जामा मस्जिद, पुरानी दिल्ली का दिल, सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि स्वाद, संस्कृति और कहानियों का संगम है। अगर आप दिल्ली की असली आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो महंगे रेस्टोरेंट्स छोड़कर इन संकरी गलियों में उतरें। परांठे वाली गली से लेकर शरबत-ए-मोहब्बत तक, यहां हर कदम पर स्वाद और परंपरा की कहानी बिखरी है। आइए, हम आपको इस स्वादिष्ट यात्रा पर ले चलें।
1. परांठे वाली गली: स्वाद की विरासत
दिल्ली का सबसे स्वादिष्ट ठिकाना
पुरानी दिल्ली की परांठे वाली गली संकरी हो सकती है, लेकिन इसके स्वाद की गहराई बेमिसाल है। यहां की दुकानें तीन पीढ़ियों से चली आ रही हैं, जहां परांठे सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक कला हैं।
एक दुकान, जो बन गई विरासत
इतिहास: 60-70 साल पुरानी दुकान, दादाजी के ज़माने से चली आ रही।
खासियत: वही पुराना तवा, वही देसी घी का स्वाद, सिर्फ ग्राहक बदलते हैं।
स्वाद की रेंज:
रबड़ी परांठा: मिठास और घी का अनोखा मेल।
मॉमोज़ परांठा: देसी-विदेशी स्वाद का फ्यूजन।
चीज़-भुर्जी और नटेला परांठा: अनोखे और स्वादिष्ट प्रयोग।
विशेषता: 100% सात्विक (बिना प्याज-लहसुन), शुद्ध देसी घी में डीप फ्राई।
रसोई का जादू: छोटी सी रसोई में 13-14 लोग दिनभर मेहनत करते हैं, सब कुछ हस्तनिर्मित।
भीड़: शनिवार-रविवार को गली में जाम जैसी स्थिति।
नया जोड़ा: छोले भटूरे, जो तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
2. जामा मस्जिद गेट 1: नॉन-वेज का स्वर्ग
खुशबू जो भूख जगा दे
जामा मस्जिद के गेट नंबर 1 के सामने 35-40 साल पुरानी नॉन-वेज दुकान हर गुजरने वाले को अपनी खुशबू से रोक लेती है।
मेन्यू हाइलाइट्स:
-
नली निहारी: रातभर धीमी आंच पर पकी, हड्डियों से निकला गहरा स्वाद।
-
मटन कोरमा: मसालों का बारीक बैलेंस।
-
चिकन बिरयानी: हर दाने में ज़ायका।
-
रुमाली रोटी: बड़ी, पतली और स्वाद से भरपूर।
-
लोकप्रियता: नोएडा, गुड़गांव, मेरठ, अलीगढ़ और जयपुर से लोग खाने आते हैं।
-
दुकानदार का कहना: “मसाले और मेहनत का कमाल है।”
क्यों हैं जामा मस्जिद की गलियाँ खास?
-
स्वाद की गहराई: हर दुकान एक पीढ़ी की मेहनत और परंपरा का प्रतीक।
-
सांस्कृतिक मेल: देसी और विदेशी स्वाद का अनोखा संगम।
-
इतिहास का अहसास: हर गली में पुरानी दिल्ली की कहानियाँ।
-
लोगों का प्यार: स्थानीय से लेकर विदेशी पर्यटक तक, सभी का दिल जीतती हैं ये गलियाँ।
निष्कर्ष: दिल्ली आएं, गलियों में भटकें
जामा मस्जिद की गलियाँ सिर्फ खाने की जगह नहीं, बल्कि एक जीवंत तहज़ीब हैं। यहां हर दुकान एक कहानी कहती है, हर स्वाद एक अनुभव देता है, और हर गली में दिल्ली का इतिहास झलकता है। अगर आप दिल्ली आएं, तो बिना गाइड, सिर्फ भूख और दिल लेकर इन गलियों में भटकें। स्वाद के साथ-साथ आपका दिल भी भर जाएगा।