दिल्ली में लालकिला (Red Fort) के पास 10 नवम्बर 2025 की शाम को हुए कार विस्फोट (Delhi Blast) ने पूरे देश को झकझोर दिया है। शुरुआती खुफिया और फोरेंसिक रिपोर्ट अब तक पुष्टि करती हैं कि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक आतंकवादी साजिश का हिस्सा हो सकती है। जिसमें डॉक्टरों से जुड़ा एक मॉड्यूल सक्रिय है।
Delhi Blast लालकिला मेट्रो स्टेशन के पास – शुरुआती रिपोर्ट में IED की कमजोर बनावट
विस्फोट(Delhi Blast) एक Hyundai i20 कार में हुआ, जो लालकिला मेट्रो स्टेशन (Gate No. 1) के समीप ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कार में IED (Improvised Explosive Device) इस्तेमाल किया गया था, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑइल और डिटोनेटर जैसे घटक शामिल थे।
फोरेंसिक टीम (FSL) ने मलबे में दो अलग-अलग विस्फोटक(Delhi Blast) के अवशेष और दो स्वचालित कारतूस बरामद किए हैं। रिपोर्ट्स संकेत देती हैं कि बम पूरी तरह पेशेवर स्तर का नहीं था। संभवतः “गलत तरीके से बनाया गया” या “अधूरा” IED था, जिससे विस्फोट की तीव्रता अपेक्षा से कम रही।
डॉक्टर मॉड्यूल का शक – पुलवामा-फरीदाबाद लिंक उभरकर आया

विस्फोट के चालक के रूप में डॉ. उमर मोहम्मद (Umar Mohammad) की पहचान की गई है, जो पुलवामा़, जम्मू-कश्मीर से हैं। उनका लिंक फरीदाबाद में सामने आए आतंकवादी मॉड्यूल से पाया गया है, जहाँ लगभग 2,900 कि.ग्रा विस्फोटक(Delhi Blast) सामग्री बरामद की गई थी।
एजेंसियों के मुताबिक, यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ा हो सकता है। इसके अलावा, जांच एजेंसियों ने यूपी (उत्तर प्रदेश) से और भी डॉक्टरों को हिरासत में लिया है: डॉ. मोहम्मद अरिफ (GSVM, कानपुर), डॉ. फारूक (GS मेडिकल कॉलेज, हापुर) और डॉ. परवेज अंसारी भी संदिग्ध हैं।
विस्फोट में जान-माल का बड़ा नुकसान, सुरक्षा अलर्ट तीव्र
मृत्यु संख्या 12–13 तक पहुंच गई है, जबकि लगभग 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) और Explosives Act के तहत मामला दर्ज किया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है और “जुर्म में लिप्त हर व्यक्ति को बेनकाब करने” का आदेश दिया है। उच्च सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी गई है: दिल्ली के मुख्य प्रवेश-पगडंडी, सीमाएं, मेट्रो स्टेशन और महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर पुलिस सतर्क है।
फोरेंसिक टीम ने पाए अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक अवशेष

फॉरेंसिक लैब ने मलबे से अमोनियम नाइट्रेट के संकेत पाए हैं, साथ ही एक अज्ञात सेकेंडरी विस्फोटक भी मिला है जिसे आगे के विश्लेषण के लिए भेजा गया है।
मिले कारतूस और विस्फोटक अवशेष इस बात की ओर इशारा करते हैं कि धमाका अक्सर योजना के अनुरूप न होकर जल्दबाज़ी में किया गया था। हो सकता है कि संदिग्ध को गिरफ्तारी का डर हो और वह विस्फोट को नियंत्रित न कर पाया हो।
फोरेंसिक सबूतों की गहराई से जांच की जा रही है ताकि विस्फोट(Delhi Blast) की प्रकृति (स्वघाती, आत्मघाती या दुर्घटना) को स्पष्ट किया जा सके।
एजेंसियों की कार्रवाई – NIA की एंट्री, यूनाइटेड जाँच

NIA (National Investigation Agency) को जांच सौंप दी गई है। NIA की जांच टीम में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), दिल्ली पुलिस, फोरेंसिक टीम और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं।
यूपी पुलिस (ATS) और अन्य एजेंसियों ने कई डॉक्टरों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया है। एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि विस्फोट(Delhi Blast) के पीछे एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क की भूमिका तो नहीं है, न सिर्फ एक अकेली घटना।
संभावित वैश्विक आतंकी कनेक्शन और आतंकवादी नेटवर्क

शुरुआती जांच के अनुसार, यह घटना सिर्फ स्थानीय साजिश नहीं है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क की भी गहराई से पड़ताल की जा रही है।
होल्डिंग या हैंडलर्स की कड़ी तुर्की (Turkiye) और अफगानिस्तान के नंगरहार (Nangarhar) तक पहुंच सकती है, जैसा कि शुरुआती इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में सामने आया है।
इस मॉड्यूल में डॉक्टरों की भूमिका विशेष रूप से संवेदनशील मानी जा रही है: पेशेवर पहचान और सफेद कॉलर पर साजिश के आरोपों के कारण जांच को और अधिक जटिल बना रही है।
निष्कर्ष
दिल्ली ब्लास्ट (Delhi Blast) की प्रारंभिक पड़ताल अब स्पष्ट करती है कि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक संभावित आतंकी साजिश का हिस्सा है।
डॉक्टरों से जुड़ा यह मॉड्यूल जांच में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उनके फरीदाबाद-पुलवामा लिंक, विस्फोटक सामग्री और आतंकवादी नेटवर्क संभावित गंभीर खतरे की ओर इशारा करते हैं।
वर्तमान में NIA, दिल्ली पुलिस और फोरेंसिक टीम मिलकर तीव्र गति से जांच कर रही है, ताकि दोषियों को बेनकाब किया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
जनता को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है, और सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया है।


