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Nepal में Gen-Z का उग्र आंदोलन: Social Media Ban से भड़के युवाओं का प्रदर्शन, 22 की मौत, पीएम ने दिया इस्तीफ़ा

newsdiggy
Last updated: September 10, 2025 9:19 pm
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Published September 9, 2025
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Nepal
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नेपाल(Nepal) इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। सोशल मीडिया बैन और सरकारी भ्रष्टाचार के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों में अब तक 22 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली को मंगलवार को इस्तीफ़ा देना पड़ा है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में तोड़फोड़ कर उसमें आग लगा दी है।

Contents
नेपाल(Nepal) प्रोटेस्ट की शुरुआत: सोशल मीडिया बैन से भड़का गुस्सासरकारी फैसला और जनता की प्रतिक्रियापुलिस की कार्रवाई और हिंसाजान-माल का नुकसान: भीषण हिंसा के आंकड़ेमृतक और घायलों की संख्यासंपत्ति का नुकसानसरकारी प्रतिक्रिया: इस्तीफ़े और नीतिगत बदलावप्रधानमंत्री का इस्तीफ़ासोशल मीडिया बैन की वापसीप्रदर्शनों के मुख्य कारणभ्रष्टाचार की समस्याआर्थिक अवसरों की कमीडिजिटल अधिकारों का हननअंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियासंयुक्त राष्ट्र की चिंतावर्तमान स्थिति: क्या है आगे का रास्ता?राजनीतिक अस्थिरताप्रदर्शनकारियों की मांगेंविश्लेषण: नेपाल के लोकतंत्र के लिए चुनौतीयुवाओं की बढ़ती राजनीतिक भागीदारीसोशल मीडिया की भूमिकाभ्रष्टाचार विरोधी भावनानिष्कर्ष: नया नेपाल की तलाश

नेपाल(Nepal) प्रोटेस्ट की शुरुआत: सोशल मीडिया बैन से भड़का गुस्सा

सरकारी फैसला और जनता की प्रतिक्रिया

नेपाल(Nepal) सरकार ने पिछले सप्ताह Facebook, Instagram, X (Twitter) और YouTube सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह फैसला युवाओं के बीच तीव्र रोष का कारण बना, विशेषकर जेनरेशन-Z (13-28 वर्ष की आयु के लोगों) में।

8 सितंबर को काठमांडू में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और “सोशल मीडिया पर बैन बंद करो, भ्रष्टाचार रोको, सोशल मीडिया नहीं” के नारे लगाते हुए संसद भवन को घेर लिया।

पुलिस की कार्रवाई और हिंसा

सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर जीवित गोलियां, पानी की बौछारें और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों ने कांटेदार तार तोड़कर दंगा पुलिस को संसद परिसर के अंदर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

जान-माल का नुकसान: भीषण हिंसा के आंकड़े

मृतक और घायलों की संख्या

नागरिक सेवा अस्पताल काठमांडू के कार्यकारी निदेशक डॉ. मोहन रेग्मी के अनुसार कम से कम 22 लोगों की मृत्यु हो गई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

संपत्ति का नुकसान

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर उसमें आग लगा दी है। इसके अलावा कई सरकारी कार्यालयों और नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया गया है।

सरकारी प्रतिक्रिया: इस्तीफ़े और नीतिगत बदलाव

प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा

दबाव में आकर प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को अपना इस्तीफ़ा दे दिया। यह फैसला प्रदर्शनों की तीव्रता और जनता के गुस्से को देखते हुए लिया गया।

सोशल मीडिया बैन की वापसी

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने घोषणा की है कि सोशल मीडिया बैन वापस ले लिया गया है। यह कदम प्रदर्शनकारियों की एक प्रमुख मांग थी।

प्रदर्शनों के मुख्य कारण

भ्रष्टाचार की समस्या

प्रदर्शन सरकारी भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया ऐप्स जैसे WhatsApp और Facebook पर प्रतिबंधों के कारण युवाओं के बीच व्यापक गुस्से से प्रेरित थे। नेपाल में बढ़ती भ्रष्टाचार की घटनाओं और सरकारी अकुशलता से युवा पीढ़ी में निराशा बढ़ रही थी।

आर्थिक अवसरों की कमी

युवा-नेतृत्व वाले ये प्रदर्शन सरकारी भ्रष्टाचार और खराब आर्थिक अवसरों के कारण शुरू हुए। नेपाल की युवा आबादी बेरोजगारी और सीमित विकास के अवसरों से परेशान है।

डिजिटल अधिकारों का हनन

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध को डिजिटल अधिकारों के हनन के रूप में देखा गया। 13-28 वर्ष की आयु के जेनरेशन Z द्वारा नेतृत्व किए गए इन प्रदर्शनों में मुख्यतः भ्रष्टाचार के खिलाफ़ गुस्सा था।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र की चिंता

संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल(Nepal) की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सहायता की पेशकश की है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नेपाल(Nepal) में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए चिंतित है।

वर्तमान स्थिति: क्या है आगे का रास्ता?

राजनीतिक अस्थिरता

प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े के बाद नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया है। नई सरकार के गठन और स्थिरता लाने में समय लगेगा।

प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारी “इस सरकार को गिराने” और बड़े पैमाने पर इस्तीफों की मांग कर रहे हैं। केवल प्रधानमंत्री के इस्तीफे से उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ है।

विश्लेषण: नेपाल के लोकतंत्र के लिए चुनौती

युवाओं की बढ़ती राजनीतिक भागीदारी

इन प्रदर्शनों ने दिखाया है कि नेपाल की युवा पीढ़ी राजनीतिक मुद्दों पर कितनी सजग और सक्रिय है। जेन-Z की इस भागीदारी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए सकारात्मक माना जा सकता है।

सोशल मीडिया की भूमिका

यह घटना दिखाती है कि आधुनिक समाज में सोशल मीडिया कितना महत्वपूर्ण हो गया है। इसपर प्रतिबंध लगाना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत माना जा रहा है।

भ्रष्टाचार विरोधी भावना

प्रदर्शनों में भ्रष्टाचार विरोधी स्वर साफ दिखाई दे रहा है, जो नेपाली समाज में सुधार की इच्छा को दर्शाता है।

निष्कर्ष: नया नेपाल की तलाश

नेपाल(Nepal) में चल रहे प्रदर्शन सिर्फ सोशल मीडिया बैन के विरोध में नहीं हैं, बल्कि ये व्यापक राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की मांग हैं। युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी नीतियों की असफलता के कारण है।

सरकार द्वारा सोशल मीडिया बैन वापस लेना और प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा एक शुरुआत है, लेकिन प्रदर्शनकारी अभी भी व्यापक बदलाव चाहते हैं। नेपाल(Nepal) के लोकतंत्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है जहां युवा पीढ़ी अपनी आवाज बुलंद कर रही है।

आने वाले दिनों में नेपाल(Nepal) की राजनीतिक दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि नई सरकार युवाओं की मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ कितने प्रभावी कदम उठाती है।

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TAGGED:Gen-ZGen-Z ProtestNepalNepal ProtestSocial Media Ban
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1 Comment
  • Priya Sharma says:
    September 10, 2025 at 4:55 pm

    From Kathmandu’s streets to digital platforms, the new generation is proving that they are fearless, bold, and ready to fight for their future. They are tired of corruption, unemployment, and broken promises. This movement is not just a protest; it’s a wake-up call for those in power.#NepalProtests #GenZForChange #NepalYouth #StandWithNepal #VoicesOfGenZ #FutureIsNow

    Reply

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