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Beggars Corporation: वाराणसी के भिखारी बने बिजनेसमैन, चंद्र मिश्रा की बेगर्स कॉर्पोरेशन ने छेड़ी मुहिम

Beggars Corporation

चंद्र मिश्रा ने वाराणसी में एक बेगर्स कॉरपोरेशन बनाई। जिन्होंने Beggars Corporation के जरिए विशेष प्रशिक्षण देकर भिखारियों को रोजगार देने का विचार आया। इसके लिए चंद्र मिश्रा ने कई राज्यों की यात्रा की और आखिरकार 31 दिसंबर, 2020 को वाराणसी पहुंचे। जहां पर उन्होंने एनजीओ जनमित्र न्यास की वाराणसी में स्थापना की। 

 

जब भी हमे कभी किसी भी धार्मिक स्थल के बाहर या फिर किसी सिग्नल पर कोई भिखारी हाथ फैलाए दिखाता हैं तो हम ज्यादातर नजर फेर लेते हैं। अगर भिखारी ने ज्यादा मिन्नते करी तो एक आद रुपया उसके हाथ में फेंक कर हम उससे अपनी जान छुड़ाने की कोशिश करते हैं।

 

मान लीजिए कि एक दिन में अगर 100 लोगो का पाला भिखारियों से पड़ता हैं तो लगभग 70 तो देख कर अनदेखा करेंगे, 20 उन्हे 2,4 रुपए दे देंगे और 10 ऐसे भी होंगे जो ये सोचेंगे कि भिखारियों को भीख मांगने की जगह काम करना चाहिए लेकिन इन सभी लोगो में से कोई एक बिरला ही इन भिखारियों के लिए रोजगार पैदा करने की बात सोचेगा। आप सोच रहे होंगे कि भिखारी बस मांग कर खाने में विश्वास रखते होंगे ये भला क्या ही काम करेंगे और कौन ही इनसे काम करवाने में बुद्धि लगाएगा तो आपके इन सारे सवालों का जवाब हैं हमारे इस लेख में।

 

भारत के भिखारियों का एक संक्षिप्त विश्लेषण

भारत में जनगणना के हिसाब से ही पता लगाया जाता है की कुल कितने भिखारी देश में सक्रिय हैं। 2021 में जनगणना होनी थी। लेकिन कोविड महामारी की वजह से इसे अक्टूबर 2023 तक टाल दिया गया। तो अब आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी उसी के आधार पर संख्या कुछ ये हैं कि भारत में कुल 4,13,670 भिखारी रह रहे हैं, जिनमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिला भिखारी हैं। अब अगर बात करे सर्वाधिक भिखारियों वाले राज्यो की तो सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में 81,224 हैं।

Beggars Corporation Chandra Mishra

इसके बाद उत्तर प्रदेश में 65,835 भिखारी, आंध्र प्रदेश में 30,218, बिहार में 29,723, मध्य प्रदेश में 28,695, राजस्थान में 25,853 हैं। दिल्ली में 2,187 भिखारी हैं जबकि चंडीगढ़ में केवल 121 भिखारी हैं। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप में केवल दो भिखारी हैं। अब आप ये सोच कर हैरान हो जाएंगे कि इन आंकड़ों में महिलाएं और पुरुष ही शामिल हैं।

 

आजकल ज्यादातर सिग्नल पर आपको बच्चे मिलेंगे तो उनका क्या? अगर बच्चो को भी इन आंकड़ों में शामिल किया जाता तो संख्या बहुत ज्यादा हो जाती। लेकिन कहते हैं ना अगर समस्या बहुत बड़ी होती हैं तो समाधान भी होता हैं। ऐसा ही समाधान इन भिखारियों के लिए बन कर आए चंद्र मिश्रा।

 

कौन हैं चंद्र मिश्रा?

Beggars Corporation

चंद्र मिश्र कोई बड़े उद्योगपति घराने से नही आते हैं जहां उनके खून में ही बिजनेस करना डाला जाए, बल्कि चंद्र मिश्रा खुद को एक आम आदमी ही बताते हैं। चंद्र मिश्रा ओडिशा के रहने वाले हैं और मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुकात रखते हैं। 1995 में मिश्रा ने ओड़िशा में पत्रकारिता की शुरुआत करी जिसमे उन्होंने अपनी ही बनाई हुई कॉमन मैन ट्रस्ट के तहत ‘आरंभ’ अखबार की शुरुआत करी। ये अखबार सिटीजन जर्नलिज्म पर आधारित था।

 

इस अखबार में मिश्रा लोगो से उनके इलाके की समस्याओं के बारे में पोस्टकार्ड के जरिए लिख कर भेजने को बोलते थे जो आगे अखबार में खबर बनती थी। कई सालों तक इस अखबार के जरिए सरकार का ध्यान मिश्रा ने समस्याओं की तरफ केंद्रित किया और कई बड़े बदलावों की वजह भी बने।

 

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इसके बाद मिश्रा ने ओडिशा में ही रोजगार मिशन चलाया जिसके जरिए उन्होंने कई परिवारों की खुशियां दी। इसके बाद, उन्हें बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, छत्तीसगढ़, और बिहार जैसे राज्यों में रोजगार मिशन को चलाने में सहायता दी। इसी बीच उन्होंने देश के कोने कोने में देखा की भीख मांगने की रिवाज कैसे पैर पसारे हुए हैं वहीं से उन्होंने इसे जड़ से मिटाने की ठान ली। ये सफर मुश्किल जरूर होने वाला था लेकिन नामुमकिन नहीं ये बता दिया हैं खुद चंद्र मिश्रा ने।

 

फिर कैसे शुरुआत हुई Beggars Corporation की?

जब वे गुजरात में थे, उन्होंने मंदिर के सामने भिखारियों को देखा, तब उन्होंने सोचा कि क्या कोई उपाय है जिससे इनका जीवन सुधार सके। तभी उन्होंने Beggars Corporation बनाने की ठानी। उन्हे दिमाग में इस Beggars Corporation के जरिए विशेष प्रशिक्षण देकर भिखारियों को रोजगार देने का विचार आया।

Beggars Corporation Chandra Mishra

इसके लिए मिश्रा ने कई राज्यों की यात्रा की और आखिरकार 31 दिसंबर, 2020 को वाराणसी पहुंचे। उन्होंने स्थानीय एनजीओ जनमित्र न्यास के साथ भिखारियों को रोजगार देने के विचार पर चर्चा की। एनजीओ मालिक भी भिखारियों के जीवन को बदलने के लिए मिश्रा के साथ काम करने पर सहमत हो गए। इसके बाद वाराणसी के कई घाटों का जायजा लिया। उन्होंने कई भिखारी देखे। तो मिश्रा ने भिखारियों से उनका हालचाल जाना।

 

अपने विचार के बारे में कहा, लेकिन किसी भी भिखारी ने स्वीकार नहीं किया। लेकिन जैसे-जैसे परिस्थितियां बदलेंगी वैसे-वैसे कोविड भिखारियों को Beggars Corporation की तरफ धकेला। 2021 में जब कोविड की दूसरी लहर में लॉकडाउन लगा तो भिखारियों का जीवन दयनीय हो गया। कई भिखारियों ने चंद्र मिश्रा से वाराणसी में उनकी मदद करने के लिए कहा।

 

इसलिए, अपने साथी बद्रीनाथ मिश्रा और देवेंद्र थापा के साथ, मिश्रा ने अगस्त 2022 में Beggars Corporation की शुरुआत की। एक महिला को मिश्रा बैग सिलना सिखाया और उसे रोजगार दिया।इसके बाद मिश्रा ने भिखारियों को प्रशिक्षण देकर उनके बनाए उत्पादों की मार्केटिंग शुरू की। अभी 14 भिखारी परिवार मिश्रा की Beggars Corporation से जुड़े। 12 भिखारी परिवार झोला बना रहे हैं।

 

दो अन्य परिवार मंदिरों में फूल और पूजा सामग्री बेचकर अपना गुजारा करते हैं। इन झोलो को आम झोला मत समझिए इन्ही झोलो को अब कई जगह बेचा जा रहा हैं, जिसमे बीजेपी कार्यालय भी शामिल हैं।

 

Don’t Donate, Invest का चलाया स्लोगन

चंद्र मिश्रा का मानना हैं कि आप भिखारियों को दान मत दीजिए बल्कि उनके प्रशिक्षण में निवेश कीजिए। इसी के लिए उन्होंने मुहिम चलाई जिसमे 10 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक आप जितना चाहें निवेश करें, आपको छह महीने में 16.5 प्रतिशत ब्याज देंगे। चंद्र मिश्रा का कहना है कि यह छोटी राशि जीवन में बड़ा बदलाव लाएगी भिखारियों की। प्रत्येक भिखारी के लिए 1.5 लाख रुपये का निवेश आवश्यक है।

Beggars Corporation Chandra Mishra

जिसमें से कौशल प्रशिक्षण पर 50 हजार खर्च होंगे। अन्य 1 लाख का उपयोग उनके व्यवसाय को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।

 

चंद्र मिश्रा का ये प्रयास सराहनीय,कई इन्वेस्टर्स ने किया निवेश

कई एनजीओ का कहना है कि इस भिखारियों के निगम के माध्यम से भिखारियों के जीवन को बेहतर बनाने के चंद्र मिश्रा के प्रयास 10 रुपये लेकर चलने के बजाय सराहनीय हैं। अभी तक अभियान के लिए शुरुआत में उन्हें 57 लोगों ने पैसे दिए। पहला चंदा छत्तीसगढ़ के एक इंजीनियर ने दिया। इस पैसे से उन्होंने भिखारियों को कौशल-प्रशिक्षण प्रदान किया और उन्हें रोजगार के लिए एक सेट-अप प्रदान किया।

 

उन्होंने अपनी कंपनी को पंजीकृत भी किया और अभिनव स्टार्टअप प्रतियोगिता में भाग लिया। जैसे-जैसे उनके काम का विस्तार हुआ, उन्हें 100 इनोवेटिव स्टार्टअप्स में जगह मिली और इसके बाद उन्हें टॉप 16 माइंडफुल स्टार्टअप्स में शामिल किया गया। इससे उनके काम को काफी बढ़ावा मिला। पायल अग्रवाल, जो गुरुग्राम में चायओम नाम से चाय की कंपनी चलाती हैं।

 

उनके साथ एक व्यापारिक समझौता भी किया है। सौदा 5 लाख रुपये का निवेश करना और एक चाय कैफे शुरू करना है जहां भिखारी काम करेंगे।

 

स्कूल ऑफ लाइफ की भी करी शुरुआत

जैसा कि हमने इस लेख की शुरुआत में बताया था कि भिखारियों की संख्या में बच्चे बहुत ज्यादा हैं जिसके बारे में किसी जनगणना में नही बताया जाता तो इसी को ध्यान में रखते हुए चंद्र मिश्रा ने एक स्कूल ऑफ लाइफ की भी शुरुआत करी हैं। वाराणसी के घाटों में शिव और हनुमान के रूप में घूम रहे बच्चों को इस स्कूल ऑफ लाइफ में मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।

 

Beggars Corporation भिखारियों के लिए सच में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं जहां से जुड़कर इन लोगो का जीवन ही नहीं बल्कि देश का भविष्य भी उज्जवल होगा।