Day: January 2, 2023

  • Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर लगाई मुहर, जस्टिस नागरत्ना की सलाह अलग

    Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर लगाई मुहर, जस्टिस नागरत्ना की सलाह अलग

    सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के 2016 में नोटबंदी के निर्णय को सही माना है। केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को एक दम देश में नोटबंदी हो गई की थी। इसके दोराना 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। नोटबंदी के निर्णय के विरुद्ध 58 गुहार अवगाहन किया गया था। जिस पर 2 जनवरी यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया।

     

    कौन से दिन फैसला सुरक्षित किया गया?

    जस्टिस अब्दुल नजीर की उत्तराधिकार वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। निर्णय सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी। रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना जूडे रहे।

     

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में क्या क्या कहा?

    सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 की राय से केंद्र सरकार के 2016 में नोटबंदी के निर्णय को बिल्कुल सही ठहराया। कोर्ट ने माना कि केंद्र की 8 नवंबर, 2016 की घोषणा वैध है।

     

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच बातचीत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नोटबंदी का निर्णय लेते समय अपनाया गया तरीका में कोई कमी नहीं थी। इसलिए, उस घोषणा को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं।

     

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र सरकार को कानून और आरबीआई एक्ट ने हक़ दिए हैं। उसका प्रयोग करने से कोई बाधा नहीं कर सकता। अब तक दो बार नोटबंदी यानी विमुद्रीकरण के इस अधिकार का उपयोग अब तक हुआ है। ये तीसरा अवसर था। रिजर्व बैंक अकेले विमुद्रीकरण का फैसला नहीं कर सकता।

     

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    जस्टिस बीवी नागरत्ना ने क्या राय दी?

    जिस तरह से नोटबंदी की गई, उस पर जस्टिस बीवी नागरत्ना अलग रहे। उन्होंने कहा कि नोटबंदी कानून के साधन से होना चाहिए था। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, विमुद्रीकरण (नोटबंदी) की पुनः कानून के उलटी और गैरकानूनी शक्ति का उपयोग था। इतना ही नहीं यह नियम और अध्यादेश भी अनुचित थे। इसके होते हुए भारत के लोगों को से गुजरना पड़ा। यहा तक कि, इसे ध्यान में रखते हुए कि ये निर्णय 2016 में हुआ था, ऐसे में इसे बदला नहीं जा सकता।

     

    सरकार के निर्णय के विरुद्ध कितनी याचिका भर्ती?

    याचिकाकर्ताओं का दावा था कि सरकार सहित अपनाई गई तरीका में भारी खराबी थीं और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस तरीके ने इस देश के कानून के शासन का मजाक बना दिया। केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की खुशामद पर ही सरकार नोटबंदी कर सकती है। लेकिन यहां तरीके को ही उलट दिया गया। केंद्र ने निर्णय लेने के दौरान अहम दस्तावेजों को रोक दिया, जिसमें सरकार द्वारा आरबीआई को 7 नवंबर को लिखा गया पत्र और आरबीआई बोर्ड की बैठक के मिनट्स शामिल है।

     

    केंद्र सरकार ने क्या कहा था? 

    केंद्र ने याचिकाओं के उत्तर में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जाली नोटों, बेशुमार धन और टेररिस्ट जैसी हलचल से लड़ने के लिए नोटबंदी एक महत्वपूर्ण कदम था। नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित वित्तीय नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी देख-रेख नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई वेदना का मुकाबला नहीं की जा सकती। नोटबंदी ने नकली पैसों को सिस्टम से ज्यादा हद तक बाहर कर दिया. नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है।

     

    आरबीआई ने क्या क्या कहा था?

    केंद्र से खुशामद करने के लिए आरबीआई नियमित के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया। आरबीआई की केंद्रीय बोर्ड की बैठक में तय कोरम पूरा किया गया था, जिसने खुशामद करने का निर्णय किया गया था. लोगों को कई मौके दिए गए, पैसों को बदलने के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम की गई थी।

  • XBB 1.5 Covid Varrient: आ गया कोरोना वायरस का 120% भयानक वेरिएंट, व्यर्थ नतीजे वैक्सीनेशन को लेकर

    XBB 1.5 Covid Varrient: आ गया कोरोना वायरस का 120% भयानक वेरिएंट, व्यर्थ नतीजे वैक्सीनेशन को लेकर

    भारत पर बार बार आ रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से परेशानी बढ़ी हुई हैं। इस बीच ओमिक्रॉन (Omicron) के वेरिएंट XBB.1.5 का जिक्र खूब हो रहा है। जहां चीन (China) में एक तरफ सब वेरिएंट बीएफ। 7 (BF.7) ने लोगों की आफते बढ़ा रखी हैं तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में वेरिएंट XBB.1.5 की वजह से हंगामा मचा हुआ है।

     

    कितने फीसदी तेजी से फैलता है?

    बताया जा रहा है कि XBB.1.5 वेरिएंट बीक्यू 1 से 120 फीसदी तेजी से फैलता है.विद्वानो ने दावा किया है कि अमेरिका में 40 फीसदी से ज्यादा मामले ओमिक्रॉन के XBB.1.5 वेरिएंट के हैं। इससे अतिक्रमण लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की सलाह दी गई है। आइए इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं।

     

    डॉ. माइकल ओस्टरहोम ने क्या बताया?

    मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के स्पेशलिस्ट डॉ. माइकल ओस्टरहोम ने बताया कि अमेरिका में पाए गए कोरोना वायरस के 40 फीसदी से ज्यादा केस XBB.1.5 वेरिएंट के हैं। बता दें कि XBB की पहचान भारत में पहली बार अगस्त महीने में हुई थी। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वायरसविज्ञानी (Virologist) एंड्रयू पेकोज ने कहा कि वैरिएंट XBB.1.5 में म्यूटेशन एक अतिरिक्त है। इसकी वजह से यह बॉडी की कोशिकाओं से और अधिक अच्छे तरीके से जुड़ता है। इस कारण से इसका संक्रमण तेजी से ‌है।

     

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    क्यों खतरनाक है XBB.1.5 वेरिएंट?

    वहीं, एपिडेमियोलॉजिस्ट एरिक फेगल-डिंग ने कहा कि यह XBB.1.5 वेरिएंट एक्सबीबी और बीक्टक्के टक्कर में अच्छी तरह से बॉडी की इम्युनिटी से बचकर निकलने में क्षमताशाली है। XBB.1.5 वेरिएंट का संक्रमण मूल्य बहुत ज्यादा है।

     

    कैसे XBB.1.5 वेरिएंट शरीर की एंटीबॉडी को कमजोर करता है?

    पेकिंग यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर यूनलॉन्ग रिचर्ड काओ ने बताया कि XBB.1.5 वेरिएंट शरीर की एंटीबॉडी को कमजोर करता है। वहीं, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने कहा कि XBB के सब वैरिएंट्स कोविड वैक्सीनेशन के असर को कम कर सकती है।

     

    कैसे पता चलता है XBB.1.5 वेरिएंट के बारे में?

    XBB वेरिएंट के कुछ लक्षण अन्य वेरिएंट से मिलते-जुलते हैं। नाक बहना, बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, सर्दी, छींक और खांसी इसके मुख्य लक्षण बताए जा रहे हैं।

  • दिल वालों की दिल्ली की जगह ‘दिल दहलाने वाले कांडों की दिल्ली

    दिल वालों की दिल्ली की जगह ‘दिल दहलाने वाले कांडों की दिल्ली

    दिल्ली में एक्सीडेंट के बाद बॉडी को 13 किलोमीटर तक घसीटा, शरीर में नहीं बचा खून का एक भी कतरा

    दिल्ली को देश का केंद्र कहने के साथ-साथ अगर जुर्म का केंद्र भी कहा जाये तो गलत नहीं होगा, आये दिन आपको कोई न कोई रेप केस, मर्डर, शव के टुकड़े-टुकड़े आदि कुछ ना कुछ सुनने को या पढ़ने को मिल ही जायेगा l नए साल का दिन था मगर देश नए साल में भी दिल दहलाने वाली खबर से दूर नहीं रह सका।

     

    आपको बता दूँ कि जब देश और दुनिया नए साल के जश्न में डूबे थे तब दिल्ली के अमन विहार की रहने वाली एक लड़की अपनी ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहे थी, पीड़िता एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम करती थी जिसके चलते घर देरी से ही जा पाती थी मगर उसे क्या मालूम था कि नए साल का पहला दिन ही उसकी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा।

     

    कोई जिम्मेदारी लेगा या सब भूल गए हैं?

    क्या देश का मर्द अपनी जिम्मेदारी भूल गया है? क्या देश की पुलिस अपनी जिम्मेदारी भूल गई है? क्या हमें इस तरह की घटनाओं को सुनने और सहने की आदत हो गई है? क्या हम एक ऐसा समाज पैदा कर रहे हैं जिसके नागरिक अंदर से नामर्द बन चुके हैं? आज हमें अपने आप से इस तरह के कई सवाल करने की जरुरत है।

     

    क्योकि दो महीने भी नहीं हुए जब हमें पता लगा था कि एक दरिंदे ने एक लड़की के शव को 35 टुकड़ों में काट कर फेंक दिया था। 15 दिन भी नहीं हुए जब हमें पता चला था कि स्कूल जाती एक लड़की पर कुछ हैवानों ने एसिड फेंक दिया था और नए साल पर हैवानों का नया तोहफा दिल्ली पुलिस और उसकी जनता के मुँह पर करारा थप्पड़ है।

     

    ऐसे मुद्दों पर भी राजनीती?

    दिल वालों की दिल्ली की जहग दिल दहलाने वाले कांडों की दिल्ली कहें तो किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए। दिल्ली मॉडल का हवाला दिए आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जिस रफ़्तार से आगे बढ़ रहे हैं उनको पता नहीं क्यों ये दिल्ली में कोरोना वायरस की स्पीड से फैलता हैवानियत का वायरस दिखाई नहीं दे रहा?

     

    उधर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले देश के मुखिया नरेंद्र मोदी पता नहीं क्यों बेटियों को बचा नहीं पा रहे? सब बस अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकने में लगे हैं। सिर्फ भारत माता की जय बोलने से भारत माता की जय नहीं होगी उसके लिए कानून व्यवस्था को दुरस्त करना होगा, नियमों का पालन सख्ती से करवाना होगा, दोषियों को शख्त से शख्त सजा-सजा समय रहते देने होगी अन्यथा हालत हाथ से निकल सकते हैं।