यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code) या समान नागरिक संहिता (UCC) में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है। आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा।
यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने UCC के नियम को दी मंजूरी
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 4 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) के मसौदे को मंजूरी दे दी। उत्तराखंड मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने से राज्य विधानसभा में इसे पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसी के साथ उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस के केंद्र बना हुआ है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए प्राथमिकता का एजेंडा रहा है। भाजपा 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है। 2024 चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।
भाजपा सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा था।
100 साल भी ज्यादा पुराना है UCC का इतिहास
UCC का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यूसीसी का इतिहास 19वीं शताब्दी में खोजा जा सकता है जब शासकों ने अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था।
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हालांकि, तब विशेष रूप से सिफारिश की गई थी कि हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को इस तरह के कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने X(Twitter) पर कहा कि हम राज्य के नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने जा रहे हैं, यह कानून ना केवल समानता को बढ़ावा देगा बल्कि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा।
देहरादून
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने नए साल पर राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बुधवार एक जनवरी को सोशल मीडिया एक्स पर इस बात का जिक्र करते हुए लिखा कि इस कानून से देवभूमि का मूल स्वरूप बरकरार रखने में भी मदद मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में ही यह कानून लागू हो जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर कहा, ‘हम राज्य के नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने जा रहे हैं, यह कानून ना केवल समानता को बढ़ावा देगा बल्कि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा।’ गौरतलब है कि साल 2000 में उत्तराखंड की स्थापना होने के बाद से इसके सामाजिक-राजनीतिक इतिहास में वर्ष 2024 का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है।
भाजपा सरकार की उपलब्धि
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में कहा कि भाजपा शासित हर राज्य समान नागरिक संहिता लागू करेगा, जैसा कि उत्तराखंड में किया गया। उत्तराखंड में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में UCC लागू करना धामी का प्रमुख चुनावी वादा था और इसी के बाद भाजपा दोबारा राज्य की सत्ता में लौटी थी।
इस पंजीकरण प्रक्रिया में निम्नलिखित शर्तें लागू होती हैं:
- आवेदकों की आयु वैध विवाह योग्य होनी चाहिए – पुरुष के लिए न्यूनतम 21 वर्ष और महिला के लिए 18 वर्ष.
- आवेदकों को प्रमाण देना होगा कि वे वर्तमान में किसी अन्य वैवाहिक संबंध में नहीं हैं.
- पिछले लिव-इन रिलेशनशिप (अगर कोई हो) का विवरण देना होगा.
- दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य होगी और इसे कानूनी रूप से दस्तावेजों के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा.
- पंजीकरण के लिए एक निर्धारित शुल्क जमा करना होगा.