Israel-Iran: 20 जून, 2025 तक, इजराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है, जिसने मध्य पूर्व को युद्ध की आग में झोंक दिया है। पिछले सात दिनों से दोनों देशों के बीच सैन्य हमले तेज हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं।
Israel-Iran: ताजा हमले और नुकसान
शुक्रवार सुबह ईरान(Iran) ने इजराइल(Israel) के बीर्शेबा शहर पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया। टाइम्स ऑफ इजराइल के अनुसार, यह मिसाइल माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के पास गिरी, जिससे कई कारों में आग लग गई और आसपास के घरों को नुकसान पहुंचा। इस हमले में 6 लोग घायल हुए। यह लगातार दूसरा दिन है जब बीर्शेबा को निशाना बनाया गया। गुरुवार को ईरान ने शहर के सोरोका मेडिकल सेंटर पर मिसाइल दागी थी, जिसमें 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन हमलों ने इजराइल के नागरिक क्षेत्रों में दहशत फैला दी है।
दूसरी ओर, इजराइल(Israel) ने ईरान(Iran) के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए हैं। इन हमलों में ईरान की वायु रक्षा प्रणाली और मिसाइल लॉन्चरों को भारी नुकसान पहुंचा है। वॉशिंगटन स्थित एक मानवाधिकार समूह, ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स, के अनुसार, इजराइल के हमलों में ईरान में 639 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 263 नागरिक और 164 सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा, 1,329 लोग घायल हुए हैं। इजराइल में पिछले सात दिनों में 24 लोगों की मौत हुई है और 600 से ज्यादा लोग घायल हैं।
परमाणु खतरा और अमेरिका की चेतावनी

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने चेतावनी दी है कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने की पूरी क्षमता रखता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, “अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई आदेश दें, तो ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है।” उन्होंने इसे न केवल इजराइल, बल्कि अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए खतरा बताया। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं की है कि ईरान व्यवस्थित रूप से परमाणु हथियार बना रहा है। फिर भी, ईरान द्वारा 60% तक यूरेनियम संवर्धन की खबरों ने इजराइल और पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
Israel-Iran: सैन्य और रणनीतिक स्थिति
इजराइल(Israel) ने ईरान के खिलाफ आश्चर्यजनक हमले शुरू किए, जिसमें 100 से ज्यादा महत्वपूर्ण ठिकानों, जैसे नतांज परमाणु संयंत्र और पार्चिन सैन्य अड्डे, को निशाना बनाया गया। इजराइल ने ईरान की हवाई रक्षा प्रणाली को लगभग नष्ट कर दिया है और उसके आधे से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चरों को तबाह कर दिया है। इसके जवाब में, ईरान(Iran) ने इजराइल पर मिसाइल हमले तेज किए, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती जा रही है। पहले दिन 150 मिसाइलें दागी गईं, जो अब घटकर 10 तक पहुंच गई हैं।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका की आत्मसमर्पण की मांग को ठुकरा दिया है और चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका हस्तक्षेप करता है, तो उसे “अपूरणीय क्षति” का सामना करना पड़ेगा। ईरान ने अपने इंटरनेट नेटवर्क पर प्रतिबंध भी लगा दिए हैं, जिससे देश में सूचना का प्रवाह सीमित हो गया है।
Israel-Iran: मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस युद्ध ने दोनों देशों में भारी मानवीय संकट को जन्म दिया है। ईरान में नागरिक बुनियादी ढांचे, जैसे अस्पतालों, पर हमले हुए हैं, जबकि इजराइल में भी नागरिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। गाजा में इजराइल के समानांतर हमलों ने स्थिति को और जटिल कर दिया है, जहां एक दिन में 72 लोग मारे गए, जिनमें से कई खाद्य वितरण स्थलों के पास थे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस तनाव को कम करने की कोशिशें शुरू की हैं। रूस ने मध्यस्थता की पेशकश की है, जबकि यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ जेनेवा में बातचीत शुरू की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज, 20 जून को, ईरान, रूस, चीन, पाकिस्तान और अल्जीरिया के अनुरोध पर आपातकालीन बैठक आयोजित कर रही है। हालांकि, इजराइल और ईरान के कट्टर रुख के कारण शांति वार्ता की राह मुश्किल दिख रही है।
वैश्विक प्रभाव
यह तनाव वैश्विक ऊर्जा बाजारों को प्रभावित कर रहा है, खासकर क्योंकि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को नियंत्रित करता है, जो वैश्विक तेल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली के स्टॉक में कमी की खबरें भी चिंता का विषय हैं, क्योंकि ईरान की कुछ मिसाइलें इसके उन्नत सिस्टम को भेदने में सफल रही हैं।
निष्कर्ष
इजराइल और ईरान के बीच यह युद्ध न केवल मध्य पूर्व, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। परमाणु हथियारों की आशंका, नागरिकों की मौतें और क्षेत्रीय अस्थिरता ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। अमेरिका की संभावित भागीदारी और ईरान के सहयोगियों, जैसे हिजबुल्लाह और इराकी मिलिशिया, की प्रतिक्रिया युद्ध को और व्यापक बना सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह जरूरी है कि वह तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप करे और इस संकट को नियंत्रित करे, वरना इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।