जानिए कैसे मेघना सिंह(Meghna Singh) ने रेलवे स्टेशन की नौकरी से शुरुआत करके भारत की टॉप क्रिकेट बॉलर बनने का सफर पूरा किया। एक छोटे शहर की जबरदस्त कहानी।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर बिजनौर में, जहाँ लड़कियाँ क्रिकेट खेलने का सिर्फ सपना देख सकती थीं, मेघना सिंह का एक बड़ा ख्वाब था। आज वो भारत की सबसे अच्छी बॉलरों में से एक हैं और हमें सिखाती हैं कि जब आप हिम्मत नहीं हारते, तो कमाल की चीजें हो सकती हैं।
छोटे शहर में बड़े सपने
मेघना सिंह(Meghna Singh) का जन्म 18 जून, 1994 को बिजनौर में हुआ था। उनकी कहानी बिल्कुल फिल्म की तरह है – मुश्किलों से भरी लेकिन खुशी के साथ खत्म होने वाली। उनके शहर में लड़कियों के लिए न तो अच्छे क्रिकेट के मैदान थे और न ही कोच।
लेकिन मेघना सिंह(Meghna Singh) ने हार नहीं मानी। रोज़ाना 24 किलोमीटर का सफर करके नेहरू स्टेडियम प्रैक्टिस के लिए जाती थीं। कभी-कभी तो लड़कों की टीम के साथ खेलना पड़ता था क्योंकि लड़कियों की कोई टीम ही नहीं थी। उनके पापा विजयवीर सिंह ने उनके सपने का साथ दिया जब दूसरे लोग कहते थे कि लड़कियाँ क्रिकेट में कुछ नहीं कर सकतीं।
रेलवे स्टेशन पर नौकरी
क्रिकेट स्टार बनने से पहले, मेघना सिंह एक आम लड़की की तरह रेलवे बुकिंग क्लर्क की नौकरी करती थीं। यात्रियों को ट्रेन के टिकट देती थीं और मन में भारत के लिए खेलने का सपना रखती थीं। ये नौकरी बहुत जरूरी थी क्योंकि इससे क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए पैसे मिल जाते थे।
उनकी दिनचर्या काफी कड़ी थी: सुबह जल्दी उठकर क्रिकेट प्रैक्टिस, फिर रेलवे स्टेशन पर काम, शाम को दोबारा प्रैक्टिस, और वीकेंड में क्रिकेट मैच के लिए यहाँ-वहाँ जाना। सबसे अच्छी बात ये थी कि रेलवे की नौकरी की वजह से उनका जुड़ाव रेलवे क्रिकेट टीम से हुआ, जहाँ भारत की कुछ बेस्ट महिला क्रिकेटरों के साथ खेलने का मौका मिला।
टीम इंडिया में एंट्री
अगस्त 2021 में मेघना सिंह की किस्मत ही बदल गई। उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के लिए खेलने का चांस मिला – और ये कोई आम टीम नहीं, दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक थी। 21 सितंबर, 2021 को पहला वनडे खेला और सिर्फ 9 दिन बाद पहला टेस्ट मैच भी।
2022 में न्यूजीलैंड में क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला। ये मौका था दुनिया को दिखाने का कि वो क्या कर सकती हैं। न्यूजीलैंड के मौसम में उनकी बॉलिंग स्टाइल परफेक्ट बैठी, और वो जरूरी वक्त पर विकेट लेने के लिए मशहूर हो गईं।
बॉलर के रूप में क्या है खास
मेघना सिंह(Meghna Singh) सबसे तेज़ बॉलर नहीं हैं, लेकिन बहुत होशियार हैं। उनका सीक्रेट वेपन है स्विंग बॉलिंग – मतलब वो क्रिकेट की गेंद को हवा में केले की तरह मोड़ सकती हैं, जिससे बैट्समैन कन्फ्यूज हो जाता है जो सीधी गेंद का इंतजार कर रहा होता है।
उनका फेवरेट डायलॉग है: “एक्यूरेसी से मैच जीते जाते हैं। स्विंग बॉलिंग से टूर्नामेंट जीते जाते हैं।”
उन्हें अलग बनाने वाली चीजें: स्विंग बॉलिंग जो बैट्समैन को सरप्राइज़ करती है, एक्यूरेट बॉलिंग जैसे डार्ट प्लेयर बुल्स आई पर निशाना लगाता है, स्मार्ट सोच जो हर बैट्समैन की कमजोरी ढूंढती है, और प्रेशर में भी शांत रहना।
WPL में कामयाबी और आगे की कहानी
महिला प्रीमियर लीग (WPL) ने मेघना सिंह(Meghna Singh) को अपना टैलेंट दिखाने का बड़ा प्लेटफॉर्म दिया। गुजरात जाइंट्स ने उन्हें अपनी टीम के लिए चुना, और उन्होंने साबित कर दिया कि दुनिया के बेस्ट प्लेयर्स के खिलाफ भी अच्छी बॉलिंग कर सकती हैं। शानदार स्पेल्स डाले और इकॉनमी रेट कम रखी, जिससे पूरे भारत के क्रिकेट फैंस में फेमस हो गईं।
अभी भी खेल रहीं, अभी भी प्रेरणा दे रहीं
आज 2025 में मेघना सिंह(Meghna Singh) की कहानी सिर्फ इंटरनेशनल फेम और WPL सक्सेस तक सीमित नहीं है। नेशनल स्टार बनने के बाद भी वो बिल्कुल सिंपल और ज़मीन से जुड़ी हुई हैं। अभी भी रेलवे के लिए महिला रणजी ट्रॉफी में खेलती हैं, जो भारत की सबसे टफ डोमेस्टिक क्रिकेट चैंपियनशिप है।
रणजी ट्रॉफी में खेलना उनकी लॉयल्टी दिखाता है उस टीम के प्रति जिसने पहले मौका दिया था। और भी जरूरी बात ये है कि वो इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके भारत के अलग-अलग राज्यों के युवा क्रिकेटरों की हेल्प करती हैं। जब युवा लड़कियाँ देखती हैं कि मेघना सिंह(Meghna Singh) अभी भी इंटरनेशनल मैच के साथ-साथ डोमेस्टिक क्रिकेट भी खेल रही हैं, तो वो सीखती हैं कि कामयाबी का मतलब अपनी जड़ों को भूलना नहीं है।
BCCI के रिकॉर्ड बताते हैं कि मेघना सिंह(Meghna Singh) अभी भी एक एक्टिव रजिस्टर्ड प्लेयर हैं, मतलब कभी भी टीम इंडिया के लिए सेलेक्ट हो सकती हैं। लेकिन उनके लिए रणजी ट्रॉफी में एक्टिव रहना नेक्स्ट जेनरेशन के क्रिकेटरों की हेल्प करने के बारे में है, खासकर अपने जैसे छोटे शहरों की लड़कियों की।
बढ़ती जा रही विरासत
मेघना सिंह(Meghna Singh) सिर्फ क्रिकेट नहीं खेलतीं – वो उन युवा लड़कियों की हेल्प भी करती हैं जो खेलना चाहती हैं। छोटे शहरों में जाकर बच्चों को क्रिकेट सिखाती हैं। उनसे कहती हैं कि फर्क नहीं पड़ता कि आप छोटी जगह से आते हैं – आप फिर भी बड़ी चीजें हासिल कर सकते हैं।
उनकी टीममेट्स कहती हैं कि वो हमेशा शांत रहती हैं, बहुत मेहनत करती हैं, और टीम को पहले रखती हैं। रेगुलर डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने का चुनाव करके वो भारतीय महिला क्रिकेट को ग्रासरूट लेवल पर मजबूत बनाती हैं।
रेलवे बुकिंग क्लर्क से क्रिकेट स्टार तक मेघना सिंह(Meghna Singh) का सफर अभी भी चलता जा रहा है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची महानता सिर्फ पर्सनल अचीवमेंट्स के बारे में नहीं है – बल्कि दूसरों को ऊपर उठाने के बारे में भी है। हर उस युवा के लिए जो छोटे शहर में बड़े सपने देखता है, उनकी चलती रहने वाली कहानी दिखाती है कि पर्याप्त मेहनत से कोई भी महानता हासिल कर सकता है और फिर उस कामयाबी का इस्तेमाल करके दूसरों की भी हेल्प कर सकता है।


