भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गहन पुनरीक्षण यानी SIR (Special Intensive Revision) के दूसरे चरण की शुरुआत की घोषणा की है। इस प्रक्रिया की शुरुआत मंगलवार से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हो जाएगी।
यह कदम मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी, सटीक और अद्यतन बनाने की दिशा में चुनाव आयोग का बड़ा प्रयास है। लेकिन इस बीच सबसे बड़ा सवाल उठा है – घुसपैठ और फर्जी वोटरों का मुद्दा उठाने वाले असम को इस सूची से क्यों बाहर रखा गया है?
क्या है गहन पुनरीक्षण (SIR)
गहन पुनरीक्षण(SIR) एक विशेष प्रक्रिया है जिसके तहत चुनाव आयोग मतदाता सूचियों की विस्तृत जांच और सत्यापन करता है। इसका उद्देश्य है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से छूटे नहीं और कोई भी अपात्र मतदाता सूची में बना न रहे।
इस प्रक्रिया के दौरान हर जिले और हर बूथ स्तर पर BLO (Booth Level Officer) घर-घर जाकर मतदाताओं से विवरण की पुष्टि करते हैं, पुरानी सूचियों से मिलान करते हैं और नई सूची तैयार करते हैं।
CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि आने वाले चुनावों में फर्जी वोटिंग और दोहरी प्रविष्टियों जैसी गड़बड़ियों को भी खत्म करेगी।
किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू होगा SIR?
दूसरे चरण में गहन पुनरीक्षण(SIR) की प्रक्रिया निम्नलिखित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू होगी। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप।
इनमें से कई राज्यों में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इन्हें प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि असम और महाराष्ट्र को इस सूची में शामिल नहीं किया गया।
CEC ज्ञानेश कुमार ने इस पर कहा –
“असम में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी।”
लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि घोषणा में देरी का कारण क्या है, जबकि असम में “घुसपैठिए” और “फर्जी वोटर” का मुद्दा हमेशा से एक बड़ा राजनीतिक विषय रहा है।
SIR प्रक्रिया का शेड्यूल
चुनाव आयोग के अनुसार, 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रिंटिंग और ट्रेनिंग की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर जाकर मतदाताओं से फॉर्म भरे जाएंगे। 9 दिसंबर को ड्राफ्ट सूची जारी होगी और 8 जनवरी तक दावे और आपत्तियाँ दर्ज की जा सकेंगी। फिर 9 दिसंबर से 31 जनवरी तक सत्यापन और सुनवाई का चरण चलेगा। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
किन मतदाताओं को दस्तावेज़ देने होंगे?
CEC के अनुसार, जिन लोगों के नाम पहले से 2003 की मतदाता सूची में हैं, उन्हें कोई नया दस्तावेज़ देने की आवश्यकता नहीं होगी। नए मतदाताओं या पता बदलने वालों को पहचान पत्र और पते से जुड़े दस्तावेज़ जमा करने होंगे। BLO घर-घर जाकर विशिष्ट गणना प्रपत्र (Enumeration Form) वितरित करेंगे, जिसमें मतदाता अपने विवरण की जांच और सुधार कर सकेंगे।
इसके अलावा, 2002–2004 की मतदाता सूचियाँ अब voters.eci.gov.in वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगी, जहाँ नागरिक अपने या अपने परिवार के नाम की पुष्टि ऑनलाइन कर सकेंगे।
असम को लेकर उठे सवाल
असम को इस सूची से बाहर रखने पर राजनीतिक हलकों में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि असम की स्थिति नागरिकता, घुसपैठ और NRC (National Register of Citizens) जैसे मुद्दों से जुड़ी होने के कारण संवेदनशील है।
एक चुनाव विश्लेषक के मुताबिक
“असम में मतदाता सूची का पुनरीक्षण बेहद जटिल मामला है। NRC के बाद बड़ी संख्या में लोगों के नामों पर विवाद है। ऐसे में चुनाव आयोग शायद अलग से, चरणबद्ध तरीके से यह प्रक्रिया लागू करना चाहता है।”
वहीं विपक्षी दलों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि —
“जब केंद्र और राज्य सरकार असम में घुसपैठिए के मुद्दे पर सख्त दिखना चाहती हैं, तो फिर वहां मतदाता सूची के पुनरीक्षण को टालने का क्या मतलब है?”
आयोग का उद्देश्य
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि SIR का मकसद सभी राज्यों में एक सटीक और भरोसेमंद मतदाता सूची तैयार करना है। CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा – “यह प्रक्रिया लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करेगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर योग्य नागरिक को मतदान का अधिकार मिले और कोई भी अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो।”
गहन पुनरीक्षण(SIR) का यह दूसरा चरण चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। हालांकि, असम को लेकर उठे सवाल आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस को और तेज कर सकते हैं। मतदाता सूची की सटीकता लोकतंत्र की बुनियाद है – और यह प्रक्रिया उसी दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।


