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  • GST New Rules: जीएसटी के नए नियम भारत के लिए बुरा सपना

    GST New Rules: जीएसटी के नए नियम भारत के लिए बुरा सपना

    जीएसटी के नए नियम “महंगाई की मार ने हमरा भट्टा बिठा दिया, चले हटाने गरीबी गरीबों को हटा दिया”…गाना हैं 2012 में प्रकाश झा के निर्देशन में बनी फिल्म चक्रव्यूह से। संभव हैं की आज से पहले आपने इस फिल्म के बारे में लगभग न के बराबर ही सुना होगा लेकिन आजकल की मौजूदा परिस्थितियां इस गाने से काफी हद तक मेल खा रही हैं।

    सरकार गरीबी तो नही लेकिन एक नए सशक्त भारत की तरफ गरीबों को लेकर तो नही जाने वाली ये तय हो गया हैं इस जीएसटी में आए नए बदलाव से। महंगाई अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी हैं।आए दिन पेट्रोल, डीजल, एलपीजी सिलिंडर के बढ़ते दाम से जनता परेशान हैं लेकिन इसी बीच सरकार एक और मास्टरस्ट्रोक लेकर सामने आई हैं जिसमे उन्होंने जीएसटी दरों को 5% बढ़ा दिया हैं। सरकार अच्छे दिन लेकर आने के चक्कर में गरीबों के मुंह से अब निवाला भी छीनने को तैयार हो चुकी हैं।

    जीएसटी की शुरुआत

    जीएसटी की बात हुई हैं तो जरा पीछे मुड़ कर देखना पड़ेगा जब 1 जुलाई 2017 से पहले एक आम आदमी तरह-तरह के टैक्स भरता था जैसे की सर्विस टैक्स,एक्साइज ड्यूटी,सेल्स टैक्स इत्यादि। जिसमे एक उत्पाद के बनने से लेकर उसके ग्राहक के पास पहुंचने तक कई चरणों पर टैक्स लगाया जाता था, यानी की टैक्स पर भी टैक्स देना पड़ता था। 1 जुलाई 2017 को सरकार जीएसटी लेकर आई जिसमे बताया गया की जीएसटी इस पूरी टैक्स पर टैक्स लगने की प्रक्रिया को खतम कर देगा।

    जीएसटी में सिर्फ एक रेट से टैक्स लगाया जाना था जिससे अलग अलग टैक्स भुगतान  आम आदमी को मुक्ति मिले।काफी हद तक ऐसा हुआ भी लेकिन धीरे धीरे जीएसटी अब काफी पेचीदा रूप ले चुका हैं। अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ जो पहले इसकी तारीफ करते नही है रहे थे अब कुछ भी बोलने से पीछे हट रहे हैं।

    सरकार अब रोजमर्रा की चीज़े जैसे आटा, चावल, दूध, छाछ इत्यादि पर भी 5% जीएसटी लगा दिया हैं। सरकार के जीएसटी के चंगुल से इस बार कोई सेक्टर नही बचा हैं चाहे वो गरीब ,अमीर या बच्चे हो।

    तो आइए देखते हैं किन किन चीजों पर टैक्स दर बढ़ा दी गई हैं या लगा दी गई हैं-:

    1. सबसे पहले सरकार ने कृषि और किसान को चुना हैं। वैसे कृषि भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 50% से अधिक की भागी हैं लेकिन इस सेक्टर पर भी जीएसटी की कड़ी मार पड़ी हैं। उन सभी मशीनों पर 5% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया जिसे बीजों और दालों को साफ किया जाता हैं जैसे की पवन चक्की। इसके बाद किसी भी कृषि के द्वारा निर्मित उत्पाद जैसे की फल, सब्जी को अगर साफ करने या छटायी के लिए अगर कोई मशीन इस्तेमाल करी जा रही हैं तो उस पर टैक्स 12% की जगह अब 18% देना होगा। और यही नहीं कोल्ड स्टोरेज वेयरहाउस जिसे पहले टैक्स की सूची से दूर रखा गया था अब इस पर भी टैक्स लगाया जाएगा।
    2. इसके बाद मुद्रण स्याही,ड्राइंग स्याही ,चाकू,पेंसिल,शार्पनर,वो मशीन जिससे आप केक काट कर परोसते हैं उस पर भी 12% की जगह अब 18% टैक्स लगाया जाएगा।
    3. एलईडी लैंप्स और सूर्य ऊर्जा से चलने  पानी के हीटर पर भी 18% टैक्स लगाया जाएगा
    4. कोई भी तरल या दूध से बनाया गया उत्पाद जो एक tetra pack में आता हैं उस पर भी 18% टैक्स देना होगा।
    5. किसी होटल में अगर 1000 रुपए तक का कमरा लिया हैं तो 12% जीएसटी देना होगा।
    6. किसी अस्पताल में अगर 5000 से ज्यादा का कमरा लिया हैं तो 5% जीएसटी देना होगा।
    7. कोई भी चेक बुक या अलग से चेक लेने पर, एटलस,नक्शा या ग्लोब लेने पर भी टैक्स अदा करना होगा।

    ये सिर्फ कुछ चीजों को टैक्स का हिसाब हमने आपको दिया इसे देख कर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं की चोट किसपर पद रही हैं लेकिन सरकार ने अमीरों पर भी टैक्स लगाया हैं जैसे की-:

    1. पॉलिश्ड किए हुए हीरे जिन पर पहले 0.25% टैक्स लगता था अब 1.5% का जीएसटी लगेगा।
    2. इसके बाद बिजनेस क्लास से अगर आप श्री यात्रा करते हैं तो उसपर भी टैक्स दर बढ़ा दी गई हैं।

    और यही नहीं की सिर्फ टैक्स बढ़ा हैं टैक्स दरों को कम भी किया गया हैं अगर रस्सी के रास्ते का इस्तेमाल करते हुए आपने कही यात्रा कर रहे हैं तो जीएसटी दर को 18% से घटाकर 5% कर दिया गया हैं।

    अब सरकार के इस कड़े कदम से किस पर कितना प्रभाव पड़ रहा हमने उसका एक अंश दिया हैं लेकिन इसका प्रभाव काफी लंबा चौड़ा होगा जो कई वर्गो को अपने पेट कटकर जिंदा रहने पर मजबूर कर देगा। सरकार इस कदम को इसलिए जरूरी बता रही हैं अब टैक्स की चोरी रुक जायेगी। ये तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा।

  • राष्ट्रपति और चुनाव के बारे में सब कुछ जानिये

    राष्ट्रपति और चुनाव के बारे में सब कुछ जानिये

    राष्ट्रपति और चुनाव

    राष्ट्रपति को विधायिका के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका में संसद के किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने या लोकसभा को भंग करने की पूरी शक्ति है। राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग केवल प्रधान मंत्री और उनकी केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कर सकता है। भारत की संसद भारतीय संसद।

     

    जैसे 18 जुलाई को देश भर के निर्वाचित विधायक और सांसद भारत के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 62(1) के तहत, “राष्ट्रपति के पद के कार्यकाल की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरा किया जाएगा”। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है।

     

    क्या है नॉमिनेशन की प्रक्रिया:

    आइए भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की पूरी प्रक्रिया को दस बिंदुओं में समझाते हैं।

     

    1. भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें लोकसभा और राज्य सभा दोनों के संसद सदस्य और सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश शामिल होते हैं। जिसमे पुडुचेरी। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, भारत के चुनाव आयोग को राष्ट्रपति चुनाव कराने का अधिकार है। निर्वाचक मंडल में संसद के 776 सदस्य और कुल 4,809 मतों के साथ विधानसभाओं के 4,033 सदस्य हैं।

    2. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद के एक कमरे और सभी राज्य विधान सभा सचिवालयों के एक कमरे में होता है।

    3. निर्वाचकों के मतों का मूल्य राज्यों की जनसंख्या पर आधारित होता है.। इसकी गणना राज्य की जनसंख्या को विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से विभाजित करके और फिर भागफल को 1,000 से विभाजित करके की जाती है।

    4. प्रत्येक राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों का कुल मूल्य सदन में निर्वाचित सीटों की संख्या को प्रत्येक सदस्य के वोटों की संख्या से गुणा करके निकाला जाता है।

    5. एक साथ जोड़े गए सभी राज्यों के वोटों के कुल मूल्य को प्रत्येक सांसद के वोटों का मूल्य प्राप्त करने के लिए संसद (लोकसभा और राज्य सभा) के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है।

    6. विधायकों के वोटों का मूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है। सांसदों का मूल्य समान है।

    7. चूंकि राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है, इसलिए प्रत्येक मतदाता की उतनी ही प्राथमिकताएँ होती हैं जितनी कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की। जीतने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किए जाने के लिए आवश्यक वोटों का कोटा हासिल करना होता है, यानी कुल वोटों का 50% +1

    8. राज्य के विधायकों के वोटों का संयुक्त मूल्य 5,43,231 है और सांसदों का वोट 5,43,200 है, इसलिए वोटों की कुल संख्या 10,86,431 है।

    9. चूंकि राष्ट्रपति चुनाव में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है, इसलिए निर्वाचक दलगत आधार पर मतदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

    10. चुनाव आयोग मतदाताओं को मतदान के लिए एक विशेष पेन भी उपलब्ध कराएगा।

    भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त विधायी शक्तियां

    राष्ट्रपति के पास लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। एक विधेयक जो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है, वह राष्ट्रपति के प्राप्त होने पर ही कानून बन सकता है।

     

    भारत के राष्ट्रपति के पास राज्य सभा के लिए 12 सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति है जिन्होंने विज्ञान, कला, साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रपति के पास किसी विधेयक को संसद में वापस भेजने की शक्ति होती है, जब तक कि वह धन विधेयक या संवैधानिक संशोधन विधेयक न हो।

     

    भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त कार्यकारी शक्ति

    देश की कार्यकारी शक्तियाँ भारत के राष्ट्रपति के पास निहित हैं। संसद राष्ट्रपति को अतिरिक्त शक्तियाँ प्रदान कर सकती है यदि वह उचित समझे और इन शक्तियों को राष्ट्रपति द्वारा राज्य के राज्यपालों को और अधिक प्रत्यायोजित किया जा सकता है।

     

    राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां

    भारत का राष्ट्रपति सभी भारतीय सशस्त्र बलों का कमांडर इन चीफ होता है। राष्ट्रपति के पास प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर किसी भी देश के साथ युद्ध की घोषणा करने या शांति समाप्त करने की शक्ति है। किसी भी विदेशी देश के साथ सभी संधियों पर भारत के राष्ट्रपति के नाम पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।

  • Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद का उमीदवार कौन?

    Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद का उमीदवार कौन?

    राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई, 2022 को पूरा हो चुका है जिसके बाद बारी आती है उपराष्ट्रपति चुनाव की जिसका मतदान 5 अगस्त, 2022 को है। 2 राज्य के राज्पाल उमीदवार तौर पर खड़े है। पक्ष से है जगदीप धनखड़ और विपक्ष से है मार्ग्रेट आल्वा। तो चलिए जानते है दोनो उपराष्ट्रपति उमीदवारो के बारे में|

    वकील से राज्यपाल और फिर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार 

    वेस्ट बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका जन्म राजस्थान के जिला झुंझुनू के गांव किठाना में गोकल चंद 18 मई 1951 को हुआ। यह राजस्थान हाईकोर्ट बार असोसीएशन के भी प्रेसिडेंट रह चुके है। 

    धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे और उन्हें 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 70 साल के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था।  

    candidates of vice-presidential elections 2022
    Jagdeep Dhankhar and Margaret Alva

    कौन है मार्ग्रेट आल्वा ? 

    कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के बेहद क़रीब  रही आल्वा को विपक्ष उपराष्ट्रपति पद के लिए उतारा है। यह घोषणा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करने के एक दिन बाद आई है। यह फैसला एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर हुई बैठक में लिया गया है। संसद की वर्तमान संख्या 780 में से अकेले भाजपा के पास 394 सांसद हैं, जो बहुमत के 390 से अधिक है। साल 1999 में पहली बार आल्वा सांसद चुनी गयी थी। इसके बाद 5 बार उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता। 

    6 अगस्त 2009 को मार्गरेट अल्वा उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं थी । जिसके बाद वो राजस्थान, गुजरात और गोवा की राज्यपाल भी रहीं। मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मैंगलोर में एक रोमन कैथोलिक परिवार में हुआ था। उन्होंने माउंट कार्मेल कॉलेज, बैंगलोर से बीए की डिग्री और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बैंगलोर से कानून की डिग्री प्राप्त की थी।

  • राष्ट्रपति चुनाव हुआ पूरा, 21 जुलाई को आएगा नतीजा

    राष्ट्रपति चुनाव हुआ पूरा, 21 जुलाई को आएगा नतीजा

    राष्ट्रपति- राष्ट्र सेवक

    राष्ट्रपति एक देश की अहम कड़ी होती हैं। पूर्व राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा हो चुका हैं जिसके बाद बारी आती हैं अगले राष्ट्रपति चुनाव की।. आज देश के अगले राष्ट्रपति चुनाव के मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई। यह प्रक्रिया सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चली जिसमे देश के लगभग  4800 निर्वाचित सांसद और विधायकों ने हिस्सा लिया। पीएम नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा कई सांसद और केंद्रीय मंत्री ने वोट डाला।

     

    उम्मीदवारों के बीच युद्ध

    राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला है। वोटों का गणित देखे तो द्रौपदी मुर्मू की जीत पक्की मानी जा रही है। अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनती हैं तो वह आदिवासी समुदाय की देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली शख्सियत होंगी। मतदान के बाद सभी राज्यों से मत पेटियां दिल्ली लाई जाएंगी और 21 जुलाई को वोटों की गिनती के बाद देश के नए राष्ट्रपति के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा

     

    राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह से विपक्ष ने शुरू में एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी वह बिखरती हुई नजर आई। चुनाव से पहले विपक्ष खुद मान रहा था कि सत्ता पक्ष की जीत निश्चित है। दरअसल, बीजेपी ने मुर्मू के रूप में महिला और ट्राइबल दोनों ही कार्ड खेलकर कई राज्यों में विपक्ष को धर्मसंकट में डाल दिया।इसलिए कई विपक्षी दलों ने धीरे-धीरे खुद को इस मुहिम से दूर करना शुरू कर दिया। लेकिन अब चुनाव के बाद सबको मुर्मू का पलड़ा ही भारी दिख रहा हैं।

     

    yashwant sinha and draupadi murmu
    Yashwant Sinha and Draupadi Murmu

    पद के लिए उम्मीदवारों के बीच वोटों की लड़ाई

    मतदान के दौरान ऐसे खबरें आईं कि कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने भी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है। बताया जा रहा है कि गुजरात में एनसीपी, यूपी में समाजवादी पार्टी और ओडिशा में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है। अगर ये खबरें सही हैं तो मूर्मू की जीत और भी एकतरफा हो सकती है।

    हालांकि यशवंत सिन्हा ने भी मतदान से पहले बीजेपी समेत सभी दलों के सांसदों-विधायकों से अपील की थी कि वे दलीय आधार पर मतदान करने की बजाय उनके पक्ष में वोट डालें। अब 21 जुलाई को साफ हो ही जायेगा की मुर्मू या यशवंत दोनो में से  किसने राष्ट्रपति पद पर अपनी धाक जमाई हैं।

  • HEROPANTI 2 Movie Review

    HEROPANTI 2 Movie Review

    Heropanti 2 Movie Review: Once there was a time in Bollywood when filmmakers faced budget cuts due to less investment. But they nailed it in terms of script, screenplay, direction, and execution. But today, Bollywood might be questioning itself, why? They are creating one of the worst messes at such a big investment.

    Yes, I am talking about the recently released movie Heropanti 2. My god, how can somebody make such a horrible film. If filmmakers don’t care about the audience, at least they should have shown some courtesy in the name of their budget of 85 crores.

     

    Heropanti 2 movie review

    Heropanti 2  is taken as an example of creating a disgrace in the name of the movie. No, seriously, this movie was one of the much-awaited films of this year, but it failed miserably in this context. They wanted to make an action masala entertainer and wanted to deliver a unique film for cybercrime, but they failed in all aspects.

    Heropanti 2  storyline is not something that sounds extraordinary. Still, the subject they chose(cybercrime) was something that could have been used at its full potential for better execution, but Mr Ahmed khan’s direction and Rajat Arora’s writing made it a nightmare.

    I still remember my show’s occupancy was about 35%, but during intervals, I saw only 10-15 people left in the theatre( I feel sad for them, obviously).  There was literally no scene that could have created excitement for further movies.

    The screenplay of the film was strictly below average. There is a cybercriminal Laila who, out of nowhere, gets involved in a tussle with a RAW officer. That’s it, seriously, that’s it. No conflicts, no tensions, no proper screenplay, nothing. This was one of the main reasons why this film was unable to make a connection with the audience.

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    I want to sign a petition to stop choreographers to make films. Like Ahmed khan, why step in a direction when you can improve yourself in the field in which you are highly expert. Literally, waste the producer’s money in this mess. He should have paid attention to details, screenplay, storytelling, and dialogues, no proper character development, nothing.

    heropanti 2

    Tiger Shroff was no doubt good in some action sequences and stunts. But he should work on two things as an actor. 1. He should focus more on emotions. 2. He deserves a good director, like Siddharth and in war.

    Nawazuddin Siddiqui was like a cheap version of joker in this film as Laila. His talent was wasted; if you want to show a character with intense psycho characteristics, write his character as per the cast. Tara Austria was one of the other useless things in this film.

    She was like just another leaf on the tree. The cinematography was strictly average, and the dialogues were rubbish. The editing was decent. And a soundtrack by AR Rahman, sir. Seriously songs in this movie were the worst of Rahman sir’s career. Overall, if you are literally feeling very useless in your life, then go for this film.

    STORYLINE –  1*

    SCREENPLAY – 1*

    ACTING –  1.5*

    DIRECTION –  0.5*

    SERIES RATING – 1.3*

    CINEMATOGRAPHY – 2.5*