Author: newsdiggy

  • भारतीय वेदांत पटेल ने यूएस में रचा इतिहास

    भारतीय वेदांत पटेल ने यूएस में रचा इतिहास

    वेदांत पटेल ने यूएस में ब्रीफिंग के दौरान कई मुद्दों पर बात करी। उनकी पहली शानदार ब्रीफिंग के बाद लोग उनकी तारीफ करते नही थक रहे हैं और उन्हें ट्वीट करके बधाई भी दे रहे हैं।

    वेदांत पटेल ने कैसे रचा इतिहास?

    मेरिका विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने दैनिक स्टेट डिवीजन को चलाने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बनकर इतिहास रच दिया है। सूचना सम्मेलन में, उन्होंने अत्यंत व्यावसायिकता और स्पष्ट संचार के साथ ब्रीफिंग करी। यात्रा पर स्टेट डिवीजन के प्रवक्ता नेड वैल्यू के साथ, कैलिफोर्निया के 33 वर्षीय पटेल ने मंगलवार को स्टेट डिवीजन के फोगी बैकसाइड मुख्यालय में ब्रीफिंग रूम लिया। उन्होंने मीडिया के सामने विदेशी कवरेज बिंदुओं पर राष्ट्र को सूचित किया। अपनी ब्रीफिंग के दौरान, पटेल ने यूक्रेन पर रूस के अवैध आक्रमण, जेसीपीओए में बातचीत और लिज़ ट्रस के यूके के प्रधान मंत्री बनने से शुरू होने वाले मामलों को कवर किया।

    उनकी अगली व्यक्तिगत ब्रीफिंग  बुधवार के लिए निर्धारित हैं। वेदांत पटेल ने मंच से शानदार शुरुआत की। अमेरिका विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइज की अनुपस्थिति में वेदांत को यह मौका मिला। प्राइज आजकल छुट्टी पर चल रहे हैं।

    वेदांत ने बटोरी वाह-वाही और बधाइयां

    व्हाइट होम के सीनियर एफिलिएट कम्युनिकेशंस डायरेक्टर मैट हिल ने ट्विटर पर के पोडियम डेब्यू पर उन्हे “कूडोस” लिख कर शाबाशी दी। “विश्व मंच पर अमेरिका का प्रतिनिधित्व करना एक बड़ा कर्तव्य है, और वेदांत ने इसे अत्यंत व्यावसायिकता और स्पष्ट संचार के साथ किया।“ हिल ने कहा। व्हाइट होम के पूर्व उप संचार निदेशक पिली तोबर ने कहा:  मंच पर देखकर बहुत अच्छा लगा”।

    कौन हैं वेदांत पटेल?

    वेदांत पटेल का जन्म गुजरात में हुआ था।उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरी करी। अमेरिका सरकार में वेदांत काफी समय से काम कर रहे हैं। सहायक प्रेस सचिव और प्रवक्ता के साथ साथ वो कई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति उद्घाटन समिति और बिडेन-हैरिस ट्रांजिशन पर एक प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्होंने बड़े और आम चुनाव में बिडेन मार्केटिंग अभियान पर संचार पदों पर भी कार्य किया। इससे पहले, पटेल ने कांग्रेस महिला प्रमिला जयपाल के संचार निदेशक के रूप में काम किया । इस साल की शुरुआत में तत्कालीन व्हाइट होम प्रेस सचिव जेन साकी ने वेदांत को बहुत कुशल बताया था।

  • सीबीआई ने करी सिसोदिया के लॉकर की जांच

    सीबीआई ने करी सिसोदिया के लॉकर की जांच

    सिसोदिया के लॉकर की जांच

    सीबीआई अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के लॉकर की तलाशी ली। आबकारी नीति मामले को लेकर विवाद के बीच एजेंसी द्वारा उनके आवास पर छापेमारी करने के कुछ दिनों बाद आज बैंक लॉकर की तलाशी ली गई है

     बैंक लॉकर खंगाला

    सीबीआई ने मंगलवार सुबह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में सिसोदिया के लॉकर की तलाशी ली. आबकारी नीति मामले को लेकर विवाद के बीच राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली के डिप्टी सीएम के आवास पर एजेंसी की टीम द्वारा छापेमारी करने के कुछ दिनों बाद आज की तलाशी ली गई।केंद्रीय एजेंसी की चार सदस्यीय टीम ने मंगलवार को गाजियाबाद के वसुंधरा में पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा पर करीब दो घंटे तक छापेमारी की। आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि लॉकर में उनकी पत्नी और बच्चों के गहने हैं, जिनकी कीमत लगभग 70,000 रुपये है। लॉकर की तलाशी के दौरान आज सिसोदिया और उनकी पत्नी बैंक में मौजूद थे।

    जांच के बाद क्या बोले सिसोदिया?

    दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने जांच के बाद  कहा कि सीबीआई को आज अपनी तलाशी के दौरान उनके बैंक लॉकर में कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘मैं खुश हूं कि मुझे क्लीन चिट मिल गई है।

    सिसोदिया ने कहा, “आज मेरे बैंक लॉकर में कुछ भी नहीं मिला जैसे सीबीआई छापे के दौरान मेरे आवास पर कुछ भी नहीं मिला।“ सीबीआई अधिकारियों ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया और हमने भी उनका सहयोग किया। सच्चाई की जीत हुई, ”दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा।

    सोमवार को ही सिसोदिया ने ट्वीट कर सीबीआई को चेता दिया था कि केंद्रीय जांच एजेंसी को जब उनके निवास से 19 अगस्त की जांच में कुछ भी हाथ नही लगा तो उनके गाजियाबाद के बैंक लॉकर से भी कुछ नही मिलेगा।

    आबकारी विभाग की नीति के चलते हो रही हैं जांच

    दिल्ली सरकार में आबकारी विभाग संभालने वाले सिसोदिया शराब नीति मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में दर्ज 15 आरोपियों में शामिल हैं।17 अगस्त को, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आम आदमी पार्टी के नेता और 14 अन्य व्यक्तियों पर शराब नीति में अनियमितता का आरोप लगाया, जो 17 नवंबर को लागू की गई थी।

    सिसोदिया पर हो रही हैं सियासत गर्म

    इस बीच, दिल्ली विधानसभा में विरोध और आंदोलन देखा जा रहा है। आप और भाजपा के विधायकों ने रात भर सदन में विरोध प्रदर्शन किया।भाजपा सांसदों ने सिसोदिया के इस्तीफे की मांग की, जबकि आप नेताओं ने सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ जांच की मांग की।जांच के बीच ही पिछले हफ्ते, सिसोदिया ने दावा किया था कि उन्हें आप को विभाजित करने के प्रस्ताव के बदले में मुख्यमंत्री पद की पेशकश की गई थी।

  • पेगासस पर सरकार की चुप्पी आखिर कहां तक सही?

    पेगासस पर सरकार की चुप्पी आखिर कहां तक सही?

    पेगासस ने पिछले साल 2021 से भारत में तहलका मचा रखा हैं जिसके बाद मोदी सरकार इस पर अपनी चुप्पी तोड़ने को राजी नहीं हैं। आखिर हैं क्या ये पेगासस और 2021 से ये क्यों लगातार खबरों में बना हुआ हैं आइए जानिए टेलीग्राफ इंडिया अखबार में दिखे मोदी चुप

    कल टेलीग्राफ इंडिया अखबार के पहले पन्ने पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी गई जिसमे उनके मुंह पर इंचीटेप जैसा कुछ लपेटा हुआ हैं और ऊपर लिखा हैं pega shush यानी की मोदी जी ने पेगासस पर जो मौन साधा हैं वो क्यों और कब तक?

    पेगासस आखिर हैं क्या?

    पेगासस एनएसओ ग्रुप जो के इजरायल के साइबर सिक्योरिटी एजेंसी हैं उसका एक स्पाइवेयर हैं जिससे दुनिया की किसी भी हिस्से के लोगो की गतिविधियों के ऊपर नजर रखी जा सकती हैं। ये स्पाइवेयर किसी को आईफोन के जरिए आई मैसेज,मिस कॉल या कोई लिंक भेजता हैं जिसके बाद उस आईफोन का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखी जाती हैं।

    हैरानी की बात तो ये हैं कि किसी आईफोन पर अगर इस स्पाइवेयर की कोई सूचना मेसेज या लिंक के जरिए आती हैं तो उसके तुरंत बाद ही वो गायब हो जाती हैं जिसके बाद आपको पता ही नही चलेगा कि आपका फोन किसी की निगरानी में हैं। इस स्पाइवेयर को कोई मामूली व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर सकता। किसी देश की सरकार ही इस पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किसी पर नजर रखने के लिए कर सकता हैं।

    भारत ने 2021 में मचाई पेगासस ने अफरातफरी

    जुलाई 2021 में एक गैर सरकारी संस्थान एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक जांच पड़ताल करी जिसमे सामने आया कि पूरी दुनिया के 50000 से ज्यादा लोगो पर इस स्पाइवेयर के जरिए नजर रखी जा रही हैं जिसमे से 300 लोग भारतीय थे। इन लोगो में कुछ पत्रकार,विपक्षी नेता, समाज सेवक और भी कई अन्य लोग शमिल थे। राहुल गांधी,अश्विनी वैष्णव जैसे बड़े नाम भी इस लिस्ट में शामिल थे,जिसके बाद पूरे भारत में सिसायत गर्मा गई।

    केंद्रीय सरकार ने नही दिया कोई जवाब

    इस रिपोर्ट के वायरल होने के बाद लगातार पूछताछ करने के बाद भी मोदी सरकार चुप्पी साधे रही। सरकार का बस यही कहना था उन्होंने इस पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल नहीं किया हैं। मामला गरमाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रवींद्रन की निरीक्षण में अक्टूबर 2021 में एक जांच कमेटी बनाई।

    जांच रिपोर्ट में क्या आया?

    कल कमेटी की जांच रिपोर्ट आई जो सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई। कमेटी ने 300 में 29 फोन कनेक्शंस को खंगाला जिसमे से सिर्फ 5 कनेक्शंस में ही  किसी मालवेयर के होने की पुष्टि हुई। ये मालवेयर पेगासस नहीं हैं इस बात की भी पुष्टि रिपोर्ट में की गई।

    कमेटी ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि इस जांच में केंद्रीय सरकार द्वारा कोई सहायता नही की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया था की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और सरकार से पूरी सहायता की उम्मीद की जायेगी। लेकिन इसके उलट सरकार का ये रवैया बहुत ही निंदनीय हैं। सरकार को चाहिए था की जिन भी बड़े सरकारी व्यक्तियों की 2021 में नियुक्ति थी वो जांच में पूरी तरह से मदद करे लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर अभी तक पूरी तरह मौन साधा हुआ हैं।

  • मानसून ने मचाई भारत के कई राज्यों में तबाही

    मानसून ने मचाई भारत के कई राज्यों में तबाही

    मानसून ने मचाई तबाही

    मानसून हर किसी को पसंद होता हैं सबसे ज्यादा तो किसानों को क्योंकि इसी की वजह से बड़ी मेहनत के बाद उन्हे अच्छी फसल मिलती हैं। मानसून जब भी आता हैं तो अपने साथ कई सारी खुशियां लेकर आता हैं लेकिन भारत में जैसे ही मानसून दस्तक देता हैं। तो अपने साथ कई सारी आफत लेकर आता हैं जिसकी वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता हैं। आज हम उन्हीं आसमानी आफतों से आपको रूबरू करवाने वाले हैं।

     

    असम से हुई शुरुआत

    इस साल 2022 में मानसून ने मई में दस्तक दी। पिछले कई सालों की तरह इस बार भी असम में बारिश ने कोहराम  मचाया।जलस्तर बढ़ने की वजह से ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आई जिसकी वजह से कई गांव इसकी चपेट में आए। लगभग 170 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई और कई लाख लोग बेघर भी हो गए। शुरुआत में सरकार की अनदेखी की वजह से आंकड़ों में इतनी बढ़ोतरी हुई। खैर काफी नुकसान होने के बाद प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किया तो अब असम के हालात सामान्य हुए हैं।

     

    कई अन्य राज्य हुए जून- जुलाई में प्रभावित

    असम जब बाढ़ और आसमानी आफतों से लड़ रहा था इसी बीच भारत के दूसरे राज्यों से भी ऐसी ही खबरें सुनने को मिली। इस में महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,बिहार और गुजरात शामिल थे। चारों राज्यों को मिलाकर मारने वालों की संख्या सैकड़ों में पहुंची। बेघर होने वालों की गिनती भी लाखो में रिकार्ड हुई। पशु पक्षियों की तो इसमें गिनती ही नही हैं। गुजरात के सुरत में हालत अभी सामान्य नहीं हैं बाढ़ के कहर से सूरत के कई राज्य अभी भी जूझ रहे हैं।

     

    अगस्त में हालात नही हैं सामान्य

    अगस्त का महीना आधा बीत चुका हैं मानसून लगभग विदाई लेने ही वाला हैं लेकिन भारत के कई हिस्सों में हालात जस के तस ही हैं। मानसून अभी भी किसी भी रियायत के मूड में नहीं हैं। कल यानी 19 अगस्त को उत्तराखंड के देहरादून में बादल फटने से बढ़ जैसे हालात पैदा हुए। सड़को पर लबालब पानी भरने से गालियां नदियों के शकल लेती हुई नजर आई। टपकेश्वर महादेव,सारखेत,तेलपुरा समेत कई देहरादून के गांव इस बाढ़ से प्रभावित हुए। ऋषिकेश के ठाकुरपुर समेत कई गांव में जलभराव के समस्या उत्पन्न हुई। पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा राहत कार्य किए जाने की वजह से कोई जान माल का नुकसान अभी तक रिकॉर्ड नही हुआ हैं।

     

    इसके बाद जम्मू कश्मीर के कतरा में माता वैष्णो देवी मंदिर के अंदर भी पानी घुस गया जिसके बाद यात्रियों को ऊपर जाने से रोक दिया गया। पुलिस और सीआरपीएफ टीम को तैनात किया गया ।हालात सामान्य होने के बाद दोबारा से यात्रा की शुरुआत की गई। कल ही हिमाचल प्रदेश में भी बाढ़ का खौफनाक मंजर देखने को मिला।चक्की नदी में ऐसा सैलाब आया जिसकी वजह से कांगड़ा में बना रेलवे ब्रिज के एक हिस्सा ढह गया।

     

    ये ब्रिज पंजाब और हिमाचल को जोड़ता हैं। इसी के बाद मंडी में भी बारिश और भू-शखलन की वजह से 2 लोगो की मौत हुई और लगभग 15 लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य के लिए टीमों को काम पर लगाया गया हैं। इसके बाद अगर बात की ओडिशा की तो इसके हालात से आप रूबरू होंगे ही। बाढ़ के कोहराम से अबतक 10 जिलों के लगभग 4.50 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।

     

    मौसम विभाग की चेतावनी

    मौसम विभाग ने 21 अगस्त तक उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हैं। इसमें प्रयागराज,वाराणसी,बिजनौर,रामपुर, लखनऊ,मुरादाबाद समेत कई बड़े शहर शामिल हैं। इससे साफ हैं की मानसून इस बार जल्दी विदाई लेने के मूड में नहीं हैं। मौसम विभाग के जारी किए अलर्ट के बाद अब प्रशासन को तगड़े चाक चौबंद कर लेने चाहिए। शायद इससे होने वाले जान माल के नुकसान में कुछ गिरावट आए।

  • बाप ने 3 बेटियों के साथ की आत्महत्या

    बाप ने 3 बेटियों के साथ की आत्महत्या

    बाप ने 3 बेटियों के साथ की आत्महत्या

    महिलाओं के साथ छेड़खानी करने के, उन्हे परेशान करने के मामले हर रोज सामने आते हैं। लेकिन आपने कभी सुना हैं की एक आदमी किसी महिला से इस हद तक परेशान हो जाए की उसे आत्मत्या करनी पड़े।

     

    क्या हैं पूरा मामला?

    मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया हैं। उज्जैन – नागदा के पास नई खेड़ी रेलवे स्टेशन के पास से 40 वर्षीय तोलाराम के बेटे रवि(35) ने अपनी 3 बेटियों, अनामिका (12), आराध्या (7), और अनुष्का (4) के साथ मालगाड़ी के आगे कूदकर जान दे दी। रवि के साथ उनकी 3 बेटियां भी थी, तीनों ही नाबालिग थी। रवि तीनों लड़कियों के साथ बाइक से रेलवे स्टेशन के पास पहुंचे। रवि ने बाइक को किनारे लगाकर रेलवे पटरियों का रुख किया और मालगाड़ी के आने का इंतजार किया।

     

    जैसे ही मालगाड़ी नई खेड़ी रेलवे स्टेशन की पटरियों तक पहुंची उसके बाद ही रवि ने अपनी तीनों बेटियों के साथ ये कदम उठाया। घटना के मौके पर ही चारो की मौत हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस, जीआरपीएफ और आरपीए घटना स्थल पर पहुंची। पुलिस के साथ-साथ कुछ ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए। रवि के शव के पास से सुसाइड नोट भी मिला हैं जिसमे उन्होंने एक महिला का जिक्र किया हैं। सुसाइड नोट में रवि ने बताया हैं की महिला उन्हे बदनाम करने की धमकी दे रही थी। जिससे परेशान होकर रवि ने ये कदम उठाया।

     

    जांच में जुटी पुलिस

    मध्य प्रदेश पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई हैं। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया हैं। पुलिस इस पूरे मामले को अभी आत्महत्या के नजरिए से ही देख रही हैं लेकिन सवाल ये हैं की अगर रवि को आत्महत्या करनी ही थी तो उन्होंने बेटियों को इसमें क्यों घसीटा? अब ये तो आने वाली जांच में ही साफ हो पायेगा की इस सामूहिक आत्म हत्या के पीछे आखिर किसका हाथ हैं?

  • 15 अगस्त को झंडा फहराने से पहले किन बातों का रखे ध्यान?

    15 अगस्त को झंडा फहराने से पहले किन बातों का रखे ध्यान?

    हर भारतीय नागरिक 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय ध्वज यानी की तिरंगा फहराता ही हैं लेकिन भारत की जनता में से कुछ लोग ऐसे होंगे जिन्हें तिरंगा फहराने के सही नियम पता होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हर भारतीय नागरिक को तिरंगा फहराने के उचित नियमो की जानकारी होनी चाहिए जैसे की:-

     

    क्या हैं तिरंगा फहराने के नियम?

    बीच अपने घर पर तिरंगा फहराए। अब इसी मुहिम से जुड़ते हुए लोग अपने-अपने घरों में तिरंगा फहराते हुए अपने देशभारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं। इसी के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी ने ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू की जिसके अनुसार भारत सरकार ने अपील की सभी लोग 13 से 15 अगस्त के  के प्रति प्रेम और निष्ठा दिखा रहे हैं। लेकिन फ़्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 जिसमे 19 जुलाई 2022 को बदलाव किए गए। ये कोड तिरंगा फहराने के कुछ नियम बताता हैं जिनका ध्यान

     

    हर नागरिक को रखना चाहिए उनमें से कुछ नियम ये हैं:

    • भारत सरकार द्वारा हाल ही में किए गए बदलाव के बाद तिरंगे को दिन और रात दोनों समय फहराने की अनुमति दी, यदि इसे खुले में या जनता के किसी सदस्य के घर में प्रदर्शित किया जाता है। पहले राष्ट्रीय ध्वज केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता था।
    • घर पर अगर तिरंगा लगाया गया हैं तो तिरंगा सम्मान की स्थिति में होना चाहिए और स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए।
    • क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त ध्वज को कभी भी प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज हमेशा सही स्थिति में होना चाहिए।
    • तिरंगे को कभी भी उल्टा नहीं दिखाना चाहिए मतलब भगवा पट्टी कभी भी नीचे नहीं होनी चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी में नहीं झुकाना चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज के साथ किसी भी अन्य ध्वज को ऊपर या बगल में नही रखना चाहिए
    • ध्वज के मस्तूल पर या उसके ऊपर फूल, माला या प्रतीक सहित कोई भी वस्तु नहीं रखी जानी चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग उत्सव या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
    • राष्ट्रीय ध्वज किसी भी परिस्थिति या स्थिति में पानी में जमीन या फर्श को नहीं छूना चाहिए।
    • झंडे पर कोई अक्षर नहीं होना चाहिए।

    झंडे को फहराने के बाद नष्ट कैसे करे?

    झंडा फहराने के बाद इसे अच्छे से तह लगाकर संभाल कर रख सकते हैं। यदि तिरंगे को अगर नष्ट करना हैं तो एकांत में जाकर पूरे सम्मान के साथ तिरंगे को तह बनाकर किसी डिब्बे में बंद करके जमीन के अंदर दबा सकते हैं। इसके अलावा एकांत स्थान पर ही तिरंगे को पूरे सम्मान के साथ जला भी सकते हैं जिसके बाद बची राख को नदी में प्रवाहित भी कर सकते है। अब तिरंगे को तह करने की बात आई हैं तो तह करते वक्त केसरिया पट्टी और हरी पट्टी के बीच सफेद पट्टी आनी चाहिए और सफेद पट्टी में अशोक चक्र ऊपर रखना चाहिए।

  • अंजना ओम कश्यप का बिहार में हुआ विरोध

    अंजना ओम कश्यप का बिहार में हुआ विरोध

    अंजना ओम कश्यप

    आजतक की जानीमानी पत्रकार अंजना ओम कश्यप को कौन नहीं जानता। वो अपनी निर्भीक पत्रकारिता और किसी भी मुद्दे को ऊंची आवाज में उछालने के लिए काफी समय से जानी जाती हैं, लेकिन बिहार के पटना में जब वो रिपोर्टिंग करने के लिए गई तो आखिर ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से बिहार की जनता उनके सामने विरोध करने लगी?

     

    क्या था पूरा मामला?

    कल जब जेडीयू ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा तो उसके बाद मीडिया में होड़ लग गई की कौन पहले जाकर बिहार से लाइव कवरेज करेगा। अब जब सारे पत्रकार बिहार पहुंचे तो अंजना जी कैसे पीछे रहती वो भी पहुंची लेकिन शायद जनता को ये रास नहीं आया। जैसे हीअंजना ओम कश्यप रिपोर्टिंग करने लगी। वैसे ही वहां खड़ी जनता ने गोदी मीडिया मुर्दाबाद, अंजना मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया। अंजना इस पर बड़े ही शांति से खड़ी रही एयर हंसते हुए दिखाई पड़ी।

     

    जनता ने ऐसा किया क्यों?

    अंजना ओम कश्यप जब बिहार के पटना में जनता को बिहार के संसद सदन से लाइव कवरेज दिखा रही थी। जिसके बाद  वो जनता के बीच से रिपोर्टिंग करने लगी। रिपोर्टिंग के बीच ही जनता गोदी मीडिया मुर्दाबाद के नारे लगाने लगी जिसपर अंजना ओम कश्यप काफी शांत नजर आई। ऐसा सिर्फ अंजना के साथ ही नहीं बल्कि अर्णव गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक भारत की एक रिपोर्टर के साथ भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। जब रिपब्लिक भारत की रिपोर्टर भी पटना में जनता के बीच रिपोर्टिंग करने उतरी तो जनता ऐसी ही नारेबाजी करके रिपोर्टर का विरोध किया।

    अंजना ओम कश्यप
    अंजना ओम कश्यप

    क्या ये अंदेशा हैं बिहार में फिर शुरू होने वाली गुंडागर्दी का?

    बिहार की जनता को अभी तक शायद एनडीए और जेडीयू के गठबंधन में उतनी खुराफाती नही थी। लेकिन अब जब आरजेडी और जेडीयू मिलकर सरकार बनाने वाली हैं तो लग रहा हैं कि बिहार निवासियों को गुंडई दिखाने को मौका मिल ही जायेगी। जिस गुंडागर्दी के लिए बिहार बहुत प्रसिद्ध रहा हैं उसकी झलकियां अब साफ देखी जा सकती हैं। अब आने वाले समय में तस्वीर और साफ हो जाएगी कि बिहार किस दिशा की ओर अग्रसर हैं।

     

    क्या हैं गोदी मीडिया?

    आजकल ये शब्द गोदी मीडिया बहुत ही प्रचलित हैं। दिन में एक बार कही न कही किसी स्वतंत्र पत्रकार के मुंह से आप ये शब्द जरूर ही सुन लेते होंगे,लेकिन इसका मतलब शायद समझने में आपको थोड़ी से मुश्किल जरूर होती होगी। ये शब्द उन सभी पत्रकारों के लिए इस्तेमाल होते हैं जो केंद्रीय सरकार से सवाल जवाब करने की बजाय उनकी तारीफों के पूल बांधती हैं। आम जनता की इतनी सारी परेशानियां हैं जैसे की महंगाई,बेरोजगारी, बिजली, पानी और भी ना जाने क्या क्या। मीडिया चैनल इन सभी परेशानियों को छोड़ कर मीडिया चैनल सिर्फ सरकार की प्रशंसा में लगे रहते हैं इसलिए ही जनता इन मीडिया चैनलों को गोदी मीडिया कहकर तंज कसती हैं।

     

    पत्रकारों के विरोध पर नेताओं को प्रतिक्रिया

    जाने मानी पत्रकार के अपमान पर पूरा डिजिटल मीडिया अंजना के समर्थन में उतर आया हैं। ट्वीटर पर स्टैंड विद अंजना हैशटैग ट्रेंड करने लगा। हर कोई चाहे वो आम आदमी हो या कोई नेता हो यही कह रहा हैं की ये एक महिला का अपमान हैं। वही दूसरी और कुछ स्वतंत्र पत्रकार पटना में हुए जनता के विरोध को बिलकुल सही बता रहे हैं। लोगो का  भी यही कहना हैं की गोदी मीडिया जब तक स्टूडियो में बैठ कर सरकार की बढ़ाई कर रही हैं।

     

    तब तक ही वो बच पाएंगे लेकिन अगर वो लोगो के बीच उतर कर भी सरकार की वाहवाही करेंगे तो जनता उनका बहिस्कार करेगी। अब ये गौर करने वाली बात हैं क्योंकि अंजना ओम कश्यप के 22 साल के पत्रकारिता के करियर में कभी उन्हे ऐसे विरोध का सामना नहीं करना पड़ा हैं तो एक दम से ऐसा क्या हुआ जिसके बाद जनता इतने आक्रोश में थी जो उनके साथ साथ दूसरे पत्रकारों का भी विरोध करने पर उतारू हो गई।

  • नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़ा, पार्टी से दिया इस्तीफा

    नीतीश कुमार

    बंधन बनाए जाते हैं कभी भी न तोड़ने के लिए लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शायद इस बात से कोई वास्ता नहीं हैं। एनडीए से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हैं लेकिन इतनी गहरी दोस्ती में दरार आई कैसे?

     

    बीजेपी से तोड़ा गठबंधन

    साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) की तरफ से नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हर बार किसी गठबंधन का सहारा लेकर नीतीश आज तक बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होते रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू का रिश्ता 20 साल पुराना हैं, लेकिन इस पुराने रिश्ते को नीतीश पहले भी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के लिए ठुकरा चुके हैं। जेडीयू और एनडीए की पुरानी दोस्ती के अलग होने के कयास तो बहुत पहले से लगाए जा रहे थे। आज एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने साफ तौर पर बीजेपी से अपना दामन छुड़ा लिया हैं।

     

    गठबंधन टूटने के पीछे की वजह केंद्र सरकार?

    2020 के चुनाव में जेडीयू और एनडीए के गठबंधन को 125 सीट मिली जिसमे अकेले बीजेपी को 74 सीट मिली लेकिन बीजेपी ने गठबंधन की सरकार के बाद नीतीश कुमार को बिहार के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने कैबिनेट में अपने 2 मंत्री के लिए जब जगह मांगी तो केंद्र ने साफ इंकार कर दिया जिसके बाद बीजेपी और नीतीश के रिश्तों में खटास आई। नीतीश ने तो यह तक कह दिया कि अब वो आगे भी कैबिनेट में अपनी सरकार नहीं बनाएंगे।

     

    नीतीश कुमार
    नीतीश कुमार

    केंद्र और आरसीपी सिंह की नजदीकियां नीतीश को नहीं आई रास

    उसके बाद ही जेडीयू के पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह को जब ग्रहमंत्री अमित शाह की तरफ से इकलौती जगह मिली कैबिनेट में तो नीतीश ने इस पर अपना असहमति बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी मर्जी से कैबिनेट में उनकी पार्टी के मंत्री को शामिल नहीं कर सकती। इसके बाद केंद्र और आरसीपी की बढ़ती नजदीकियों को देख कर जब नीतीश को अपनी सीएम कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आई तो उन्होंने आरसीपी को राज्यसभा नही भेजा और उन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा जिसके बाद आरसीपी सिंह ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।

     

    नीतीश केंद्र सरकार के फैसलों से नही थे राज़ी

    भले ही जेडीयू और एनडीए का नाता सालों पुराना था लेकिन जब रिश्तों गड़बड़ाते हैं तो कितने भी पुराने रिश्तें हो टूट जाते हैं। नीतीश केंद्र सरकार के कई फैसलों से काफी समय से खुश नहीं थे उनके और सरकार के विचार कई मामलों में एक जैसे नहीं थे लेकिन नीतीश गठबंधन से जकड़े हुए थे जिसकी वजह से वो कई फैसलों पर उनकी मर्जी ना होने के बाद भी सरकार का विरोध नही कर सकते थे।

     

    काफी समय से नाराजगी की वजह से नीतीश प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर जब डिनर का निमंत्रण मिला तो कोरोना का हवाला देकर उसे भी नीतीश ने टाल दिया। इन बातों से साफ जाहिर हैं कि नीतीश इस गठबंधन को तोड़ना चाहते थे।

     

    गठबंधन टूटने पर मंत्रियों की प्रतिक्रिया

    बिहार के बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल का कहना हैं की बीजेपी और बिहार की जनता को नीतीश ने धोका दिया हैं। आरसीपी सिंह ने कहा हैं की जेडीयू डूबता हुआ जहाज हैं जिसपर जेडीयू के अध्यक्ष लल्लन सिंह ने आरजेडी तैरता हुआ जहाज हैं। कई नेता जेडीयू के पक्ष में बोल रहे हैं तो वही विपक्ष इससे काफी खुश नजर आ रहा हैं।

     

    क्या होगा नीतीश का अगला कदम?

    सूत्रों की माने तो नीतीश अब एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद विपक्ष यानी आरजेडी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपनी महागठबंधन की सरकार बनायेंगे। जिसके बाद वो मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनायेंगे। नीतीश कई बार गठबंधन तोड़ चुके तो देखना होगा कि ये गठबंधन कितनी दूर तक जाएगा।

  • देश में अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में तिरंगा उत्सव

    देश में अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में तिरंगा उत्सव

    पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की जनता को देशप्रेम से अवगत कराने के लिए एक नई मुहिम की शुरुआत कर दी हैं।

     

    तिरंगा उत्सव में संस्कृति मंत्रालय ने किया कार्यक्रम का आयोजन

    अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए संस्कृति मंत्रालय ने कल (2 अगस्त) नई दिल्ली में तिरंगा उत्सव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को आयोजित तिरंगे का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वैंकैया की 146वी जयंती पर श्रद्धांजलि के रूप में किया। इस अवसर पर पिंगली के परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे। देश को पिंगली वेंकैया के राष्ट्रप्रेम से अवगत कराने के लिए एक सांस्कृतिक और संगीतमय कार्यक्रमों से भरी शाम को आयोजित किया गया।

     

    कौन थे पिंगली वैंकैया?

    पिंगली वैंकिया एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बहुत बड़े अनुयायी थे। पिंगली गांधी के सिद्धांतो पर ही चला करते थे। महात्मा गांधी के काफी अनुरोध करने के बाद पिंगली ने राष्ट्रध्वज का डिजाइन तैयार करने का फैसला किया। उन्होंने ही बड़े मेहनत और देशप्रेम का उदाहरण देते हुए राष्ट्र ध्वज को तैयार किया। पिंगली ने राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंगों के साथ प्रस्तुत किया जिसमे केसरिया,सफेद और हरा रंग था जिनके बीच एक चक्र भी था। तीन रंगों का समावेश होने के कारण इसे तिरंगा नाम दिया गया।

     

    तिरंगा उत्सव का मुख्य आकर्षण

    तिरंगा उत्सव में  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिंगली वेंकैया के सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया।तिरंगा उत्सव में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी जनजातीय सेनानियों की स्मृति में ‘अमर चित्र कथा’ का विमोचन भी हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने पिंगली वेंकैया के परिवार वालों को बधाई दी. वहीं, ‘तिरंगा गान’ भी लॉन्च किया गया।

     

    इस अवसर पर संबोधित करते हुए, अमित शाह ने नागरिकों से राष्ट्रीय ध्वज के प्रति प्यार और सम्मान दिखाने के लिए अपने सोशल मीडिया खातों की डीपी को तिरंगा में बदलने का आग्रह किया। गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और प्रधानमंत्री ने 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आह्वान किया है। हर घर तिरंगे में भाग लेकर हम अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उन लोगों के लिए जिन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

     

    तिरंगा रैली का आयोजन

    उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दिल्ली में संसद सदस्यों के लिए एक तिरंगा बाइक रैली को हरी झंडी दिखाई।

     

    संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी सूचना मंगलवार को दी थी कि संस्कृति मंत्रालय बुधवार को लाल किले से संसद तक सभी दलों के सांसदों के लिए ‘तिरंगा बाइक रैली’ का आयोजन करेगा। जोशी ने कहा था कि यह संस्कृति मंत्रालय का कार्यक्रम है न कि पार्टी का।

     

    भाजपा अध्यक्ष ने युवा के जागरूकता लिए की तैयारियां

    इससे पहले, बैठक में, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने 9 अगस्त से शुरू होने वाली भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम के दौरान पार्टी के सदस्यों के लिए कई अभ्यासों की रूपरेखा तैयार की।

     

    नड्डा ने पार्टी सदस्यों से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को प्रचारित करने के लिए सुबह नौ से 11 बजे के बीच ‘प्रभात फेरी’ (सुबह जुलूस) निकालने के लिए कहा, जबकि देश भर में इसकी युवा शाखा बाइक पर ‘तिरंगा यात्रा’ करेगी।

     

    विपक्ष ने नही लिया रैली में भाग

    केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को बताया कि देश 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा हैं इसे  आजादी का अमृत महोत्सव भी कहा जा रहा हैं।इसी के तहत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए विपक्षी दलों के सांसदों को दिल्ली में एक बाइक रैली में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन विपक्ष ने इस रैली में भाग नहीं लिया।

     

    मंत्री ने आगे कहा कि रैली युवाओं को यह संदेश देने में मदद करेगी। उन्होंने आगे ये भी बताया कि भाजपा राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने और भारत के गौरव को बढ़ाने के लिए काम करेगी।

     

    बाइक रैली में मंत्रियों सहित युवाओं ने लिया हिस्सा

    हर घर तिरंगा बाइक रैली संस्कृति मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मंगलवार को एक मेगा ‘तिरंगा उत्सव’ कार्यक्रम की मेजबानी के बाद इस रैली का आयोजन किया गया।

     

    दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों और युवा सांसदों समेत कई सांसदों ने बाइक रैली में हिस्सा लिया। सड़कों पर तिरंगा और पहियों पर सांसद, इस आयोजन ने सामाजिक संदेश देते हुए नागरिकों में देशभक्ति की भावना को बढ़ाने की कोशिश की। सांसदों के लिए तिरंगा बाइक रैली को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी और पीयूष गोयल के साथ लाल किले से हरी झंडी दिखाई। जिसका समापन विजय चौक पर हुआ।

     

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तिरंगा उत्सव के दौरान नागरिकों से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में बड़े उत्साह के साथ भाग लेने की अपील की और दुनिया को यह बताने की अपील की कि भारत नींद से उठ गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

  • राष्ट्रमंडल खेल में गोल्ड मेडलिस्ट जेरेमी ने रचा इतिहास

    राष्ट्रमंडल खेल में गोल्ड मेडलिस्ट जेरेमी ने रचा इतिहास

    राष्ट्रमंडल खेल- अमूमन एक किशोर अपने फोन का वॉलपेपर काफी बार बदलता है। यह आमतौर पर उनकी या उनके दोस्तो के साथ की तस्वीर ही होती हैं लेकिन, इस साल 4 मई से जेरेमी ने वॉलपेपर नहीं बदला है। उनके फोन का  वॉलपेपर  2022 राष्ट्रमंडल खेलों के गोल्ड मेडल का है।

     

    राष्ट्रमंडल खेल- भारत का दूसरा गोल्ड मेडल

    रविवार को बर्मिंघम के राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में, जेरेमी ने उस वॉलपेपर को सच करके दिखाया ये फोन में की बल्कि उनके हाथों में था। 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का दूसरा गोल्ड मेडल  दिला कर जेरेमी ने इतिहास रच दिया। पुरुषों की 67 किग्रा प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करते हुए, जेरेमी ने 140 किग्रा का स्नैच और फिर 160 किग्रा का क्लीन एंड जर्क कुल 300 किग्रा (खेल रिकॉर्ड) बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी से सात किलोग्राम दूर करके ये रिकार्ड अपने नाम किया।

     

    चूंकि वह 2018 में युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने, मिजोरम के आइजोल के 19 वर्षीय खिलाड़ी को एक विशेष प्रतिभा के रूप में चिह्नित किया गया है। चोटों ने उनके करियर की गति को कुछ हद तक समतल कर दिया था, लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण हाथ में शॉट हो सकता है कि उन्हें चीजों को पटरी पर लाने की जरूरत थी।

     

    पदक से खेल कर बिताया बचपन

    जेरेमी हमेशा से चमकदार चीजों के प्रशंसक रहे हैं। एक बच्चे के रूप में, आइजोल में पले-बढ़े, उनके पास कुछ ‘खिलौने’ थे जो उन्हें विशेष रूप से पसंद थे। ये पदक उनके पिता लालनीहटलुआंगा के पदक थे, जिन्होंने सब-जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण पदक जीते थे। “वे हमारे घर की दीवार पर लगे थे। लेकिन मैं और मेरे भाई हर समय उनके साथ खेलते थे। हम दिखावा करेंगे कि हम चैंपियन थे। खेलते समय हमने उनका एक पदक भी खो दिया” जेरेमी ने बताया।

     

    बॉक्सिंग भी था ऑप्शन

    उनके पास दो विकल्प थे। वे बॉक्सिंग कर सकते थे या वेट लिफ्टर बन सकते थे।आठ साल की उम्र में, जेरेमी ने बाद वाले को चुना। उन्होंने ऐजवाल में स्टेट स्पोर्ट्स कोचिंग सेंटर में वेट लिफ्टिंग अकादमी में प्रशिक्षण शुरू किया, बांस की छड़ें और पानी के पाइप का इस्तेमाल करके वजन उठाना सीखना।

     

    छोटी सी उमर में ही कुछ बड़ा करने का था जज़्बा

    छोटी सी उम्र में भी यह स्पष्ट था कि छोटा लड़का बड़ी चीजों के लिए बना है। प्रशिक्षण के एक साल बाद, उन्हें 2011 में पुणे में सेना खेल संस्थान में प्रशिक्षण के लिए एक टेस्ट के बाद चुना गया था। युवा ओलंपिक पदक ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ला खड़ा किया, उन्होंने 2016 में पहले ही अंतर्राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग समुदाय का ध्यान आकर्षित किया था।

     

    जब एक 13 वर्षीय – प्रतियोगिता में दूसरे सबसे कम उम्र के विश्व युवा 56 किग्रा डिवीजन में सिल्वर मेडल जीता था। वह 2017 विश्व युवा चैंपियनशिप और 2018 एशियाई युवा चैंपियनशिप में एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज और फिर अंत में ब्यूनस आयर्स में ऐतिहासिक युवा ओलंपिक में गोल्ड जीता।

     

    राष्ट्रमंडल खेल
    Gold Medalist Jeremy

    कोच विजय को जेरेमी लगते हैं विशेष

    इसमें कोई संदेह नहीं था कि जेरेमी एक विलक्षण प्रतिभा थे। मीराबाई चानू को ओलंपिक रजत पदक दिलाने वाले विजय शर्मा हमेशा उनकी प्रशंसा से प्रभावित नहीं होते हैं, लेकिन वह जेरेमी के लिए एक अपवाद बनाते हैं। “वह विशेष है। वह स्पष्ट रूप से ईश्वर प्रदत्त है, लेकिन जो वास्तव में मदद करता है वह है खेल के प्रति उसका पूर्ण समर्पण। उनकी उम्र में यह एक दुर्लभ गुण है,” शर्मा कहते हैं।

     

    चोट ने करना चाहा करियर ठप्प

    जैसे ही उनका करियर आगे बढ़ने के लिए आकार ले रहा था, जेरेमी ठप पड़ा हुआ लग रहा था – उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ कुल और 306 किग्रा का राष्ट्रीय रिकॉर्ड दो साल पहले 2019 मे बनाया  गया था। 2021 की शुरुआत में घुटने के पिछले हिस्से में एक पुटी को सर्जरी की आवश्यकता थी और वह लौट आया 2021 एशियाई चैंपियनशिप और जूनियर विश्व चैंपियनशिप से पदक के बिना। फिर जब उन्हें लगा कि 2021 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर किसी फॉर्म में लौट आए हैं, तो उन्हें एक और चोट लग गई थी।

     

    यह कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण था। इस साल फरवरी में प्रशिक्षण के दौरान डेडलिफ्ट का प्रयास करते हुए, जेरेमी ने अपनी रीढ़ की हड्डी में दर्द की एक तेज लकीर महसूस की। यह पता चला कि उसके पास एक उभरी हुई रीढ़ की हड्डी है। हालाँकि शुरू में उन्हें CWG में चूकने का खतरा था, लेकिन जेरेमी के दृढ़ संकल्प ने ऐसा नहीं होने दिया।

     

    परिवार से दूर रहना था सबसे मुश्किल

    जेरेमी बताते हैं कि चोट मुश्किल  लेकिन सबसे मुश्किल काम है अपने परिवार से दूर रहना। आखिरी बार जेरेमी जुलाई 2020 में घर गए था। अपने भाइयों की शादियों में शामिल नहीं हुए और 2017 के बाद से घर पर क्रिसमस नहीं मनाया है। उन्हे अपनी माँ के साथ रहने की याद आती है।

     

    अगला वॉलपेपर होगा एशियन रिंग्स

    जैसा कि उनके फोन पर वॉलपेपर ने उन्हें याद दिलाया, उन्हें राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक का पीछा करते हुए इंतजार करना पड़ा।अब, वह कुछ दिनों के लिए घर जाने की योजना बना रहा है। लेकिन यह दौरा छोटा होगा। वह पहले से ही आगे देख रहे हैं। इस साल के अंत में विश्व चैंपियनशिप हैं और फिर अगले साल पेरिस ऑलिपिक्स।इस बार वह एक और वॉलपेपर रिमाइंडर लगाने करने की योजना बना रहे है,वो होगा ऑलिपिक रिंग।