Achinta Sheuli: जीवन में अताह संघर्षों के बाद भी मुँह मैं अन्न रखने के बजाय गोल्ड रखने की भागदौड़ में शामिल हुए थे, अचिंता शेउली। मात्र 20 साल की उम्र मे रच डाला इतिहास।
भारत को दिलाया उसका तीसरा गोल्ड
आप सभी को बता दे कि अचिंता शेउली मात्र 20 साल के एक आम नौजवान थे लेकिन जीवन में इतनी कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बाद ज़िंदगी ने उन्हें इस तरह लोहे का बनाया कि वह देश की सेवा में सोना जीतने में भी सफल रहे। 20 साल ये भारतीय वेटलिफ्टर ने कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐतिहासिक प्रदर्शन दिखाकर सोना जीत लिया।
313 किलो वजन उठाकर किया रिकॉर्ड कायम
अचिंता शेउली ने मेन्स वेटलिफ्टिंग के मेन्स वेटलिफ्टिंग के 73 किलोग्राम के भार वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया। बात रही भार उठाने की तो 313 किलो भार उठाकर अचिंता शेउली ने कॉमनवेल्थ गेम्स मैं रिकॉर्ड ब्रेकिंग प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस तरह के प्रदर्शन के लिए केवल शारीरिक हिम्मत नहीं मानसिक हिम्मत बरकरार रखने की भी उन्हें उतनी ही जरूरत पड़ी।
मात्र 10 साल की उम्र में शुरू की थी ट्रेनिंग
वेटलिफ्टिंग में इतिहास रचने वाले अचिंता का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। 24 नवंबर 2001 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा इलाके में जन्मे इस भारतीय वेटलिफ्टर ने महज 10 साल की छोटी उम्र में वेटलिफ्टिंग की कठिन तैयारी शुरू कर दी थी। इस दौरान उनका साथी बना उनका खुद का भाई आलोक। उनका बचपन किसी आम वेटलिफ्टर की तरह दूध दही के बीच नहीं बल्कि कड़ी गरीबी के बीच गुजरा और घर चलाने के लिए पिता को मजदूरी का काम करना पड़ता था। ऐसे में दोनों भाई जैसे तैसे स्थानीय जिम में ट्रेनिंग किया करते थे।
पिता के बाद संघर्ष भरा रहा जीवन
सब कुछ ठीक चल सब कुछ ठीक चल रहा था। जिम में ट्रेनिंग और गरीबी में जीवन के बीच जैसे तैसे जब गाड़ी चल ही रही थी तभी उन्हीं के ऊपर पिता की मौत का भार कि ऐसा टूटा जिन्होंने दोनों भाइयों को हिला कर रख दिया। साथ ही मौत के बाद बड़े भाई आलोक पर परिवार के पालन पोषण का भार आ गया और इसी के साथ साथ उन्होंने वेट लिफ्टिंग उन्होंने वेट लिफ्टिंग छोड़ दी। इसी दौरान माँ पूर्णिमा ने भी हिम्मत नहीं हारी और सिलाई बुनाई का काम करके घर का खर्च चलाने लगी। लेकिन इसी बीच अचिंता पूरे जुनून के साथ अपने खेल पर डटे रहे।
गोल्ड और सिल्वर पदकों से की अचिंता शेउली ने दोस्ती
यह अचिंता का पहला मेडल नहीं था बल्कि इससे पहले भी इस भारतीय वेटलिफ्टर ने अपने नाम कई पदक किए थे। अचिंता को आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट के ट्रायल में भी चुना गया। उन्होंने इसमें 2015 मैं दाखिला लिया था। उनके मजबूत हौसले और कठिन परिश्रम के बाद उन्हें उसी साल भारतीय राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ था। इसी के साथ साथ उन्होंने इसी साल कॉमनवेल्थ यूथ चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम किया था।
इसके बाद तो जैसे उन्होंने मेहनत की ऐसी ट्रेन पकड़ी जिसे आजतक कोई रोक नहीं पाया। 2016 और 2017 में आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में उन्होंने ट्रेनिंग की इसी के साथ साथ 2018 में वे राष्ट्रीय शिविर में आ पहुँचे। 2018 में उन्होंने कॉमनवेल्थ यूथ चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता इसी के साथ साथ उनका हौसला और प्रदर्शन बेहतर होता ही चला गया।
साल 2019 में उन्होंने जूनियर एवं सीनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। तो वही दूसरी तरफ उन्होंने साल 2021 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
कॉमनवेल्थ गेम्स में किया चौंका देने वाला प्रदर्शन
भारतीय दिग्गज अचिंता शेउली ने 2022 की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कमाल का प्रदर्शन किया जब केवल 20 साल की उम्र में उन्होंने 143 किलो वजन उठाकर स्नैच के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड कायम किया। पहले ये खेलों की हिस्टरी मैं ऐसा रिकॉर्ड कोई भी खिलाड़ी कायम नहीं कर पाया पर ये भारत है इसकी मिट्टी से जन्में खिलाड़ी में जुनून की मात्रा उनके खून की मात्रा से ज्यादा ही देखने को मिलेंगी। उम्मीद है भारत के बाकी सारे खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी अचिंता के जीते पदक जैसा सुनहरा होगा।