अमेरिका ने हाल ही में ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर सटीक और शक्तिशाली हवाई हमले किए, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। इस मिशन, जिसे “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया, में अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत और गोपनीय हथियार, B-2 Bomber का इस्तेमाल किया। यह विमान अपनी रडार-नजरअंदाज करने वाली तकनीक और लंबी दूरी की उड़ान क्षमता के लिए जाना जाता है। इस हमले ने न केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा नुकसान पहुंचाया, बल्कि B-2 Bomber की असीमित क्षमताओं को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया।
ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: मिशन की खासियत
अमेरिकी वायुसेना के सात B-2 Bomber ने मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से 21 जून को उड़ान भरी और लगभग 40 घंटे से अधिक की उड़ान के बाद ईरान की परमाणु साइट्स पर हमला किया। इस मिशन में 125 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया, जिसमें फाइटर जेट, रिफ्यूलिंग टैंकर और ड्रोन शामिल थे। हमले में 14 GBU-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बमों का उपयोग किया गया, जिन्हें “बंकर बस्टर” के नाम से जाना जाता है। ये 30,000 पाउंड (लगभग 14,000 किलोग्राम) वजनी बम विशेष रूप से गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसके अलावा, अमेरिकी नौसेना की एक पनडुब्बी से 30 से अधिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागी गईं।
मिशन की सफलता का श्रेय B-2 Bomber की स्टील्थ तकनीक को जाता है, जिसने इसे ईरानी हवाई रक्षा प्रणालियों से बचकर हमला करने में सक्षम बनाया। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ईरान को इन विमानों की मौजूदगी का पता तक नहीं चला, और कोई जवाबी कार्रवाई नहीं हो सकी।
B-2 Bomber: लागत और विशेषताएं

B-2 Bomber, जिसे नॉर्थरॉप ग्रुम्मन ने विकसित किया है, दुनिया का सबसे महंगा और उन्नत सैन्य विमान माना जाता है। भारतीय वायुसेना के पूर्व अधिकारी अजय अहलावत ने अपने एक्स पोस्ट में बताया कि प्रत्येक B-2 बॉम्बर की लागत लगभग 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 18,400 करोड़ रुपये) है। यह इसे अब तक का सबसे महंगा सैन्य विमान बनाता है।
B-2 Bomber की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- स्टील्थ तकनीक: इसका डिज़ाइन रडार, इन्फ्रारेड, ध्वनि और दृश्य सिग्नेचर को कम करता है, जिससे यह दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग अदृश्य हो जाता है।
- लंबी उड़ान क्षमता: यह विमान बिना रिफ्यूलिंग के 6,000 नॉटिकल मील (लगभग 11,000 किलोमीटर) तक उड़ सकता है। हवा में रिफ्यूलिंग के साथ इसकी रेंज लगभग असीमित हो जाती है।
- हथियार क्षमता: B-2 40,000 पाउंड तक के हथियार ले जा सकता है, जिसमें पारंपरिक और परमाणु हथियार दोनों शामिल हैं। इस मिशन में इसने GBU-57 MOP बमों का उपयोग किया, जो विशेष रूप से गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए बनाए गए हैं।
- मिशन की अवधि: इस ऑपरेशन में B-2 ने 37 से 40 घंटे तक की उड़ान भरी, जिसमें कई बार हवा में रिफ्यूलिंग की गई।
हमले का प्रभाव और भू-राजनीतिक परिणाम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस हमले को “ऐतिहासिक” और “शानदार सैन्य सफलता” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान की परमाणु साइट्स पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। फोर्डो, जो पहाड़ों के 295 फीट नीचे स्थित है, को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का “मुकुट रत्न” माना जाता था।
हालांकि, ईरान ने दावा किया है कि हमले से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ और उसने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने भी कहा कि साइट्स के आसपास तत्काल रेडियोधर्मी संदूषण के कोई संकेत नहीं मिले।
मिशन की रणनीति: गोपनीयता और भटकाव
इस ऑपरेशन की सफलता का एक बड़ा कारण इसकी गोपनीयता और भटकाव की रणनीति थी। अमेरिका ने 13 B-2 बॉम्बर को व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी, जिनमें से छह को प्रशांत महासागर में गुआम के अमेरिकी हवाई अड्डे की ओर भेजा गया ताकि ईरान और अन्य देशों का ध्यान भटकाया जा सके। शेष सात बॉम्बर चुपके से पूर्व की ओर बढ़े और हमले को अंजाम दिया।
निष्कर्ष
B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह अमेरिकी सैन्य शक्ति का एक अभिन्न हिस्सा है। इसकी लागत और उन्नत तकनीक इसे दुनिया के सबसे खतरनाक और प्रभावी हथियारों में से एक बनाती है। ईरान पर इस हमले ने न केवल क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित किया है। आने वाले दिनों में इस हमले के परिणाम और ईरान की जवाबी कार्रवाई पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।