्री अमित शाह की तरफ से इकलौती जगह मिली कैबिनेट में तो नीतीश ने इस पर अपना असहमति बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी मर्जी से कैबिनेट में उनकी पार्टी के मंत्री को शामिल नहीं कर सकती। इसके बाद केंद्र और आरसीपी की बढ़ती नजदीकियों को देख कर जब नीतीश को अपनी सीएम कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आई तो उन्होंने आरसीपी को राज्यसभा नही भेजा और उन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा जिसके बाद आरसीपी सिंह ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।

     

    नीतीश केंद्र सरकार के फैसलों से नही थे राज़ी

    भले ही जेडीयू और एनडीए का नाता सालों पुराना था लेकिन जब रिश्तों गड़बड़ाते हैं तो कितने भी पुराने रिश्तें हो टूट जाते हैं। नीतीश केंद्र सरकार के कई फैसलों से काफी समय से खुश नहीं थे उनके और सरकार के विचार कई मामलों में एक जैसे नहीं थे लेकिन नीतीश गठबंधन से जकड़े हुए थे जिसकी वजह से वो कई फैसलों पर उनकी मर्जी ना होने के बाद भी सरकार का विरोध नही कर सकते थे।

     

    काफी समय से नाराजगी की वजह से नीतीश प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर जब डिनर का निमंत्रण मिला तो कोरोना का हवाला देकर उसे भी नीतीश ने टाल दिया। इन बातों से साफ जाहिर हैं कि नीतीश इस गठबंधन को तोड़ना चाहते थे।

     

    गठबंधन टूटने पर मंत्रियों की प्रतिक्रिया

    बिहार के बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल का कहना हैं की बीजेपी और बिहार की जनता को नीतीश ने धोका दिया हैं। आरसीपी सिंह ने कहा हैं की जेडीयू डूबता हुआ जहाज हैं जिसपर जेडीयू के अध्यक्ष लल्लन सिंह ने आरजेडी तैरता हुआ जहाज हैं। कई नेता जेडीयू के पक्ष में बोल रहे हैं तो वही विपक्ष इससे काफी खुश नजर आ रहा हैं।

     

    क्या होगा नीतीश का अगला कदम?

    सूत्रों की माने तो नीतीश अब एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद विपक्ष यानी आरजेडी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपनी महागठबंधन की सरकार बनायेंगे। जिसके बाद वो मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनायेंगे। नीतीश कई बार गठबंधन तोड़ चुके तो देखना होगा कि ये गठबंधन कितनी दूर तक जाएगा।