India New Labour Codes: भारत में कई दशकों तक मज़दूरी और कामगारों से जुड़े कानून बेहद बिखरे और जटिल थे। कुल 29 अलग-अलग लेबर कानून थे, जिनके अपने-अपने नियम, परिभाषाएँ और प्रक्रियाएँ थीं। कंपनियों को समझना मुश्किल होता था कि कौन-सा नियम कब लागू होगा। वहीं कर्मचारियों को भी अपने अधिकारों और लाभों के बारे में पूरी clarity नहीं मिलती थी।
इसी जटिलता को सरल बनाने के लिए सरकार ने इन 29 कानूनों को मिलाकर चार बड़े India New Labour Codes तैयार किए हैं:
- Wages Code
- Industrial Relations Code
- Social Security Code
- OSH Code (Occupational Safety, Health & Working Conditions)
इनका उद्देश्य कानूनों को बदलना नहीं बल्कि सरल, स्पष्ट और एकीकृत बनाना है ताकि कर्मचारियों और नियोक्ताओं को एक साफ और समझने योग्य फ्रेमवर्क मिले।
Wages Code – वेतन से जुड़े सभी नियम एक जगह
Wages Code न्यूनतम मजदूरी, वेतन भुगतान और बोनस से जुड़े नियमों को एक सिस्टम में लाता है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि “वेजेज” की परिभाषा बदल दी गई है।
नई परिभाषा के अनुसार आपकी सैलरी में अलाउंस कुल वेतन के 50% से ज़्यादा नहीं हो सकते, और बेसिक पे कम से कम 50% होना चाहिए। इस बदलाव का सीधा असर PF और ग्रेच्युटी की गणना पर पड़ेगा, जिससे इन दोनों योगदानों में बढ़ोतरी होगी।
Industrial Relations Code – भर्ती, छँटनी और हड़ताल पर नए नियम
यह कोड भर्ती, छंटनी, हड़ताल और विवाद समाधान की प्रक्रिया को सरल बनाता है। सबसे बड़ा बदलाव – 300 कर्मचारियों तक वाली कंपनियाँ बिना सरकारी अनुमति छंटनी कर सकती हैं। पहले यह सीमा 100 कर्मचारियों तक थी। इसे उद्योग जगत लचीलापन बढ़ाने वाला कदम मानता है, लेकिन कर्मचारी यूनियनों के लिए यह नौकरी सुरक्षा को कमजोर करता है।
Social Security Code – PF, ESIC और गिग वर्कर्स को एक साथ लाना
Social Security Code PF, ESIC, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी और अन्य सुरक्षा लाभों को एक फ्रेमवर्क में जोड़ता है।
सबसे बड़ा बदलाव – भारत में पहली बार गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स (जैसे कैब ड्राइवर, डिलीवरी पार्टनर) को कानूनी पहचान दी गई है। कंपनियों को अपने राजस्व का एक हिस्सा इन कामगारों के वेलफेयर फंड में देना होगा। हालांकि इनके योगदान और लागू करने की प्रक्रिया अभी भी स्पष्ट रूप से विकसित हो रही है।
OSH Code – सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े नियम अब एकजुट
OSH Code कामकाजी माहौल, सुरक्षा, स्वास्थ्य और छुट्टियों से जुड़े सभी नियमों को एक जगह लाता है।
सबसे बड़ा सुधार – “वन वर्कर रूल”, यानी यदि कंपनी में सिर्फ एक कर्मचारी भी है, तो सुरक्षा के नियम लागू होंगे। यह ख़ासकर खतरनाक उद्योगों में बड़ा सुधार माना जा रहा है।
India New Labour Codes का सबसे बड़ा असर आपकी सैलरी पर
नए लेबर कोड्स(India New Labour Codes) का सबसे सीधा प्रभाव सैलरी स्ट्रक्चर पर है।
नई परिभाषा के तहत:
- बेसिक सैलरी = कुल वेतन का कम से कम 50%
- अलाउंस = कुल वेतन का अधिकतम 50%
इसका असर PF और ग्रेच्युटी पर पड़ेगा क्योंकि ये बढ़े हुए बेसिक पर कैलकुलेट होंगे।
उदाहरण:
- पहले CTC = ₹1,00,000
- बेसिक = ₹35,000
- अलाउंस = ₹65,000
PF contribution कम, टेक-होम ज्यादा
नए नियम के बाद:
- बेसिक = ₹50,000
- अलाउंस = ₹50,000
- PF contribution बढ़ेगा
- टेक-होम कम, लेकिन रिटायरमेंट फंड ज्यादा
यानी, अभी जेब में कम और भविष्य में अधिक सुरक्षा।
कर्मचारियों के लिए फायदे
- वेतन का भुगतान महीने के पहले सप्ताह में अनिवार्य
- फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को सिर्फ एक साल में ग्रेच्युटी
- महिलाओं को सुरक्षा इंतज़ामों के साथ नाइट शिफ्ट में काम की अनुमति
- माइग्रेंट वर्कर्स के लिए पोर्टेबिलिटी आसान
- खतरनाक कामों में सुरक्षा नियम और कड़े
- गिग वर्कर्स के लिए पहली बार कानूनी पहचान
नियोक्ताओं के लिए बदलाव
एक ओर कंपनियों के लिए कागज़ी काम आसान होगा और नियम स्पष्ट होंगे।
दूसरी ओर:
- PF योगदान बढ़ने
- सुरक्षा मानकों के कड़े होने
- न्यूनतम मजदूरी बढ़ने
ये कोड एक संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं। कंपनियों को लचीलापन और कर्मचारियों को सुरक्षा। इनकी सफलता राज्यों द्वारा लागू करने पर निर्भर करेगी।
निष्कर्ष: India New Labour Codes सुधार की शुरुआत हैं
India New Labour Codes भारत के जटिल, पुराने और बिखरे हुए लेबर कानूनों को आधुनिक बनाने का एक बड़ा कदम हैं।
यदि इन्हें ईमानदारी से लागू किया गया तो:
- कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा
- गिग वर्कर्स को औपचारिक पहचान
- कंपनियों को स्पष्ट नियम
हालांकि टेक-होम सैलरी में कमी, छँटनी में लचीलापन और राज्य-स्तर पर देरी जैसी चुनौतियाँ भी रहेंगी। इन्हें किसी चमत्कारी बदलाव की तरह नहीं बल्कि एक लंबे सुधार यात्रा की शुरुआत के रूप में देखा जाना चाहिए।


