नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर हजारों डीटीसी और क्लस्टर बसें दौड़ती हैं, लेकिन महिलाओं की सुविधाओं और सुरक्षा का सवाल अब भी अनसुलझा है। हाल ही में कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दावा किया कि राजधानी में महिला यात्रियों के लिए बस सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। News Diggy की टीम ने इसकी ज़मीनी हकीकत जानने के लिए दिल्ली के कई बस स्टॉप्स का दौरा किया। सामने आईं कुछ चौंकाने वाली बातें।
IP एक्सटेंशन: बसें रुकती नहीं, महिलाएं इंतज़ार में
IP एक्सटेंशन बस स्टैंड पर कई महिलाओं ने बताया कि बसें उनके सामने से निकल जाती हैं, भले ही सीटें खाली हों। एक महिला यात्री ने कहा,
“बस ड्राइवर हमें देखकर भी नहीं रोकते। हम हाथ हिलाते रह जाते हैं और बस निकल जाती है।”
वहीं, कुछ पुरुष यात्रियों का अनुभव उल्टा था। उनके मुताबिक, कई बार ड्राइवर सिर्फ महिलाओं के लिए बस रोकते हैं, लेकिन पुरुषों को अनदेखा करते हैं।
आनंद विहार: खस्ताहाल स्टैंड और लापरवाह व्यवस्था
आनंद विहार बस स्टैंड पर हमने एक बस ड्राइवर से बात की। उनका कहना था,
“अगर बस में जगह होती है, तो हम ज़रूर रोकते हैं, लेकिन भरी बस को कैसे रोकें?”
ड्राइवर ने यह भी खुलासा किया कि अधिकतर बसों में तैनात मार्शल पुलिस ड्यूटी पर नहीं आती। उनके शब्दों में,
“कई मार्शल छुट्टी पर रहते हैं या ड्यूटी करने से मना कर देते हैं।”
एक महिला यात्री ने बताया कि बसों में चोरी की घटनाएं आम हैं, और शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। आनंद विहार बस स्टैंड की हालत भी खराब है। बसें स्टैंड से दूर रुकती हैं, जिससे यात्रियों को सड़क पार करनी पड़ती है। भीड़भाड़ के कारण हादसों का खतरा बना रहता है।
कश्मीरी गेट: दरवाज़ा बंद, यात्रियों की मुश्किलें बरकरार
कश्मीरी गेट में एक बस रुकी, लेकिन ड्राइवर ने दरवाज़ा नहीं खोला। अंदर सीटें खाली थीं, फिर भी यात्रियों को चढ़ने नहीं दिया गया। नतीजतन, हमारी टीम को ऑटो लेना पड़ा।
कश्मीरी गेट बस स्टैंड पर एक और समस्या है—पुरुष शौचालय की वजह से तेज दुर्गंध। इससे महिलाएं असहज महसूस करती हैं। एक महिला यात्री ने कहा,
“हम बस के पीछे दौड़ते हैं, चिल्लाते हैं, फिर भी बस नहीं रुकती। अगर रुक भी जाए, तो चोरी की घटनाएं होती हैं और कोई मदद नहीं मिलती।”
दिल्ली: महिला सुरक्षा और सुविधा पर सवाल
यह रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि दिल्ली की बस सेवाएं महिलाओं के लिए न सुरक्षित हैं, न सुगम। सरकार जहां महिला सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं महिलाएं बस पकड़ने के लिए सड़कों पर भागती रहती हैं।