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90 वर्ष के शरद पगारे ने दिखाई जवानों को राह, फॉउंडेशन का ‘व्यास सम्मान’ मिलेगा शरद पगारे को

शरद पगारे

इंदौर के शरद पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास, 10 कथा संग्रह उज्ज्वल हो चुके हैं।

 

शरद पगारे को क्या मिलेना वाला है?

साहित्य के इलाके में देश में ज्ञानपीठ के बाद सबसे बड़ा इनाम माने जाने वाला के. के. बिड़ला फॉउंडेशन का ‘व्यास सम्मान’ भारत के मशहूर साहित्यकार शरद पगारे को 11 जनवरी को शयाम 5 प्रेस क्लब इंदौर में एक गरिमामय कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा।

 

कार्यक्रम की मुख्य अथिति पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन होंगी। विशेष अतिथि देवी अहिल्या विश्व विद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन होंगी। के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण भी इस मौके पर आएंगे। ‘व्यास सम्मान’ प्रो. शरद पगारे को उनके प्रसिद्धि उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ के लिए दिया जा रहा है।

 

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सम्मान के तहत के. के. बिड़ला फाउंडेशन मंजूषा, प्रशस्ति प्रत्र और 4 लाख रुपए की सम्मान राशि देता है। शरद पगारे व्यास सम्मान से विभूषित होने वाले मध्य प्रदेश के एकमात्र साहित्यकार हैं।

 

पगारे को देश में क्या क्या दिया?

पगारे को देश में ऐतिहासिक उपन्यास लेखन की प्रथा को न एकमात्र पुनर्जन्म दिया है। बल्कि उसे नया मोड़ भी दिया है। आपने अपने उपन्यास लेखन में ऐसे व्यवहार पर काम किया है। जो न अपने काल में संभ्रान्त होने के बाद तिरस्कृत रहे। पगारे ने उन्हें अपनी कलम से न्याय दिलाने का काम किया है। मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक नगर बुरहानपुर पर पगारे के दो उपन्यास गुलारा बेगम और बेगम जैनाबादी’ हैं।

 

हिंदी साहित्य में किसी नगर के ऐतिहासिक गतिविधि पर दो उपन्यास लिखने की दूसरी मिसाल नहीं मिलती। इसी प्रकार उज्जैन में 2000 वर्ष पूर्व हुवे घटनाक्रम पर आपका लोकप्रिय उपन्यास ‘गन्धर्व सेन’ है। प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित कृति ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’मौर्य युग के वैभव से पाठक का परिचय कराती है।

 

यह उपन्यास इस लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है क्यों कि यह इतिहास में उपेक्षित नारी महान सम्राट अशोक की की मां धर्मा की कथा-व्यथा कहता है। इस उपन्यास का तीव्र ही उड़िया भाषा में भाषान्तर हो कर प्रकाशन हो रहा है।

 

अनेकों साहित्यिक सम्मानों से नवाज़े जा चुके शरद पगारे का एक अन्य उपन्यास ‘उजाले की तलाश’ है। नक्सलवाद की पिछोकड़ पर लिखा गया यह उपन्यास इतना प्रचलित हुआ की इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद हुवा और देश के अंग्रेज़ी के प्रतिष्ठित पब्लिशर रूपा पब्लिकेशन से इसका प्रकाशन हुवा है। ‘जिंदगी के बदलते रूप’ आपका एक दूसरा प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी प्रकार कथा संग्रहों में नारी के रूप, सांध्य तारा, चन्द्रमुखी का देवदास हिंदी के पाठकों में बहुत प्रसिद्ध है।

 

शरद पगारे की एक दूसरी उल्लेखनीय पुस्तक कोन- सी है?

शरद पगारे की एक दूसरी महत्वपूर्ण पुस्तक भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक कहानियां है। इस पुस्तक में उन्ही प्रेम मौके पर उन्होंने कलम चलाई है। जिनके ऐतिहासिक सबूत मिलते हैं। आपका स्वत्व है। कि यह कथा संग्रह दुनिया भर में अद्‌भुत इसलिए है क्यूंकि किसी देश में अभी तक साहित्य में ऐसा काम नहीं हुआ है।