फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की हालिया रिपोर्ट में आतंकी फंडिंग के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी संगठन ई-कॉमर्स साइट्स, वीपीएन और ऑनलाइन पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल फंड ट्रांसफर और जरूरी सामान खरीदने के लिए कर रहे हैं। FATF ने पुलवामा और गोरखनाथ हमलों का हवाला देते हुए डिजिटल माध्यमों के ज़रिए आतंकवाद के लिए हो रही फंडिंग के नए तरीकों को उजागर किया है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से आतंकी फंडिंग का बढ़ता खतरा

FATF की रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठन अब पारंपरिक माध्यमों के बजाय ई-कॉमर्स साइट्स, वीपीएन और ऑनलाइन पेमेंट सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। पुलवामा हमले के लिए अमेजन से विस्फोटक में उपयोग होने वाला अल्यूमीनियम पाउडर खरीदा गया था। वहीं गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाले आतंकी को विदेश से पेपाल के ज़रिए बड़ी रकम ट्रांसफर की गई थी। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों की फंडिंग के लिए किया जा रहा है।
FATF: ऑनलाइन वीडियो गेम्स भी खतरा
एफएटीएफ ने ऑनलाइन वीडियो गेम्स या ऑनलाइन गेमिंग के संभावित खतरे के बारे में भी बताया है और सभी देशों को इनको लेकर ज्यादा सतर्क रहने को कहा है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भले ही पाकिस्तान का सीधा नाम नहीं लिया गया है, लेकिन जिन आतंकी घटनाओं का ज़िक्र किया गया है, उनके पीछे भारतीय एजेंसियां अक्सर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को ज़िम्मेदार ठहराती रही हैं।
विस्फोटक करने का सामान एमाजॉन से खरीदा

रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोटक तैयार करने में उपयोग होने वाला एक अहम घटक — एल्युमिनियम पाउडर — ईपीओएम और अमेज़न जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से खरीदा गया था। इसका प्रयोग विस्फोट की तीव्रता बढ़ाने के लिए किया गया। मामले की जांच के बाद 19 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया, जिनमें सात विदेशी नागरिक शामिल थे। इन सभी पर आतंकियों को आर्थिक सहायता देने के आरोप भी लगाए गए। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि किस तरह ऑनलाइन पेमेंट सर्विस और वीपीएन का दुरुपयोग कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया गया। उदाहरण स्वरूप, 3 अप्रैल 2022 को गोरखनाथ मंदिर पर एक आतंकी ने हमला किया था, जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित था।”
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इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा की गई थी। फोरेंसिक विश्लेषण में यह सामने आया कि एक व्यक्ति ने विदेश से पेपाल के माध्यम से आतंकी को 7,685 डॉलर (लगभग 6.7 लाख रुपये) की रकम ट्रांसफर की थी।
एफएटीएफ की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि आतंकी संगठन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (ईपीओएम) का इस्तेमाल न सिर्फ वस्तुओं की खरीद के लिए, बल्कि अपनी गतिविधियों के वित्तपोषण हेतु सामान बेचने के लिए भी कर सकते हैं। इनमें अक्सर कम मूल्य की वे वस्तुएं होती हैं, जिनकी सामान्यतः अधिक मांग नहीं होती। इसके अतिरिक्त, ईपीओएम का उपयोग व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग योजनाओं से प्रेरित होकर धन के स्थानांतरण के लिए भी किया जा सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने FATF की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स और सोशल मीडिया कंपनियों से निगरानी बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, साइबर आतंकवाद पर कठोर कानून बनाने की दिशा में कदम उठाने की बात कही है।
निष्कर्ष
पुलवामा और गोरखपुर की घटनाएं यह दिखाती हैं कि आतंकवाद अब सीमाओं से परे डिजिटल रूप ले चुका है। आज जरूरत है कि सरकारें, टेक कंपनियां और नागरिक मिलकर डिजिटल कट्टरता और आतंक की इस नई लहर का मुकाबला करें।