राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए की गई क्लाउड सीडिंग यानि कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) की कोशिश बुधवार को नाकाम रही। करोड़ों रुपये खर्च कर किए गए इस प्रयोग के बावजूद शहर की हवा में सुधार नहीं हुआ और आसमान से एक बूंद भी नहीं गिरी।
बहुत खराब हवा में भी नहीं हुई बारिश
बुधवार को धुंध से घिरे दिल्ली में एयर क्वॉलिटी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। ऐसे में सरकार ने आईआईटी कानपुर की मदद से कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) का ट्रायल किया, लेकिन यह प्रयोग बारिश कराने में असफल रहा। दिल्ली सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट में ₹1 करोड़ से अधिक की लागत आई, जबकि आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि सिर्फ मंगलवार को हुई क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया पर ही करीब ₹60 लाख का खर्च आया।
कैसे हुआ क्लाउड सीडिंग का प्रयोग
मंगलवार को आईआईटी कानपुर द्वारा संचालित एक सिंगल-प्रोपेलर विमान ने उत्तर-पश्चिम दिल्ली और एनसीआर के कई हिस्सों के ऊपर उड़ान भरी। विमान ने सिल्वर आयोडाइड फ्लेयर्स दागे ताकि कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) हो सके। हालांकि, बादलों में नमी की कमी (सिर्फ 10-15%) होने की वजह से बारिश नहीं हो पाई। मौसम विभाग के अनुसार, पूरे एनसीआर में सिर्फ 0.1 मिमी बारिश नोएडा में दर्ज की गई।
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट: नमी की कमी बनी बड़ी बाधा
आईआईटी कानपुर की टीम ने बताया कि क्लाउड सीडिंग यानि कि कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) के दौरान 14 फ्लेयर्स बादलों में छोड़े गए, लेकिन नमी बेहद कम थी।
निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा,
“प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए क्लाउड सीडिंग यानि कि कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) का यह पहला प्रयास था। संदर्भ के लिए कोई पिछला डेटा नहीं था, लेकिन इस प्रयोग से हमें महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी मिली है। बेहतर नमी होने पर नतीजे काफी अच्छे हो सकते हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि कानपुर से विमान उड़ाने की वजह से खर्च बढ़ा, इसलिए अब दिल्ली-एनसीआर के पास विमान तैनात करने के विकल्प तलाशे जा रहे हैं ताकि आगे के ट्रायल्स कम खर्च में किए जा सकें।
दूसरे दिन के ट्रायल भी स्थगित
29 अक्टूबर को दो और ट्रायल की योजना थी, लेकिन मौसम की स्थिति ठीक न होने के कारण इन्हें अस्थायी रूप से टाल दिया गया। अग्रवाल ने साफ किया कि कृत्रिम बारिश स्थायी समाधान नहीं है और प्रदूषण को जड़ से खत्म करने के लिए स्रोतों पर काम करने की जरूरत है।
इन इलाकों में हुआ था ट्रायल
ट्रायल के दौरान विमान ने खेकड़ा, बुराड़ी, करोल बाग, मयूर विहार, सादकपुर, भोजपुर और आसपास के इलाकों में उड़ान भरी। इन जगहों पर बारिश की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।
राजनीतिक तकरार भी शुरू
जहां दिल्ली सरकार ने इस प्रयोग को “सफल कोशिश” बताया, वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे ‘फर्जीवाड़ा’ करार दिया। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने वीडियो जारी कर कहा,
“4:30 बज चुके हैं, बारिश नहीं है। इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा!”
प्रदूषण से अब भी बेहाल राजधानी
दिवाली के बाद से लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली की हवा अभी भी “बेहद खराब (Severe)” श्रेणी में है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पर्याप्त नमी के क्लाउड सीडिंग यानि कि कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) से बारिश कराना लगभग असंभव था। सरकार और आईआईटी कानपुर अब इस डेटा के आधार पर नए ट्रायल्स की योजना बना रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक प्रदूषण के मूल स्रोतों — वाहनों, निर्माण धूल, और पराली जलाने — पर सख्ती नहीं होगी, तब तक हवा में सुधार मुश्किल रहेगा।


