भारतीय फुटबॉल के इतिहास में एक और गौरव-महोत्सव का पल आया है। ऑस्ट्रेलियाई मूल के फॉरवर्ड रयान विलियम्स(Ryan Williams) ने अपनी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता छोड़कर भारतीय पासपोर्ट ग्रहण कर लिया है, और अब वे आधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में शामिल हो गए हैं।
भारतीय नागरिकता का फैसला: एक भावनात्मक “घर वापसी”
32 वर्षीय रयान विलियम्स(Ryan Williams) ने यह बड़ा फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्हें भारत के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव महसूस होता है।
उनकी माँ का जन्म मुंबई में हुआ है, और पिता का संबंध इंग्लैंड (केंट) से है।
नागरिकता हस्तांतरण की एक रश्म-अनुष्ठान में सनिल छेत्री ने उन्हें भारतीय पासपोर्ट सौंपा।
इस मौके पर छेत्री ने उन्हें एक हल्के मज़ाक में “इंडिया स्ट्रीट फूड और पॉप कल्चर” पर एक क्विज़ भी लिया, जिससे माहौल भावुक और उत्सव-पूर्ण बन गया।
रयान विलियम्स ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा:
“Honoured to make official what’s long felt true … India, I’m one of your own.”
AIFF की नई नीति: ओवरसीज़-जुड़े टैलेंट को अवसर
यह कदम AIFF की एक नई सोच का हिस्सा है – विदेशी या ओवरसीज़ मूल के उन खिलाड़ियों को भारतीय टीम में लाना, जो भारतीय जड़ों से जुड़े हैं, बशर्ते वे अपनी पिछली नागरिकता छोड़ने को तैयार हों।
रयान विलियम्स(Ryan Williams) के अलावा, अबनीत भारती नामक एक और खिलाड़ी (ओवरसीज़ मूल) को भी नेशनल टीम कैंप में बुलाया गया है।
AIFF का यह कदम न सिर्फ टीम की ताकत बढ़ाने के लिए है, बल्कि विदेशी-जुड़ी प्रतिभा (Diaspora talent) का बेहतर उपयोग करने की दिशा में एक रणनीतिक परिवर्तन है।
नेशनल टीम कैंप में शामिल – एशियन कप क्वॉलिफायर की तैयारी
रयान विलियम्स(Ryan Williams) हाल ही में बेंगलुरु में शुरू हुए राष्ट्रीय टीम कैंप में शामिल हुए हैं, जो एएफसी एशियन कप 2027 क्वॉलिफायर के लिए तैयारियों का हिस्सा है।
उनके साथ जयह गुप्ता नामक एक अन्य खिलाड़ी भी फुटबॉल टीम कैंप में हैं।
भारत का अगला क्वॉलिफायर मैच 18 नवंबर को ढाका (बांग्लादेश) के खिलाफ है, और यह समय बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि टीम इस मुकाबले में जीत के साथ आगे बढ़ना चाहेगी।
रयान विलियम्स(Ryan Williams) का परिवार और जड़ों से जुड़ा सफर
रयान विलियम्स(Ryan Williams) की भारतीय जड़ें उनकी माँ के माध्यम से हैं, जो मुंबई की इंग्लिश-भारतीय (एंग्लो-इंडियन) पृष्ठभूमि से हैं।
उनकी यह “घर वापसी” उनकी पारिवारिक विरासत को भी सम्मान देने जैसा है। उनके दादा (ग्रांडफादर) लिंकन ग्रोस्टेट बॉम्बे (अब मुंबई) के फुटबॉल इतिहास में जुड़े थे।
ESPN को दिए इंटरव्यू में रयान ने कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया थी। उन्होंने भारत में कम-से-कम 12 महीने रहकर और दस्तावेज़ीकरण कर अपनी भारतीय नागरिकता हासिल की।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी और दो बच्चे बेंगलुरु में रहते हैं, और उन्हें भारत में जीवन बहुत पसंद है।
भारतीय टीम को मिलेगा अनुभव और अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी
रयान विलियम्स(Ryan Williams) का यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में खेला गया अनुभव (जैसे फुलहम, पोर्ट्समाउथ) भारतीय आक्रमण पंक्ति (attacking line) में ताकत जोड़ सकता है।
उन्होंने पहले ऑस्ट्रेलिया के U-20 और U-23 टीमों में और 2019 में सीनियर स्तर पर भी एक फ्रेंडली मैच में भाग लिया था।
उनके जुड़ने से टीम को न सिर्फ क्वालिटी बढ़ेगी, बल्कि यह भारतीय फुटबॉल में ओवरसीज़ मूल खिलाड़ियों को उपयोग करने के मसौदे में एक प्रतीकात्मक मोड़ है।
निष्कर्ष
रयान विलियम्स(Ryan Williams) का ऑस्ट्रेलियाई पासपोर्ट छोड़कर भारतीय नागरिकता लेना केवल एक खिलाड़ी का करियर ट्रांसफर नहीं है। यह भारतीय फुटबॉल के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह कदम AIFF की महत्वाकांक्षा, ओवरसीज़-जुड़ी प्रतिभा की मान्यता और भारतीय राष्ट्रीय पहचान की भावना को दर्शाता है। यदि यह पॉलिसी आगे बढ़े और और खिलाड़ी इससे जुड़ें, तो भविष्य में भारतीय टीम की ताकत और प्रतिस्पर्धात्मकता दोनों बढ़ सकती है।


