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West Bengal Panchayat Election: बंगाल में पंचायत चुनाव की चहल-पहल, भाजपा-टीएमसी में हुआ तर्क

बंगाल

पंचायत चुनाव की चहल-पहल के बीच बंगाल में मुख्य चुनाव अधिकारी (सीइओ) कार्यालय ने 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में ठीक हुए मतदाता सूची को आखिरी रूप देने पर चर्चा होगी।

 

कब होगा मतदाता सूची मसविदा प्रकाशित?

बता दें कि चुनाव आयोग 9 नवंबर को मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित करेगा। संशोधित मतदाता सूची अगले साल पांच जनवरी को जारी की जाएगी। मतदाता सूची जारी करने के पहले आयोग सभी दलों की राय लेगा। यहां तक कि जानकारों का कहना है कि बैठक का राज्य के पंचायत चुनाव से कोई सीधा संबंध नहीं है। क्योंकि केंद्रीय चुनाव ताल्लुक सूची तैयार करता है और राज्य चुनाव आयोग उस सूची के मुताबिक पंचायत या नगरपालिका चुनाव खत्म करवाता है।

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पंचायत चुनाव के लिए कौन जिम्मेदार है?

पंचायत चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग जिम्मेदार है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक से पंचायत चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है। गौरतलब है कि हर बार जब मतदाता सूची में संशोधन किया जाता है तो इस तरह की सर्वदलीय बैठक राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी और उनके कार्यालय के लिए आयोजित की जाती है।

 

पश्चिम बंगाल सरकार ने पंचायत चुनाव से पहले क्या बड़ा फैसला किया है?

पश्चिम बंगाल सरकार ने पंचायत चुनाव से पहले बड़ा फैसला किया है। सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक दोपहर को भोजन में चिकन और मौसमी फल परोसने की तैयारी कर ली है। इसके लिए 371 करोड़ रुपये सौप दिए गए हैं। अधिसूचना के अनुसार प्रधानमंत्री पालन -पोषण प्रबंध के तहत आज-कल दोपहर भोजन में चावल, आलू, सोयाबीन और अंडे दिए जा रहे हैं। अब इसके साथ चार महीने तक हर सप्ताह चिकन और मौसमी फल भी परोसे जाएंगे।

 

भाजपा ने क्या सवाल उठाया?

फैसले पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा ने पूछा कि इस साल के होने वाले पंचायत चुनावों से पहले ऐसा क्यों किया गया? अगले साल देश में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष पर हर चीज में राजनीति देखने का दोष लगाया है।

 

किसने कहा हर मुद्दे पर राजनीति करना चाहती है भाजपा?

टीएमसी के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा आम लोगों के हक में खड़ी रहती हैं। यह फैसला उस तथ्य को पक्का करता है। तृणमूल कांग्रेस एक जन-केंद्रित पार्टी है और यह भाजपा की तरह नहीं है जो हर मुद्दे पर राजनीति करना चाहती