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  • 15 अगस्त को झंडा फहराने से पहले किन बातों का रखे ध्यान?

    15 अगस्त को झंडा फहराने से पहले किन बातों का रखे ध्यान?

    हर भारतीय नागरिक 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय ध्वज यानी की तिरंगा फहराता ही हैं लेकिन भारत की जनता में से कुछ लोग ऐसे होंगे जिन्हें तिरंगा फहराने के सही नियम पता होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हर भारतीय नागरिक को तिरंगा फहराने के उचित नियमो की जानकारी होनी चाहिए जैसे की:-

     

    क्या हैं तिरंगा फहराने के नियम?

    बीच अपने घर पर तिरंगा फहराए। अब इसी मुहिम से जुड़ते हुए लोग अपने-अपने घरों में तिरंगा फहराते हुए अपने देशभारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं। इसी के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी ने ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू की जिसके अनुसार भारत सरकार ने अपील की सभी लोग 13 से 15 अगस्त के  के प्रति प्रेम और निष्ठा दिखा रहे हैं। लेकिन फ़्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 जिसमे 19 जुलाई 2022 को बदलाव किए गए। ये कोड तिरंगा फहराने के कुछ नियम बताता हैं जिनका ध्यान

     

    हर नागरिक को रखना चाहिए उनमें से कुछ नियम ये हैं:

    • भारत सरकार द्वारा हाल ही में किए गए बदलाव के बाद तिरंगे को दिन और रात दोनों समय फहराने की अनुमति दी, यदि इसे खुले में या जनता के किसी सदस्य के घर में प्रदर्शित किया जाता है। पहले राष्ट्रीय ध्वज केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता था।
    • घर पर अगर तिरंगा लगाया गया हैं तो तिरंगा सम्मान की स्थिति में होना चाहिए और स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए।
    • क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त ध्वज को कभी भी प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज हमेशा सही स्थिति में होना चाहिए।
    • तिरंगे को कभी भी उल्टा नहीं दिखाना चाहिए मतलब भगवा पट्टी कभी भी नीचे नहीं होनी चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी में नहीं झुकाना चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज के साथ किसी भी अन्य ध्वज को ऊपर या बगल में नही रखना चाहिए
    • ध्वज के मस्तूल पर या उसके ऊपर फूल, माला या प्रतीक सहित कोई भी वस्तु नहीं रखी जानी चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग उत्सव या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज किसी भी परिस्थिति या स्थिति में पानी में जमीन या फर्श को नहीं छूना चाहिए।
    • झंडे पर कोई अक्षर नहीं होना चाहिए।

    झंडे को फहराने के बाद नष्ट कैसे करे?

    झंडा फहराने के बाद इसे अच्छे से तह लगाकर संभाल कर रख सकते हैं। यदि तिरंगे को अगर नष्ट करना हैं तो एकांत में जाकर पूरे सम्मान के साथ तिरंगे को तह बनाकर किसी डिब्बे में बंद करके जमीन के अंदर दबा सकते हैं। इसके अलावा एकांत स्थान पर ही तिरंगे को पूरे सम्मान के साथ जला भी सकते हैं जिसके बाद बची राख को नदी में प्रवाहित भी कर सकते है। अब तिरंगे को तह करने की बात आई हैं तो तह करते वक्त केसरिया पट्टी और हरी पट्टी के बीच सफेद पट्टी आनी चाहिए और सफेद पट्टी में अशोक चक्र ऊपर रखना चाहिए।

  • सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला, निशाने पर लेखक

    सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला, निशाने पर लेखक

    सलमान रुश्दी

    लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में जानलेवा हमला हुआ है, अभी वह जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। 75 वर्षीय सलमान रुश्दी एक कार्यक्रम में लेक्चर देने वाले थे जहाँ हमलावर ने आकर चाकू से उन पर अटैक किया और मुक्के भी मारे। हमलावर का नाम हादी मतर है और उसकी उम्र 24 साल है जो की जर्सी का रहने वाला है, उसके सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ये माना जा रहा है कि ये एक ईरान समर्थक है।

     

    सलमान रुश्दी का कब हुआ था

    वो एक ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार हैं। उन्होंने अपने दूसरे उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन से प्रसिद्धि हासिल की, जिसे 1981 में बुकर पुरस्कार मिला। उनका चौथा उपन्यास सेटेनिक वर्सेज़ जो कि 1988 में आया जो काफी विवादों से घिरा रहा और उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली। उनकी किताबें अक्सर समाज में धर्म की भूमिका, विभिन्न आस्थाओं के बीच और धार्मिक और बिना आस्था वालों के बीच टकराव का कारण बनती है।

     

    सलमान रुश्दी पर अटेक का कारण

    सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ ने ऐसे विवादों को जन्म दिया और जिसके कारण आज वो जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। आजादी के दिन आधी रात को पैदा होने वाले बच्चों पर उन्होंने ‘मिडनाइट चिल्ड्रन’ जैसी कालजयी कहानी रची और इसी उपन्यास ने उन्हें 1981 में पहले बुकर अवार्ड दिलाया और बाद में वह ‘बुकर ऑफ द बुकर्स’ जैसा सम्मान पाने वाले लेखक भी बने।

     

    उनकी इस किताब को इस्लाम विरोधी और ईश निंदा करने वाला माना गया। जिसके कारण साल 2012 में उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली थी और मारने वाले को 30 लाख डॉलर इनाम देने का ऐलान हुआ था। यह हमला तब हुआ जब वह न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में लेक्चर देने के लिए आए हुए थे। मौके पर ही पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया लेकिन हमले की वजह अभी तक सामने नहीं आई है।

     

    पिता ने बदला था उनका सरनेम।

    सलमान रुश्दी का खानदानी सरनेम ‘देहलवी’ होता था उनके पिता का नाम अनीस अहमद था और उनके दादा का नाम ख्वाजा मोहम्मद दिन खालिकी देहलवी था लेकिन उनके पिता ने परिवार को ‘रुश्दी’ की पहचान दी। ब्रिटिश राज के दौरान उनके पिता ने कैंब्रिज से शिक्षा ली और इसी दौरान उन पर महान इस्लामिक दार्शनिक इब्न रुश्द का प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपने सरनेम को बदलकर ‘रुश्दी’ कर दिया। इसलिए अहमद सलमान का नाम सलमान रुश्दी हो गया। फिलहाल सलमान रुश्दी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं और अभी तक उनके हमला का कारण सामने नहीं आया है।

  • अंजना ओम कश्यप का बिहार में हुआ विरोध

    अंजना ओम कश्यप का बिहार में हुआ विरोध

    अंजना ओम कश्यप

    आजतक की जानीमानी पत्रकार अंजना ओम कश्यप को कौन नहीं जानता। वो अपनी निर्भीक पत्रकारिता और किसी भी मुद्दे को ऊंची आवाज में उछालने के लिए काफी समय से जानी जाती हैं, लेकिन बिहार के पटना में जब वो रिपोर्टिंग करने के लिए गई तो आखिर ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से बिहार की जनता उनके सामने विरोध करने लगी?

     

    क्या था पूरा मामला?

    कल जब जेडीयू ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा तो उसके बाद मीडिया में होड़ लग गई की कौन पहले जाकर बिहार से लाइव कवरेज करेगा। अब जब सारे पत्रकार बिहार पहुंचे तो अंजना जी कैसे पीछे रहती वो भी पहुंची लेकिन शायद जनता को ये रास नहीं आया। जैसे हीअंजना ओम कश्यप रिपोर्टिंग करने लगी। वैसे ही वहां खड़ी जनता ने गोदी मीडिया मुर्दाबाद, अंजना मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया। अंजना इस पर बड़े ही शांति से खड़ी रही एयर हंसते हुए दिखाई पड़ी।

     

    जनता ने ऐसा किया क्यों?

    अंजना ओम कश्यप जब बिहार के पटना में जनता को बिहार के संसद सदन से लाइव कवरेज दिखा रही थी। जिसके बाद  वो जनता के बीच से रिपोर्टिंग करने लगी। रिपोर्टिंग के बीच ही जनता गोदी मीडिया मुर्दाबाद के नारे लगाने लगी जिसपर अंजना ओम कश्यप काफी शांत नजर आई। ऐसा सिर्फ अंजना के साथ ही नहीं बल्कि अर्णव गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक भारत की एक रिपोर्टर के साथ भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। जब रिपब्लिक भारत की रिपोर्टर भी पटना में जनता के बीच रिपोर्टिंग करने उतरी तो जनता ऐसी ही नारेबाजी करके रिपोर्टर का विरोध किया।

    अंजना ओम कश्यप
    अंजना ओम कश्यप

    क्या ये अंदेशा हैं बिहार में फिर शुरू होने वाली गुंडागर्दी का?

    बिहार की जनता को अभी तक शायद एनडीए और जेडीयू के गठबंधन में उतनी खुराफाती नही थी। लेकिन अब जब आरजेडी और जेडीयू मिलकर सरकार बनाने वाली हैं तो लग रहा हैं कि बिहार निवासियों को गुंडई दिखाने को मौका मिल ही जायेगी। जिस गुंडागर्दी के लिए बिहार बहुत प्रसिद्ध रहा हैं उसकी झलकियां अब साफ देखी जा सकती हैं। अब आने वाले समय में तस्वीर और साफ हो जाएगी कि बिहार किस दिशा की ओर अग्रसर हैं।

     

    क्या हैं गोदी मीडिया?

    आजकल ये शब्द गोदी मीडिया बहुत ही प्रचलित हैं। दिन में एक बार कही न कही किसी स्वतंत्र पत्रकार के मुंह से आप ये शब्द जरूर ही सुन लेते होंगे,लेकिन इसका मतलब शायद समझने में आपको थोड़ी से मुश्किल जरूर होती होगी। ये शब्द उन सभी पत्रकारों के लिए इस्तेमाल होते हैं जो केंद्रीय सरकार से सवाल जवाब करने की बजाय उनकी तारीफों के पूल बांधती हैं। आम जनता की इतनी सारी परेशानियां हैं जैसे की महंगाई,बेरोजगारी, बिजली, पानी और भी ना जाने क्या क्या। मीडिया चैनल इन सभी परेशानियों को छोड़ कर मीडिया चैनल सिर्फ सरकार की प्रशंसा में लगे रहते हैं इसलिए ही जनता इन मीडिया चैनलों को गोदी मीडिया कहकर तंज कसती हैं।

     

    पत्रकारों के विरोध पर नेताओं को प्रतिक्रिया

    जाने मानी पत्रकार के अपमान पर पूरा डिजिटल मीडिया अंजना के समर्थन में उतर आया हैं। ट्वीटर पर स्टैंड विद अंजना हैशटैग ट्रेंड करने लगा। हर कोई चाहे वो आम आदमी हो या कोई नेता हो यही कह रहा हैं की ये एक महिला का अपमान हैं। वही दूसरी और कुछ स्वतंत्र पत्रकार पटना में हुए जनता के विरोध को बिलकुल सही बता रहे हैं। लोगो का  भी यही कहना हैं की गोदी मीडिया जब तक स्टूडियो में बैठ कर सरकार की बढ़ाई कर रही हैं।

     

    तब तक ही वो बच पाएंगे लेकिन अगर वो लोगो के बीच उतर कर भी सरकार की वाहवाही करेंगे तो जनता उनका बहिस्कार करेगी। अब ये गौर करने वाली बात हैं क्योंकि अंजना ओम कश्यप के 22 साल के पत्रकारिता के करियर में कभी उन्हे ऐसे विरोध का सामना नहीं करना पड़ा हैं तो एक दम से ऐसा क्या हुआ जिसके बाद जनता इतने आक्रोश में थी जो उनके साथ साथ दूसरे पत्रकारों का भी विरोध करने पर उतारू हो गई।

  • CWG 2022: भारत ने जीते 61 मैडल, 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज, भारत रहा चौथे स्थान पर।

    CWG 2022: भारत ने जीते 61 मैडल, 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज, भारत रहा चौथे स्थान पर।

    CWG 2022

    कॉमनवेल्थ गेम्स का पहला आयोजन कनाडा के हैमिल्टन में 1930 को हुआ था और भारत ने पहली बार 1934 में इन खेलों में भागीदारी लिया था तब से लेकर आज तक भारत 503 मेडल जीत चुके है। इस साल कॉमन वेल्थ गेम्स 2022 का उद्धाटन 28 जुलाई को हुआ था जिसमे भारत ने  61 मेडल जीता और मेडल टेली में अपना नाम चौथे स्थान पर दर्ज करवाया जिसमें  22 गोल्ड,16 सिल्वर, 23 ब्रॉन्ज मैडल शामिल है।

     

    इस साल कॉमन वेल्थ गेम्स में भारत का बेहतरीन प्रदर्शन रहा। 2002 में भारत पहली बार सबसे ज्यादा पदक जितने वाल्व टॉप 5 देशो में शामिल हुआ था। 2002 में और 2006 में भारत चौथे स्थान पर रहा था उसके बाद 2018 में भारत ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन करके तीसरा स्थान हासिल किया। 2010 में जब CWG नई दिल्ली हुआ तो भारत ने उसमे कुल 101 पदक जीता। अब ये खेल 2026 में होगा जो की ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में खेले जाएंगे।

     

    भारत के पदक विजेता के नाम इस प्रकार है –

    गोल्ड मेडल :

    मीराबाई चानू, अंचिता शेउली, महिला लॉन बॉल टीम, टीटी पुरुष टीम, सुधीर, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, दीपक पूनिया, रवि दहिया, विनेश, नवीन, भाविना, नीतू, अमित पंघाल, निकहत जरीन, शरत-श्रीजा, पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, सात्विक-चिराग, शरत,जेरेमी लालरिनुंगा,एल्डहॉस पॉल।

     

    सिल्वर :

    संकेत सरगर, बिंदियारानी देवी, सुशीला देवी,अब्दुल्ला अबोबैकर, शरथ-साथियान, महिला क्रिकेट टीम, सागर, पुरुष हॉकी टीम,विकास ठाकुर, भारतीय बैडमिंटन टीम, तूलिका मान, मुरली श्रीशंकर, अंशु मलिक, प्रियंका, अविनाश साबले, पुरुष लॉन बॉल टीम।

    ब्रॉन्ज :

    गुरुराजा, विजय कुमार यादव, हरजिंदर कौर, लवप्रीत सिंह, सौरव घोषाल, गुरदीप सिंह, तेजस्विन शंकर, दिव्या काकरन, मोहित ग्रेवाल, जैस्मिन, पूजा गहलोत, पूजा सिहाग, मोहम्मद हुसामुद्दीन, दीपक नेहरा, रोहित टोकस, महिला हॉकी टीम, संदीप कुमार, अन्नू रानी, सौरव-दीपिका, किदांबी श्रीकांत, त्रिषा-गायत्री, साथियान।

     

    आस्ट्रलिया ने CWG में 67 गोल्ड 57 सिल्वर और 54 ब्रॉन्ज के साथ पहला स्थान पर रहा।

    इंग्लैंड 57 गोल्ड 66 सिल्वर और 53 ब्रॉन्ज प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया।

    कनाडा 26 गोल्ड 32 सिल्वर और 34 ब्रॉन्ज के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

  • श्रीकांत त्यागी धमकियों के 4 दिन बाद पुलिस ने दबोचा

    श्रीकांत त्यागी धमकियों के 4 दिन बाद पुलिस ने दबोचा

    कॉल रिकॉर्ड्स के ज़रिए आए नोएडा पुलिस की चपेट में

    श्रीकांत त्यागी बीजेपी के नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर पिछले चार दिनों से फरार थे और इस सबके बीच अब नोएडा पुलिस ने उन्हें मेरठ से उन के कॉल रिकॉर्ड्स के जरिए ढूंढ निकाला है।

     

    आरोपी के साथ साथ किया उनके तीन साथियों को गिरफ्तार

    बता दें कि सिर्फ आरोपी को ही नहीं बल्कि इनके साथ इनकी तीन साथियों को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है। नोएडा के सेक्टर 93बी में ग्रैंड ओमैक्स सोसायटी में रहने वाली एक महिला के साथ मारपीट करने के आरोप में और गाली गलौज करने के मामले में इनके खिलाफ़  गैंगस्टर ऐक्ट लगाया गया और इसी के बाद से ये फरार थे।

     

    घंटे की कड़ी पूछ्ताछ में थी पत्नी शामिल

    वह बीते 4 दिन से फरार चल रहे थे। जब श्रीकांत त्यागी नोएडा पुलिस के हाथों में आए तो उन्हीं के साथ उनके तीन साथियों को भी गिरफ्तार किया गया। इस उदंड व्यक्ति के खिलाफ़ नोएडा पुलिस ने ₹25,000 का इनाम भी रखा था। इन पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत महिला के साथ मारपीट करने और गाली गलौच करने का कड़ा इल्ज़ाम दर्ज किया गया था। बता दे मंगलवार को पुलिस ने श्रीकांत त्यागी की पत्नी को दोबारा हिरासत में लिया और इससे पहले भी उनके 24 घंटे की कड़ी पूछ्ताछ कर ली गई थी।

     

    आखिर कहाँ फरार था श्रीकांत त्यागी

    खुले आम अपनी ही सोसाइटी में रहने वाली एक महिला को धमकाने वाले श्रीकांत की गिरफ्तारी मेरठ शहर की श्रद्धा पूरी कॉलोनी। यहाँ त्यागी अपने एक करीबी के यहाँ छुपा हुआ था। पहले  देहरादून से हरिद्वार और फिर वहां से ऋषिकेश होते हुए सहारनपुर निकले थे इसके बाद जब मेरठ पहुंचे तो पुलिस ने गिरफतार कर लिया।

     

    आखिर क्या है ये पूरा मसला

    93बी के ग्रैंड ओमैक्स में रहने वाले श्रीकांत त्यागी भारतीय जनता पार्टी के एग्जीक्यूटिव मेंबर या यूं कहें कि लोकल लीडर कहलाने वाले  उद्दंड नेता है, इनकी बदसलूकी की वीडियो चुकी थी। अपनी सोसाइटी में रहने वाली महिला के साथ बदसलूकी करते हुए देख रहे थे।  श्रीकांत इस वीडियो में महिला को भद्दी भद्दी गालियां देते धक्का-मुक्की करते दिख रहे थे वीडियो में नासिर पर महिला से बदसलूकी कर रहे थे बल्कि उनके मना करने पर उन्हें अभी देते देख रहे थे।

     

    आखिर क्या होगा कानून का फैसला

    अब देखना यह है कि ऐसी स्थिति में अब देस का कानून उन पर कड़ी कार्रवाई करेगा या यह भी कुछ दिनोंदिनों में हम सब के बीच ज़मानत पर घूमते हुए नजर आएँगे।

  • फेयरवेल स्पीच वक्त क्या कहा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने?

    फेयरवेल स्पीच वक्त क्या कहा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने?

    उपराष्ट्रपति- वेंकैया नायडू 

    राष्ट्रपति के बारे में लगभग सब ही लोग जानते है लेकिन बात करे उपराष्ट्रपति के बारे में काफ़ी कम लोग जानते है। आज मैं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के बारे में बात कर रही हूँ। वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त (2022) को खतम हो रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 8 अगस्त को कहा कि जहां तक वह निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को जानते हैं, उनकी विदाई संभव नहीं है क्योंकि लोग उन्हें किसी न किसी के लिए बुलाते रहेंगे।

     

    वेंकैया नायडू को विदाई देने के लिए संसद सदस्यों द्वारा आयोजित संसद भवन परिसर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि अच्छे शब्दों का संग्रह वेंकैया नायडू की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए है, जिन्होंने हमेशा से मातृभाषा के उपयोग का प्रचार किया है। उच्च सदन और बाहर। पीएम मोदी ने कहा कि वेंकैया नायडू को केंद्र सरकार में शहरी विकास और ग्रामीण विकास दोनों विभागों को संभालने का अनूठा गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि शायद वेंकैया नायडू एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो राज्यसभा के सदस्य थे और इसके अध्यक्ष बने।

     

    वेंकैया नायडू ने कहा कि वह असंतुष्टनहीं बनेंगे 

    निवर्तमान राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि वह कभी भी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं रखते हैं और “असंतुष्ट” नहीं बनेंगे, लेकिन लोगों के साथ जुड़े रहेंगे और उनके साथ बातचीत करना जारी रखेंगे। अपने विदाई भाषण में, वेंकैया नायडू, जिन्होंने अक्सर कार्यवाही रुकने पर नाखुशी व्यक्त की है, ने कहा कि लोग उम्मीद करते हैं कि संसद चर्चा करेगी, बहस करेगी और बाधित नहीं होगी।

     

    उपराष्ट्रपति ने सदस्यों से सदन की छवि और सम्मान बनाए रखने के लिए “शालीनता, गरिमा और मर्यादा” का पालन करने की अपील की।उन्होंने सांसदों को उच्च मानकों का पालन करने की सलाह देते हुए कहा, “राजनेताओं के बारे में सामान्य भावना… सम्मान हर जगह घट रहा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि मूल्य प्रणालियों में गिरावट आ रही है। इसे ध्यान में रखें और अपना काम करने की कोशिश करें।

     

    अटकलों के बारे में बात करते हुए कि वे राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखते हैं, वेंकैया नायडू ने स्पष्ट किया, “मैं उस प्रकार का नहीं हूं, लोग अब अक्सर बात करते हैं – या तो राष्ट्रपति, अन्यथा असंतुष्ट या निवासी। मैं इन तीनों को नहीं करने जा रहा हूं।”मैंने कभी राष्ट्रपति बनने की इच्छा नहीं की, कभी असंतुष्ट नहीं बनूंगा और कभी भी निवास तक सीमित नहीं रहूंगा। मैं घूम रहा होता, आप सभी से मिलता, आप सभी का अभिवादन करता और बड़े मुद्दों पर आपसे बात करता।

     

    क्या है वेंकैया नायडू की इच्छा ? 

    वेंकैया नायडू ने कहा, “मैं राजनीति में नहीं जाऊंगा। हम सभी अपने रास्ते पर काम कर रहे हैं, हम दुश्मन नहीं हैं, हम प्रतिद्वंद्वी हैं।”वेंकैया नायडू ने अपने लगभग 10 मिनट के भाषण में कहा कि राज्यसभा के पास उच्च सदन होने के नाते “अधिक जिम्मेदारियां” हैं। वेंकैया नायडू ने कहा, “लोग चाहते हैं कि सदन चर्चा करे, बहस करे और फैसला करे – 3डी। वे अन्य डी नहीं चाहते हैं, जो कि व्यवधान है।”

     

    मेरी इच्छा है कि संसद अच्छी तरह से चले। कई सदस्य हैं जो अच्छे वक्ता हैं और जब अवसर आता है, तो मैं नए सदस्यों को तैयार होकर आता हूं। अब छात्र, ग्रामीण लोग और अन्य क्षेत्रों के लोग संसद की कार्यवाही देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “इसीलिए कभी-कभी, मुझे हस्तक्षेप करना पड़ता है और सख्त होना पड़ता है और कुछ लोगों का नाम लेने का बहुत खुशी का फैसला नहीं करना पड़ता है। अन्यथा, मुझे इस तरह की चरम कार्रवाई करने में कोई मजा नहीं है।”

     

    जिम्मेदारी से नहीं हटने के लिए आंसू थे 

    वेंकैया नायडू ने कहा कि जिस दिन से उन्होंने कुर्सी पर कब्जा किया है, उस दिन से उनकी किसी या किसी पार्टी के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी आंखों में आंसू थे जब उन्होंने भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठकों के बाद उपाध्यक्ष पद के लिए उनके नाम की घोषणा के बाद “भारी मन” के साथ भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।उन्होंने कहा, “जिम्मेदारी से नहीं हटने के लिए आंसू थे, बल्कि इसलिए कि मुझे पार्टी छोड़नी है, जिसने मुझे ये सब दिया है।

     

    यही मौका था। “नायडू ने कहा कि उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने और सभी पक्षों को समायोजित करने की पूरी कोशिश की उन्होंने कहा, “मैंने शायद उतना समय नहीं दिया जितना वे चाहते थे, लेकिन आप में से प्रत्येक को समय दिया गया है, चाहे वह शून्यकाल हो, विशेष उल्लेख हो, प्रश्नकाल हो या विधेयकों पर चर्चा और बहस हो,” उन्होंने कहा।

     

    सदस्यों ने राज्यसभा में वेंकैया नायडू को विदाई दी

    पार्टी लाइन से हटकर सदस्यों ने राज्यसभा में नायडू को विदाई दी, इसके अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका की सराहना की और याद किया कि उन्होंने कैसे प्रेरित किया और उन्हें अपनी मूल भाषाओं में बोलने की अनुमति दी। जबकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनसे एक आत्मकथा लिखने का आग्रह किया, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सराहना की कि “दबाव में” होने के बावजूद वेंकैया नायडू ने कैसे काम किया।

     

    यह देखते हुए कि नायडू के तहत सदन की उत्पादकता में वृद्धि हुई, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि निवर्तमान अध्यक्ष ने संवाद को प्रोत्साहित किया और उनकी विरासत उनके उत्तराधिकारियों का मार्गदर्शन करती रहेगी। वेंकैया नायडू, जिनकी 10 अगस्त की समाप्ति सुनिश्चित है, जगदीप धनखड़ द्वारा सफल होंगे। वेंकैया नायडू की विदाई के दौरान बोलते हुए, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने आंध्र प्रदेश के एक गांव से देश के दूसरे सबसे ऊंचे पद तक की उनकी यात्रा की सराहना की।सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने समय के पाबंद होने के लाभों के बारे में उनसे सीखा और सलाहकार समिति की बैठकों के लिए हमेशा होमवर्क के साथ तैयार होने की आवश्यकता थी।

     

    सदन चलाने के लिए अच्छा प्रबंधकीय कौशल है 

    सिंह ने कहा, “आपके मार्गदर्शन, समर्थन, सलाह और प्रोत्साहन के बिना उपसभापति के रूप में मेरी जिम्मेदारियों को निभाना बहुत मुश्किल होता। अध्यक्ष ने सभी महत्वपूर्ण क्षणों में मेरा समर्थन किया और आपके साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी।”खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वेंकैया नायडू के कार्यकाल में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए और गरीबों के कल्याण, सामाजिक सुरक्षा, व्यापार करने में आसानी, राष्ट्रीय एकता, महिला सुरक्षा, युवा और खेल और ट्रांसजेंडर विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए।

     

    वेंकैया नायडू के पास सदन चलाने के लिए अच्छा प्रबंधकीय कौशल है और 2020 में उनके कार्यकाल के दौरान, राज्यसभा की उत्पादकता 82.27 प्रतिशत थी। गोयल ने कहा कि वेंकैया नायडू ने हमेशा सदन में नए सदस्यों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपना पहला भाषण प्रतिभूति और बीमा कानून(संशोधन और सत्यापन) विधेयक 2010 पर सदन में उनके प्रोत्साहन के बाद दिया, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पेश किया था।

  • नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार

    बंधन बनाए जाते हैं कभी भी न तोड़ने के लिए लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शायद इस बात से कोई वास्ता नहीं हैं। एनडीए से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हैं लेकिन इतनी गहरी दोस्ती में दरार आई कैसे?

     

    बीजेपी से तोड़ा गठबंधन

    साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) की तरफ से नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हर बार किसी गठबंधन का सहारा लेकर नीतीश आज तक बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होते रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू का रिश्ता 20 साल पुराना हैं, लेकिन इस पुराने रिश्ते को नीतीश पहले भी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के लिए ठुकरा चुके हैं। जेडीयू और एनडीए की पुरानी दोस्ती के अलग होने के कयास तो बहुत पहले से लगाए जा रहे थे। आज एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने साफ तौर पर बीजेपी से अपना दामन छुड़ा लिया हैं।

     

    गठबंधन टूटने के पीछे की वजह केंद्र सरकार?

    2020 के चुनाव में जेडीयू और एनडीए के गठबंधन को 125 सीट मिली जिसमे अकेले बीजेपी को 74 सीट मिली लेकिन बीजेपी ने गठबंधन की सरकार के बाद नीतीश कुमार को बिहार के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने कैबिनेट में अपने 2 मंत्री के लिए जब जगह मांगी तो केंद्र ने साफ इंकार कर दिया जिसके बाद बीजेपी और नीतीश के रिश्तों में खटास आई। नीतीश ने तो यह तक कह दिया कि अब वो आगे भी कैबिनेट में अपनी सरकार नहीं बनाएंगे।

     

    नीतीश कुमार
    नीतीश कुमार

    केंद्र और आरसीपी सिंह की नजदीकियां नीतीश को नहीं आई रास

    उसके बाद ही जेडीयू के पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह को जब ग्रहमंत्री अमित शाह की तरफ से इकलौती जगह मिली कैबिनेट में तो नीतीश ने इस पर अपना असहमति बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी मर्जी से कैबिनेट में उनकी पार्टी के मंत्री को शामिल नहीं कर सकती। इसके बाद केंद्र और आरसीपी की बढ़ती नजदीकियों को देख कर जब नीतीश को अपनी सीएम कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आई तो उन्होंने आरसीपी को राज्यसभा नही भेजा और उन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा जिसके बाद आरसीपी सिंह ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।

     

    नीतीश केंद्र सरकार के फैसलों से नही थे राज़ी

    भले ही जेडीयू और एनडीए का नाता सालों पुराना था लेकिन जब रिश्तों गड़बड़ाते हैं तो कितने भी पुराने रिश्तें हो टूट जाते हैं। नीतीश केंद्र सरकार के कई फैसलों से काफी समय से खुश नहीं थे उनके और सरकार के विचार कई मामलों में एक जैसे नहीं थे लेकिन नीतीश गठबंधन से जकड़े हुए थे जिसकी वजह से वो कई फैसलों पर उनकी मर्जी ना होने के बाद भी सरकार का विरोध नही कर सकते थे।

     

    काफी समय से नाराजगी की वजह से नीतीश प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर जब डिनर का निमंत्रण मिला तो कोरोना का हवाला देकर उसे भी नीतीश ने टाल दिया। इन बातों से साफ जाहिर हैं कि नीतीश इस गठबंधन को तोड़ना चाहते थे।

     

    गठबंधन टूटने पर मंत्रियों की प्रतिक्रिया

    बिहार के बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल का कहना हैं की बीजेपी और बिहार की जनता को नीतीश ने धोका दिया हैं। आरसीपी सिंह ने कहा हैं की जेडीयू डूबता हुआ जहाज हैं जिसपर जेडीयू के अध्यक्ष लल्लन सिंह ने आरजेडी तैरता हुआ जहाज हैं। कई नेता जेडीयू के पक्ष में बोल रहे हैं तो वही विपक्ष इससे काफी खुश नजर आ रहा हैं।

     

    क्या होगा नीतीश का अगला कदम?

    सूत्रों की माने तो नीतीश अब एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद विपक्ष यानी आरजेडी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपनी महागठबंधन की सरकार बनायेंगे। जिसके बाद वो मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनायेंगे। नीतीश कई बार गठबंधन तोड़ चुके तो देखना होगा कि ये गठबंधन कितनी दूर तक जाएगा।

  • राधा यादव की चालाकी ने ICC को चौंकाया

    राधा यादव की चालाकी ने ICC को चौंकाया

    कॉमनवेल्थ गेम्स

    रविवार को कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने सिल्वर मेडल जीत लिया है। मैच में भले ही भारत को हार का सामना करना पड़ा लेकिन भारतीय महिलाओं ने गोल्ड मेडल जीतने के लिए मैदान पर कई कमाल दिखाए। पहले, दीप्ति शर्मा के एक हाथ से लिया गया बेथ मूनी के कैच ने महफिल लूटी तो वहीं दूसरी ओर राधा यादव  ने अपनी गेंदबाजी के दौरान कमाल की फील्डिंग कर विश्व क्रिकेट को हैरान कर दिया।

     

    गेंदबाज राधा यादव को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्होंने बर्मिंघम के एजबेस्टन में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत महिला और ऑस्ट्रेलिया महिला के बीच स्वर्ण पदक मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मेग लैनिंग को नॉन-स्ट्राइकर एंड पर आउट किया था। 10वें ओवर में राधा ने बेथ मूनी को नमन किया था, जिन्होंने तेज सिंगल लेने की सोच में उसे वापस गेंदबाज के दाहिनी ओर धकेल दिया। मेग लैनिंग ने दूसरे छोर तक दौड़ना शुरू कर दिया।

     

    नोंस्ट्रिक्केर स्टम्प की तरफ़ मोड़ दी गेंद 

    राधा यादव की त्वरित उपस्थिति ने उसे अपने हाथ में लुढ़कती हुई गेंद को पकड़ते हुए देखा, उसे अपनी बाईं ओर खिसकाकर अपने पैरों के बीच से स्टंप पर फेंक दिया और यह सिर्फ इंच की बात थी लेकिन लैनिंग का बल्ला हवा में था और जल्द ही 36 (26) पर आउट हो गया। संघर्ष के लिए, मेग लैनिंग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का विकल्प चुना, जबकि हरमनप्रीत कौर ने कहा कि उनकी टीम किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है।

     

    ब्लू में महिलाएं भी अंतिम गेम में अपरिवर्तित हैं। भारत की रेणुका सिंह के पहले नंबर पर रहने से ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले ही तीन विकेट खो चुकी है। राधा द्वारा रन आउट होने के बाद, वह फिर से दीप्ति शर्मा की गेंद पर एक शानदार कैच लपकते हुए दिखाई दीं,जिन्होंने बल्लेबाज ताहलिया मैकग्राथ को वापस भेज दिया। हालांकि, बल्लेबाज पहले ही 13 ओवर में 100+ रन बना चुके हैं।

     

    कौन है राधा यादव? 

    राधा यादव का जन्म 21 अप्रैल 2000 को हुआ था। राधा धीमे बाएं हाथ के रूढ़िवादी गेंदबाज हैं। यादव एक भारतीय क्रिकेटर हैं जो राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते हैं। वह घरेलू स्तर पर वेस्ट जोन, मुंबई और बड़ौदा का हिस्सा रह चुकी हैं। राधा यादव ने 13 फरवरी 2018 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया।

     

    राधा यादव ने अपना आखिरी टी20 11 नवंबर, 2018 को पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। राधा अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाली गुजरात की पहली क्रिकेटर थीं। वह बाएं हाथ की बल्लेबाज हैं।वह बहुत फुर्तीले क्षेत्ररक्षक हैं और मैदान पर उनकी सतर्कता और तीक्ष्णता टीम के लिए कई महत्वपूर्ण रन बचाती है। राधा को घरेलू स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण पारियों में बल्लेबाजी करने के लिए भी जाना जाता है।

     

    मुंबई के लिए खेली राधा यादव 

    राधा यादव का काफी एनिमेटेड घरेलू करियर था। राधा यादव अपने शुरुआती वर्षों में मुंबई के लिए खेली लेकिन 2014-15 में बड़ौदा में स्थानांतरित हो गईं। वह अंडर-19 वेस्ट ज़ोन टूर्नामेंट, सीनियर महिला एक दिवसीय टूर्नामेंट, सीनियर महिला टी 20 टूर्नामेंट और अंडर -23 वेस्ट ज़ोन एक दिवसीय टूर्नामेंट में बड़ौदा के लिए खेली। राधा यादव अंडर-19 टूर्नामेंट में बिल्कुल असाधारण थीं जहां उन्होंने 138 रन बनाए और 8 मैचों में 35 विकेट हासिल किए। उनकी निरंतरता ने उन्हें भारत ए टीम में एक स्थायी स्थान दिलाया। राधा यादव इंडिया ब्लू टीम के लिए भी खेल चुकी हैं।

     

    टी20 टीम के लिए नामित किया

    राधा यादव ने 13 फरवरी 2018 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया। वह राष्ट्रीय टीम के प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने वाली गुजरात की पहली खिलाड़ी भी बनीं। एक अनुभवहीन 18 वर्षीय राधा यादव ने PayTM महिला T20 त्रिकोणीय श्रृंखला में एक अनुभवी घायल राजेश्वरी गायकवाड़ की जगह ली। गायकवाड़ को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दाहिने हाथ में चोट लग गई थी। उन्होंने इस मौके को दोनों हाथों से भुनाया और टीम और चयनकर्ताओं के सामने अपनी काबिलियत साबित की। राधा तब से टीम का अहम हिस्सा रही हैं। अक्टूबर 2018 में, राधा को वेस्टइंडीज में होने वाली 2018 विश्व टी 20 टीम के लिए नामित किया गया था।

  • Deepak Punia: दीपक पूनिया ने जीता स्वर्ण, किया नाम रोशन।

    Deepak Punia: दीपक पूनिया ने जीता स्वर्ण, किया नाम रोशन।

    दीपक पूनिया

    दीपक पुनिया ने पहली बार गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया….उनका जन्म 19 मई 1999 को हरियाणा के छारा गांव में हुआ। उनके पिता का नाम सुभाष पुनिया है जो पेशे से एक किसान है और साथ ही दूध बेचने का भी काम करते हैं,और उनकी माता का नाम कृष्‍णा पुनिया है।

     

    जब दीपक पूनिया छोटे थे तब उनके पिताजी उन्हेल दंगल दिखाने ले जाया करते थे। दीपक पूनिया 86 किलोग्राम में भार वर्ग में खेलते हैं और इनकी हाइट 6 फुट 1 इंच है। गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे दीपक पूनिया को कुश्ती से बेहद प्यार था।वो 5साल की उम्र से ही कुश्ती का प्रेक्टिस क्या करते थे और छोटी मोटी दंगल भी खेला करते थे।

     

    उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में सरकारी स्कूल से ही पूरी की, दीपक पूनिया अभी 23 साल के हैं। वो हिंदू धर्म में जाट जाति से बिलॉन्ग करते हैं। पूनिया ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग वीरेंद्र सिंह छारा के अंडर में की थी। वीरेंद्र सिंह छारा भी एक रेसलर रह चुके हैं और साथ ही साथ उनको अर्जुन अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।

     

    ट्रेनिंग कि शुरुआत

    साल 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया लेकिन उसमें उसे जीत नहीं मिली लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और आगे बढ़ते रहें, फिर 2018 में उन्होंने फिर से एशियाई जूनियर चैंपियनशिप अपने हुनर का प्रदर्शन भारत देश की तरफ से किया।

     

    भारत देश के सम्मान में गोल्ड मेडल अपने नाम किया और इसी वर्ष विश्व जूनियर चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर उन्होंने रजत पदक को अपने नाम किया। और फिर उनकी प्रतिभा को देखते हुए 2019 में उन्हें विश्व चैंपियनशिप का हिस्सा बनने के लिए न्यौता मिला पर बदकिस्मती से वह अपने टखने में लगी चोट की वजह से वहाँ नहीं जा पाए। वर्ष 2020 में एशियन चैंपियनशिप में 86 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया।

     

    उपलब्धियों

    पिछले साल यानी वर्ष 2021 में एशियाई चैंपियनशिप में दीपक पूनिया ने रजत पदक प्राप्त किया और वर्ष 2022 में एशियन चैंपियनशिप में, 86 kg वर्ग में भी रजत पदक किया,उन्होंने इसी साल यासर डोगू प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता और कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 86 किलोग्राम भारवर्ग के फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में उन्होंने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के रेसलर मोहम्मद इनाम को हराकर गोल्ड मेडल जीता।

  • बजरंग पुनिया पहलवान ने भारत के लिए जीता स्वर्ण पदक

    बजरंग पुनिया पहलवान ने भारत के लिए जीता स्वर्ण पदक

    बजरंग पुनिया

    पहलवान बजरंग पुनिया ने चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में कुश्ती के खेल में भारत को अपना पहला स्वर्ण पदक दिला दिया है, क्योंकि उन्होंने पुरुषों के 65 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती फाइनल में कनाडा के लछलन मैकनील को हराया। कुछ मिनट बाद ही, 2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने भारत के लिए खेल से दूसरा स्वर्ण जोड़ने के लिए महिलाओं के 62 किलो वर्ग में कनाडा की एना गोंजालेज को पछाड़ दिया। मैट पर खुशी यहीं खत्म नहीं हुई क्योंकि दीपक पुनिया ने पुरुषों के 86 किलो वर्ग में पाकिस्तान के मुहम्मद इनाम को हराकर रात को तीसरे स्वर्ण पदक को अपने नाम किया।

     

    भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान रह चुके बजरंग पुनिया

    बजरंग पुनिया हरियाणा के रहने वाले एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। वह इस समय 65 किलोग्राम भार वर्ग में दूसरे नंबर पर हैं। वह विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में तीन पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान हैं। 2020 के  टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक मैच जीतने के बाद अपनी सूची में एक ओलंपिक पदक जोड़ा  और उन्होंने अपना पहला ओलंपिक पदक हासिल करने के लिए प्ले-ऑफ में अपने प्रतिद्वंद्वी को 8-0 से हराया।

     

    2020 का खेल बजरंग पुनिया का पहला ओलंपिक था और वह टोक्यो में पदक के लिए भारत के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने पिछले तीन साल से लगातार बड़े टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स में गोल्ड और वर्ल्ड चैंपियनशिप के 2018 और 2019 एडिशन में सिल्वर और ब्रॉन्ज जीता। बजरंग पुनिया उन आठ भारतीय पहलवानों में शामिल थे, जिन्होंने 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

     

    7 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी

    बजरंग पुनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हुआ था। बजरंग पुनिया हरियाणा के झज्जर जिले के खुदान गांव से ताल्लुक रखते हैं। बजरंग पुनिया, बलवन सिंह पुनिया और ओम प्यारी पुनिया के तीन बच्चों में सबसे छोटे हैं। उन ने 7 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी और खेल को आगे बढ़ाने के लिए उनके पिता, जो एक पहलवान भी थे, ने उन्हें प्रोत्साहित किया। 2015 में, उनका परिवार सोनीपत चला गया ताकि वे भारतीय खेल प्राधिकरण के क्षेत्रीय केंद्र में शामिल हो सकें। 25 नवंबर 2020, बजरंग पुनिया ने हरियाणा के बलाली गांव में एक शांत समारोह में साथी पहलवान संगीता फोगट से शादी कर ली। वह वर्तमान में भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं।

     

    एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में रजत पदक के लिए समझौता?  

    बजरंग पुनिया का पहला बड़ा टूर्नामेंट 2013 में नई दिल्ली में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप था। वह पुरुषों की फ्रीस्टाइल 60 किलो  वर्ग में उत्तर कोरिया के ह्वांग रयोंग-हाक से हारने के बाद टूर्नामेंट में कांस्य के लिए बस गए। विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2013 में 60 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीता था। 2014 में, पुरुषों के 61 किलोग्राम वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में अपने पदक के रंग को रजत में अपग्रेड किया। उन्होंने 2014 एशियाई खेलों में प्रदर्शन को दोहराया। फिर से, 2014 में, बजरंग पुनिया ने 2014 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में रजत पदक के लिए समझौता किया।

     

    2015 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में, उन्होंने खराब प्रदर्शन किया और टूर्नामेंट में 5 वें स्थान पर रहे। उन्होंने दिल्ली में आयोजित 2017 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में दो साल बाद आखिरकार अपना पहला स्वर्ण पदक चखा। बजरंग पुनिया ने  2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो वर्ग में एक और स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में अपना तीसरा स्वर्ण पदक हासिल किया। वह 2018 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद 65 किलो  वर्ग में विश्व के नंबर 1 बन गए। 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक ने उन्हें 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का टिकट दिलाया।