पेगासस पर सरकार की चुप्पी आखिर कहां तक सही?

पेगासस

पेगासस ने पिछले साल 2021 से भारत में तहलका मचा रखा हैं जिसके बाद मोदी सरकार इस पर अपनी चुप्पी तोड़ने को राजी नहीं हैं। आखिर हैं क्या ये पेगासस और 2021 से ये क्यों लगातार खबरों में बना हुआ हैं आइए जानिए टेलीग्राफ इंडिया अखबार में दिखे मोदी चुप

कल टेलीग्राफ इंडिया अखबार के पहले पन्ने पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी गई जिसमे उनके मुंह पर इंचीटेप जैसा कुछ लपेटा हुआ हैं और ऊपर लिखा हैं pega shush यानी की मोदी जी ने पेगासस पर जो मौन साधा हैं वो क्यों और कब तक?

पेगासस आखिर हैं क्या?

पेगासस एनएसओ ग्रुप जो के इजरायल के साइबर सिक्योरिटी एजेंसी हैं उसका एक स्पाइवेयर हैं जिससे दुनिया की किसी भी हिस्से के लोगो की गतिविधियों के ऊपर नजर रखी जा सकती हैं। ये स्पाइवेयर किसी को आईफोन के जरिए आई मैसेज,मिस कॉल या कोई लिंक भेजता हैं जिसके बाद उस आईफोन का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखी जाती हैं।

हैरानी की बात तो ये हैं कि किसी आईफोन पर अगर इस स्पाइवेयर की कोई सूचना मेसेज या लिंक के जरिए आती हैं तो उसके तुरंत बाद ही वो गायब हो जाती हैं जिसके बाद आपको पता ही नही चलेगा कि आपका फोन किसी की निगरानी में हैं। इस स्पाइवेयर को कोई मामूली व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर सकता। किसी देश की सरकार ही इस पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किसी पर नजर रखने के लिए कर सकता हैं।

भारत ने 2021 में मचाई पेगासस ने अफरातफरी

जुलाई 2021 में एक गैर सरकारी संस्थान एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक जांच पड़ताल करी जिसमे सामने आया कि पूरी दुनिया के 50000 से ज्यादा लोगो पर इस स्पाइवेयर के जरिए नजर रखी जा रही हैं जिसमे से 300 लोग भारतीय थे। इन लोगो में कुछ पत्रकार,विपक्षी नेता, समाज सेवक और भी कई अन्य लोग शमिल थे। राहुल गांधी,अश्विनी वैष्णव जैसे बड़े नाम भी इस लिस्ट में शामिल थे,जिसके बाद पूरे भारत में सिसायत गर्मा गई।

केंद्रीय सरकार ने नही दिया कोई जवाब

इस रिपोर्ट के वायरल होने के बाद लगातार पूछताछ करने के बाद भी मोदी सरकार चुप्पी साधे रही। सरकार का बस यही कहना था उन्होंने इस पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल नहीं किया हैं। मामला गरमाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रवींद्रन की निरीक्षण में अक्टूबर 2021 में एक जांच कमेटी बनाई।

जांच रिपोर्ट में क्या आया?

कल कमेटी की जांच रिपोर्ट आई जो सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई। कमेटी ने 300 में 29 फोन कनेक्शंस को खंगाला जिसमे से सिर्फ 5 कनेक्शंस में ही  किसी मालवेयर के होने की पुष्टि हुई। ये मालवेयर पेगासस नहीं हैं इस बात की भी पुष्टि रिपोर्ट में की गई।

कमेटी ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि इस जांच में केंद्रीय सरकार द्वारा कोई सहायता नही की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया था की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और सरकार से पूरी सहायता की उम्मीद की जायेगी। लेकिन इसके उलट सरकार का ये रवैया बहुत ही निंदनीय हैं। सरकार को चाहिए था की जिन भी बड़े सरकारी व्यक्तियों की 2021 में नियुक्ति थी वो जांच में पूरी तरह से मदद करे लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर अभी तक पूरी तरह मौन साधा हुआ हैं।

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