भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण, आयातित तेल पर निर्भरता कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए E20 इंधन नीति शुरू की है। इस नीति के तहत पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाया जा रहा है। 2025 तक पूरे देश में E20 इंधन को लागू करने का लक्ष्य है। पहले E5 (5% इथेनॉल) और E10 (10% इथेनॉल) का उपयोग हो रहा था, लेकिन अब E20 को मानक बनाया जा रहा है। नए वाहन भी इसी के अनुकूल बनाए जा रहे हैं।
हालांकि, सवाल यह है कि क्या आम जनता को इस नीति की पर्याप्त जानकारी है? क्या लोग जानते हैं कि उनकी गाड़ियों में कौन-सा ईंधन डाला जा रहा है? दिल्ली के एक पेट्रोल पंप पर की गई हमारी ग्राउंड रिपोर्ट इस जागरूकता की कमी को उजागर करती है।
पेट्रोल पंप पर जागरूकता की स्थिति
दिल्ली के एक पेट्रोल पंप पर विभिन्न वाहन चालकों और पेट्रोल पंप प्रबंधक से बातचीत के आधार पर निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
1. उबर ड्राइवर: “पता नहीं कौन-सा पेट्रोल डलता है”
एक उबर ड्राइवर ने बताया कि उन्हें केवल डीज़ल के बारे में पता है, लेकिन E20 या इथेनॉल मिलावट की कोई जानकारी नहीं।
जब उन्हें बताया गया कि E20 पुरानी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा सकता है, तो वे हैरान रह गए और बोले कि पेट्रोल पंप कर्मचारी या सरकार ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
2. ऑटो चालक: “हमें सिर्फ गाड़ी भरवाने से मतलब”
12 साल से ऑटो चला रहे एक चालक ने कहा कि उन्हें ईंधन की गुणवत्ता या E20 के बारे में कोई जानकारी नहीं।
उनका कहना था: “हमें तो बस CNG या पेट्रोल भरवाना है। सरकार या पेट्रोल पंप कुछ नहीं बताते।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि E10 और E20 जैसे बदलावों की जानकारी उनके पास नहीं है, और उन्हें लगता है कि यह सब “लूट” का हिस्सा है।
3. बाइक चालक: “E20 क्या होता है?”
एक युवा बाइक चालक, जिसने हाल ही में नई बाइक खरीदी, को E20 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
उन्होंने पूछा, “क्या अब अलग से पेट्रोल आता है?” यह दर्शाता है कि युवा वाहन मालिकों को भी उनके वाहन की ईंधन अनुकूलता की जानकारी नहीं है।
4. पेट्रोल पंप प्रबंधक: “कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं”
इंडियन ऑयल के एक पेट्रोल पंप प्रबंधक ने बताया कि सरकार की ओर से ग्राहकों को E20 के बारे में सूचित करने की कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है।
उनका कहना था: “देशभर में E20 ही उपलब्ध है, लेकिन ग्राहकों को बताने की कोई बाध्यता नहीं।”
E20 इंधन: लाभ और चुनौतियाँ
लाभ
- प्रदूषण में कमी: इथेनॉल एक बायोफ्यूल है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करता है और पर्यावरण को लाभ पहुंचाता है।
- तेल आयात में कमी: E20 के उपयोग से आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
- किसानों को लाभ: इथेनॉल गन्ना और मक्का जैसे फसलों से बनता है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।
चुनौतियाँ
- पुरानी गाड़ियों को नुकसान: E20 का उपयोग पुराने इंजनों के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे इंजन खराब होने का खतरा है।
- जागरूकता की कमी: अधिकांश वाहन मालिकों को यह नहीं पता कि उनका वाहन E20 के लिए उपयुक्त है या नहीं।
- पेट्रोल पंपों की निष्क्रियता: पेट्रोल पंपों पर E20 के बारे में कोई सूचना या चेतावनी प्रदर्शित नहीं की जाती।
सरकारी गाइडलाइंस और जमीनी हकीकत
- सरकार ने 2025 तक E20 को पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य रखा है।
- वाहन निर्माताओं को निर्देश दिया गया है कि वे E20 के अनुकूल गाड़ियाँ बनाएँ।
- लेकिन जमीनी स्तर पर यह जानकारी न तो ड्राइवरों, न ऑटो/टैक्सी चालकों, और न ही छोटे वाहन मालिकों तक पहुँच रही है।
निष्कर्ष
यह ग्राउंड रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि E20 नीति के लाभकारी उद्देश्यों के बावजूद, आम जनता में इसकी जागरूकता का अभाव है। बिना उचित जानकारी के यह नीति पुरानी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा सकती है और वाहन मालिकों के लिए आर्थिक बोझ बन सकती है।
सुझाव
- पेट्रोल पंपों पर सूचना प्रदर्शन: पेट्रोल पंपों पर स्पष्ट साइनबोर्ड लगाए जाएँ, जो बताएँ कि E20 ईंधन उपलब्ध है।
- वाहन खरीद के समय जानकारी: डीलरों को ग्राहकों को यह बताना अनिवार्य हो कि उनका वाहन E20 के अनुकूल है या नहीं।
- पुरानी गाड़ियों के लिए विकल्प: पुरानी गाड़ियों के लिए E10 या अन्य ईंधन विकल्प उपलब्ध कराए जाएँ, साथ ही चेतावनी दी जाए।
- जागरूकता अभियान: सरकार और तेल कंपनियों को जनता तक E20 के लाभ और जोखिमों की जानकारी पहुँचाने के लिए व्यापक अभियान चलाना चाहिए।
अंतिम विचार
E20 नीति पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जब तक जनता को इसकी पूरी जानकारी नहीं मिलती, यह नीति जनहित के बजाय जन-अज्ञानता का प्रतीक बनी रहेगी। सरकार और तेल कंपनियों को तत्काल कदम उठाकर इस सूचना अंतर को पाटना होगा।