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Reading: Israel-Iran War के बीच भारत का रेस्क्यू ऑपरेशन, आर्मेनिया के रास्ते सुरक्षित लौट रहे भारतीय छात्र
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Israel-Iran War के बीच भारत का रेस्क्यू ऑपरेशन, आर्मेनिया के रास्ते सुरक्षित लौट रहे भारतीय छात्र

newsdiggy
Last updated: June 18, 2025 1:22 pm
newsdiggy
Published June 18, 2025
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Israel-Iran War
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Israel-Iran War: ईरान(Iran) और इजराइल(Israel) के बीच चल रहे गंभीर सैन्य तनाव के बीच भारत(India) ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान शुरू कर दिया है। विशेषकर वहां रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार सतर्क है, क्योंकि ईरान(Iran) में लगभग 10,000 भारतीय नागरिक और इनमें से करीब 1,500 छात्र मौजूद हैं। इस मुश्किल घड़ी में भारत ने आर्मेनिया(Armenia) के रास्ते अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी का रास्ता चुना है, जो न केवल सुरक्षित है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी सबसे उपयुक्त है।

Contents
Israel-Iran War: भारत सरकार उठा रही पूरा खर्चईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को अग्रिम रूप से बताना अनिवार्य है। तभी बॉर्डर क्रॉसिंग की अनुमति दी जाती है।निष्कर्ष

⚠️ADVISORY

In view of the current situation in Iran, all Indian nationals & persons of Indian origin in Iran are requested to remain vigilant, avoid all unnecessary movements, follow the Embassy’s Social Media accounts & observe safety protocols as advised by local authorities.

— India in Iran (@India_in_Iran) June 13, 2025

⚠️
All Indian Nationals who are in Tehran and not in touch with the Embassy are requested to contact the Embassy of India in Tehran immediately and provide their Location and Contact numbers.

Kindly contact: +989010144557; +989128109115; +989128109109@MEAIndia

— India in Iran (@India_in_Iran) June 17, 2025

Our Statement on the situation in Iran⬇️

🔗 https://t.co/vMiKDM6kvg pic.twitter.com/VZK1UmP5mm

— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) June 17, 2025

Table of Contents

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    • Israel-Iran War: भारत सरकार उठा रही पूरा खर्च
    • ईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को अग्रिम रूप से बताना अनिवार्य है। तभी बॉर्डर क्रॉसिंग की अनुमति दी जाती है।
  • निष्कर्ष

Israel-Iran War: भारत सरकार उठा रही पूरा खर्च

भारतीय विदेश मंत्रालय और तेहरान(Tehran) स्थित भारतीय दूतावास ने मिलकर तत्काल निर्णय लिया कि ईरान(Iran) से छात्रों और नागरिकों को निकालने के लिए भूमि मार्ग का इस्तेमाल किया जाए, क्योंकि युद्ध जैसे हालात के कारण ईरान(Iran) के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बंद हो चुके हैं या बेहद असुरक्षित हो गए हैं।इसके तहत भारतीय अधिकारियों ने आर्मेनिया(Armenia) सरकार से संपर्क कर छात्रों को ईरान-आर्मेनिया सीमा स्थित नॉरदुज बॉर्डर से ले जाने की अनुमति मांगी और वहां से एक योजनाबद्ध रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत हुई।

ये भी पढ़े: रूस-यूक्रेन की जंग का एक वर्ष होने से पहले बाइडेन पहुंचे यूक्रेन, क्या यूक्रेन के साथ अब अमेरिका भी रूस से युद्ध करेगा?

पहले चरण में 110 भारतीय छात्रों का पहला बैच आर्मेनिया(Armenia) पहुंचा, जहां से उन्हें बसों के ज़रिए येरेवन एयरपोर्ट लाया गया। ये छात्र अब भारत लौटने की प्रक्रिया में हैं और बाकी छात्रों को भी चरणबद्ध तरीके से इसी प्रक्रिया से निकाला जाएगा। ईरान से वापसी की प्रक्रिया: चरण दर चरण

  1. ईरान के अलग-अलग शहरों से छात्रों को इकठ्ठा कर नॉरदुज बॉर्डर तक लाया जाता है।
  2. बॉर्डर पर आवश्यक दस्तावेजों की जांच और अनुमतियों के बाद उन्हें आर्मेनिया में प्रवेश दिया जाता है।
  3. आर्मेनिया की राजधानी येरेवन तक छात्रों को बसों से पहुंचाया जाता है।
  4. येरेवन एयरपोर्ट से विशेष या व्यावसायिक उड़ानों के माध्यम से भारत लाया जाता है।

भारत सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी छात्रों को भोजन, मेडिकल सहायता और यात्रा से जुड़ी जरूरी सुविधाएं इस प्रक्रिया के दौरान मिलती रहें।

ईरान सात देशों से घिरा हुआ है: पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक। इसके अलावा दक्षिण में समुद्री सीमा ओमान से लगती है। इनमें से भारत ने आर्मेनिया को चुना, और इसके पीछे कई कारण हैं:

राजनीतिक स्थिरता: आर्मेनिया एक शांतिपूर्ण और स्थिर देश है, जहां युद्ध या सीमा विवाद की स्थिति नहीं है।

भारत-आर्मेनिया मजबूत संबंध: दोनों देशों के बीच लंबे समय से रक्षा, शिक्षा और कूटनीति में सहयोग रहा है। हाल के वर्षों में भारत ने आर्मेनिया को सैन्य उपकरण भी दिए हैं।

निकटता और सुरक्षित रास्ता: नॉरदुज बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से ज्यादा दूर नहीं है, जिससे सड़क मार्ग से यात्रा सुरक्षित और संभव है।

उपलब्ध उड़ानें: येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है और वहां से भारत के लिए उड़ानों का संचालन आसानी से किया जा सकता है।

  1. पाकिस्तान भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध, रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयोग की संभावना नहीं।
  2. अजरबैजान हाल ही में पाकिस्तान का खुला समर्थन किया, भारत विरोधी बयान दिए।
  3. इराक इजराइली हमलों का खतरा, ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया जा चुका है।
  4. तुर्किये भारत से संबंध ठंडे पड़ चुके हैं, और सड़क मार्ग से दूरी अधिक है।
  5. अफगानिस्तान तालिबान शासित, सुरक्षा की दृष्टि से अस्थिर और असुरक्षित देश।
  6. तुर्कमेनिस्तान लॉजिस्टिक समस्याएं और राजनीतिक अस्थिरता का खतरा।
  7. वर्तमान में ईरान के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स या तो बंद हैं या अत्यधिक असुरक्षित माने जा रहे हैं।
  8. इजराइली मिसाइल हमलों के खतरे की वजह से हवाई मार्ग से छात्रों को सीधे निकालना बहुत जोखिम भरा है।

इसके अतिरिक्त:

  1. ईरान सरकार से विशेष अनुमति की आवश्यकता होती।
  2. युद्ध जैसे हालात में एयरस्पेस का इस्तेमाल बेहद खतरनाक है।
  3. भारतीय विमानन कंपनियों के लिए वहां से संचालन संभव नहीं है।
  4. इसलिए भूमि मार्ग से सुरक्षित देशों के ज़रिए रेस्क्यू करना ही फिलहाल सबसे सुरक्षित विकल्प है।
  5. ईरान छोड़ने की प्रक्रिया

ईरान सरकार ने सभी विदेशी नागरिकों के लिए कुछ अनिवार्य दिशानिर्देश जारी किए हैं। देश छोड़ने से पहले संबंधित दूतावास को:

  1. व्यक्ति का नाम
  2. पासपोर्ट नंबर
  3. गाड़ी की जानकारी
  4. सीमा का नाम जहां से बाहर जा रहे हैं
  5. और देश छोड़ने का अनुमानित समय

ईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को अग्रिम रूप से बताना अनिवार्य है। तभी बॉर्डर क्रॉसिंग की अनुमति दी जाती है।

सरकार की सतर्कता और जिम्मेदारी

भारत सरकार की यह त्वरित और योजनाबद्ध कार्रवाई यह साबित करती है कि जब भी संकट आता है, सरकार अपने नागरिकों की रक्षा और सम्मानजनक वापसी के लिए पूरी ताकत से काम करती है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरी सावधानी और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के साथ अंजाम दिया जा रहा है।

निष्कर्ष

ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच भारत ने जिस कुशलता से अपने छात्रों और नागरिकों को सुरक्षित निकालने की योजना बनाई है, वह सराहनीय है। आर्मेनिया जैसे रणनीतिक और भरोसेमंद देश के सहयोग से भारत धीरे-धीरे अपने सभी फंसे हुए नागरिकों को वापस ला रहा है। यह अभियान न केवल भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपने हर नागरिक की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करता है, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।

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