23 साल की राधिका यादव कोई आम लड़की नहीं थीं। वो एक ऐसी बेटी थीं, जो समाज के तयशुदा दायरे तोड़कर खेल की दुनिया में अपनी जगह बना रही थीं। गुरुग्राम के सुशांत लोक इलाके में राधिका एक स्वतंत्र टेनिस कोच थीं। उन्होंने न सिर्फ खुद को प्रशिक्षित किया, बल्कि एक स्वयं की टेनिस एकेडमी भी शुरू की, जहां वो बच्चों को प्रशिक्षण देती थीं।
उनके करीबी बताते हैं कि वो बेहद अनुशासित, पेशेवर और आत्मनिर्भर थीं। न कोई पार्टी लाइफ, न कोई दिखावा सिर्फ अपने काम में डूबी एक युवती, जो मेहनत और जुनून से अपनी दुनिया रच रही थी। लेकिन शायद यही आत्मनिर्भरता, यही उड़ान उसके अपने पिता को चुभ गई।
पिता ने बेटी की पीठ में उतारीं 4 गोलियां

गुरुवार, 10 जुलाई की सुबह 10:30 बजे। राधिका किचन में खाना बना रही थीं। अचानक उनके पिता दीपक यादव कमरे में आए, और बिना कोई बहस, बिना कोई चेतावनी, चार गोलियां दाग दीं।
तीन गोलियां उसकी पीठ में लगीं। वो वहीं गिर पड़ी, और कुछ ही मिनटों में दम तोड़ दिया। दोपहर 12:30 बजे पुलिस को अस्पताल से फोन मिला। “एक युवती को गोली मारी गई है।” इन दो घंटों में, दीपक ने हत्या में इस्तेमाल की गई रिवॉल्वर को रेवाड़ी के पास अपनी ज़मीन में फेंक दिया। यानी ये हत्या सिर्फ गुस्से में नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अपराध थी। हत्या के बाद सबूत मिटाने का पूरा इंतज़ाम किया गया।
मां मंजू यादव की रहस्यमयी चुप्पी क्यों?
वारदात के समय राधिका यादव की मां मंजू यादव घर के पहले फ्लोर पर थीं। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कुछ सुनाई क्यों नहीं दिया, उन्होंने सिर्फ यही कहा, मुझे बुखार था। मैं आराम कर रही थी। कुछ नहीं पता चला।” उस दिन उनका जन्मदिन भी था। एक ओर बेटी की चीख, गोलियों की आवाज़ और दूसरी ओर एक मां की खामोशी।
सबसे बड़ा सवाल, क्या मां को वाकई कुछ नहीं पता था, या वो कुछ छुपा रही हैं? न उन्होंने न तो कोई पुलिस बयान दिया, न मीडिया से बात की। इस चुप्पी ने इस केस को और ज्यादा रहस्यपूर्ण और संवेदनशील बना दिया है।
4 सोशल मीडिया अकाउंट्स का डिलीट होना, कहीं कुछ छिपाने की कोशिश तो नहीं? राधिका की मौत के तुरंत बाद, उनके सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट कर दिए गए — इंस्टाग्राम, यूट्यूब, प्रोफेशनल प्रोफाइल्स सब गायब। यह घटना खुद में एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है।
आखिर यह अकाउंट्स किसने हटाए? क्यों हटाए?
क्या ये किसी डिजिटल सबूत को मिटाने की कोशिश थी? क्या राधिका के प्रोफाइल्स में ऐसा कुछ था, जिससे हत्याकांड का मकसद उजागर हो सकता था? इस बिंदु पर पुलिस ने अब तक कोई पुख्ता बयान नहीं दिया है, लेकिन साइबर क्राइम यूनिट को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
इनामुल और वायरल वीडियो, क्या ये ऑनर किलिंग थी?
हत्या के बाद एक पुराना म्यूजिक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें राधिका एक यूट्यूबर और म्यूजिशियन इनामुल के साथ नज़र आ रही हैं। वीडियो एक प्रेम कहानी को दर्शाता है। यह वीडियो पिछले साल का है। लेकिन अब इसे लेकर आशंका जताई जा रही है कि क्या राधिका की मुस्लिम युवक से दोस्ती उसके पिता को नागवार गुज़री?
राधिका यादव: क्या ये ‘ऑनर किलिंग’ थी?
क्या पिता को बेटी की पहचान, दोस्ती और खुलेपन से इतनी तकलीफ थी कि उसने मौत को बेहतर विकल्प समझा? पुलिस ने इस थ्योरी को नकारा नहीं है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि भी नहीं की है। दीपक यादव के बारे में सब कहते हैं। “गुस्सैल स्वभाव था। छोटी बातों पर आगबबूला हो जाते थे।”
पुलिस को दीपक ने अपने शुरुआती बयान में बताया कि वह राधिका की टेनिस एकेडमी से नाखुश था। वो चाहता था कि बेटी ‘घर-गृहस्थी’ देखे, अकेली लड़की के बाहर निकलने से लोग ‘ताने मारते थे’। लेकिन क्या समाज के ताने इतने भारी हो सकते हैं कि एक बाप अपनी बेटी की जान ले ले?
पुलिस जांच, अभी सब कुछ अधूरा!

दीपक यादव को पुलिस ने उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। वह अब रिमांड पर है और पूछताछ जारी है। हत्या में इस्तेमाल की गई रिवॉल्वर बरामद कर ली गई है। पुलिस के प्रवक्ता ASI संदीप कुमार ने कहा, जांच अभी प्राथमिक चरण में है। ऑनर किलिंग या किसी वीडियो को लेकर हत्या की पुष्टि नहीं हो सकी है।
लेकिन जांच में बड़ी लापरवाहियां भी सामने आ रही हैं:
1. मां का बयान अब तक दर्ज नहीं
2. सोशल मीडिया पर फॉरेंसिक जांच नहीं
3. ऑनर किलिंग को लेकर कोई ठोस दिशा नहीं
निष्कर्ष
क्या राधिका यादव की पहचान उसकी मौत की वजह बन गई? राधिका यादव की हत्या एक बेटी की नहीं, एक सोच की हत्या है। उस सोच की, जो लड़कियों को खुद पर भरोसा करना सिखाती है। जो कहती है कि बेटी सिर्फ शादी या घर के काम के लिए नहीं, बल्कि खेल सकती है, बना सकती है, जी सकती है। लेकिन समाज का एक तबका अब भी बेटियों को इज्ज़त के बोझ में दबा देना चाहता है। पिता, जो बेटी का पहला रक्षक होता है, जब वही हत्यारा बन जाए — तो सोचिए, क्या हालात होंगे?