दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर से गंभीर रूप ले गया है और रविवार को इंडिया गेट के पास सैकड़ों नागरिकों ने प्रदूषण के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने “स्मॉग से आज़ादी!” और “I miss breathing” जैसे नारे दिए और साफ हवा की तुरंत नीति व कार्रवाई की मांग की। यह प्रदर्शन सिर्फ एक नारा नहीं। यह दिल्ली में सांस लेने का अधिकार मांगने वाला एक बढ़ता हुआ आंदोलन बन चुका है।
स्मॉग: वायु गुणवत्ता की भयावह स्थिति
प्रदर्शन के समय दिल्ली का AQI “बहुत खराब (Very Poor)” श्रेणी में दर्ज किया गया था, और कुछ मॉनिटर 400 के पार भी गए।
बढ़ते प्रदूषण के कारण, राष्ट्रीय आयोग (Commission for Air Quality Management) ने Stage 3 के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया है, जिसमें गैर-जरूरी निर्माण पर पाबंदी और उद्योगों पर कड़े प्रतिबंध शामिल हैं।
प्रदर्शन की रूप-रेखा

रविवार शाम इंडिया गेट पर करीब 400 लोग एकत्र हुए।
प्रदर्शनकारियों में पर्यावरण कार्यकर्ता, छात्र, माता-पिता, बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे।
उन्होंने पोस्टर्स उठाए जैसे – “I miss breathing”, “Right to live, not just survive” और “Delhi is injurious to health”।
कुछ माता-पिता बच्चों को साथ लाये और नेब्युलाइज़र या मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन भी अपने बैज पर दिखा रहे थे, जो प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को दर्शाता है।
पुलिस कार्रवाई और विवाद
पुलिस ने कहा कि इंडिया गेट प्रदर्शन के लिए अनुमत नहीं साइट है, क्योंकि वहां सुरक्षा और ट्रैफिक नियम लागू हैं।
प्रदर्शनकारियों के बिना अनुमति इकठ्ठा होने पर FIR दर्ज की गई है।
कम-से-कम 80 लोग हिरासत में लिए गए, और कुछ को विभिन्न थानों में ले जाया गया।
पुलिस का कहना है कि हिरासत में लिए गए वे लोग थे जो Man Singh Road को अवरुद्ध कर रहे थे, और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और नाराजगी
प्रदर्शनकारियों और पर्यावरणवादियों ने साफ हवा को मौलिक अधिकार (Right to Life) बताया, और मांग की गई कि प्रदूषण पर सिर्फ दिखावटी कदम न हों।
एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने कहा कि “हर तीसरा बच्चा पहले से ही फेफड़ों की समस्या के साथ है; यह सिर्फ वायु प्रदूषण नहीं, यह हमारी आनुवंशिक बर्बादी है।”
कई लोगों का आरोप था कि सरकारी AQI डेटा में विश्वसनीयता की कमी है। कुछ मॉनिटर बंद किए जा रहे हैं या आंकड़े मिटा दिए जाते हैं, ताकि प्रदूषण की वास्तविकता छुपाई जा सके।
उन्होंने एक स्वतंत्र एयर रेगुलेटर, रियल-टाइम प्रदूषण डेटा की पारदर्शिता, और स्वास्थ्य चेतावनी सिस्टम की मांग की है।
स्वास्थ्य संकट की चेतावनी

प्रदूषण की यह स्थिति अब एक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुकी है: सांस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन, सिरदर्द और श्वसन संबंधी बीमारियों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि दिल्लीवासियों की जिंदगी खतरे में है।
विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि लगातार उच्च AQI का मतलब सिर्फ मौसमी समस्या नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम है।
सरकारी प्रतिक्रिया और आलोचना
अधिकारियों ने कहा है कि वे GRAP में आवश्यक कदम उठा रहे हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ये सीमित और प्रदर्शन-जनक उपाय हैं, जैसे क्लाउड सीडिंग या वॉटर-सप्रिंकलर, जो वास्तविक प्रदूषण नियंत्रण नहीं हैं।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जलने वाली पराली, वाहन उत्सर्जन और निर्माण धूल जैसी जड़ों पर सरकार प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही है, और परिणामस्वरूप उनका “संसाधन नहीं, अधिकार” मांगना न्यायसंगत है।
निष्कर्ष
यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदूषण विरोधी रैली नहीं है, बल्कि दिल्ली के नागरिकों की रोज़मर्रा की लड़ाई है। जीवन भर की हवा को सुरक्षित रखने की मांग। इंडिया गेट पर जो दृश्य सामने आया, वह दर्शाता है कि अब लोग सिर्फ नारे नहीं, असली बदलाव चाहते हैं। सरकार के लिए यह समय है कि वह प्रदर्शनकारियों की आवाज़ को सुनें, आरोही AQI की चुनौतियों का सामना करें, और साफ हवा के लिए गंभीर, पारदर्शी और जवाबदेह नीतियाँ बनाए।


