जम्मू शहर के बाहरी इलाके सिधरा में आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों में हुई टक्कर एडीजीपी जम्मू, मुकेश सिंह ने बताया कि क्षेत्र में कुछ टेररिस्ट छिपे होने की सूचना थी। हालि में चार को मार गिराया गया है। जब फ़ायरिंग हुई तब आतंकवादी एक ट्रक में थे।
दोनों ओर से फायरिंग 08 बजकर 35 मिनट पर पूरी तरह से रुक गई। मारे गए टेररिस्ट के शव बरामद किए गए हैं। इसमें 7 AK-47 राइफल, 3 पिस्तौल समेत अन्य गोला – बारूद बरामद किया गया है। ट्रक मालिक की अभी पहचान नहीं हो पाई है, ट्रक जम्मू से श्रीनगर जा रहा था, और तलाश अभी भी जारी है।
मुकेश सिंह ने क्या बताया?
मुकेश सिंह ने आगे बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। इस बीच क्षेत्र में आज सुबह एक संदिग्ध ट्रक दिखाई पड़ा। आम तौर पर ट्रक की चलने 12 बजे रात के बाद होती है परन्तु इसे सुबह में देखा गया तो शंका हुई। हमने ट्रक को रोका और ड्राइवर को नीचे बुलाया। वह टॉयलेट जाने के बहाने रफा दफा हो गया।
इसके बाद ट्रक की चेकिंग के दौरान फायरिंग होने लगी तो हमने इसका जवाब दिया। उनके पास काफी हथियार थे। यहा तक कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वे किस आंतकी संगठन से थे।
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ऑपरेशन ऑल आउट’ क्या है, सुरक्षाबल क्यों चला रहे ?
बता दें कि जम्मू कश्मीर में बीते महीने से आतंकियों का खात्मा करने के लिए सुरक्षाबल ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ चला रहे हैं। सेना की ओर से ये ऑपरेशन घाटी में मौजूद विदेशी आतंकियों का खात्मा करने के लिए चलाया जा रहा है। सुरक्षाबलों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जम्मू कश्मीर में लोकल रिक्रूटमेंट अब केवल कुछ ही क्षेत्रों में हो रहा है वो भी न के बराबर।
जम्मू कश्मीर में जो विदेशी आतंकी मौजूद हैं, उनकी जिंदगी कुछ महीनों की मेहमान है। यही वजह है कि लोकल युवाओं और युवतियों को बड़े आतंकी कमांडर सूचना देने, मदद पहुंचाने के बदले पैसे दे रहे हैं।
सुरक्षा बलों को किस बात कि चिंता है?
सुरक्षा बलों में इस समय इस बात की चिंता है कि लेडी ओवर ग्राउंड वर्कर टैरेरिस्ट की मदद के लिए बहुत आगे आ रही हैं। यही वजह है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल इन दिनों ‘ऑपरेशन लेडी ओवर ग्राउंड वर्कर’ चला रहे हैं। सुरक्षाबलों के उत्तम पदस्थ, सूत्रों ने सोशल मीडिया को ये जानकारी दी है कि कुछ दिनों से ऐसे ट्रेंड देखे जा रहे हैं कि कश्मीर घाटी में मौजूद विदेशी आतंकी और हाइब्रिड आतंकी की मदद महिला ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) की तरफ से की जा रही है। ये कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती बनकर सामने आ रही है।